9 मीटर की साड़ी पहनकर 4 घंटे में पूरी की 42 किमी की मैराथन, उम्र सुनकर चौंक जाएंगे आप

0

कहते हैं, “खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है. कामयाब इंसान खुश रहे न रहे, खुश रहने वाला इंसान जरुर कामयाब होता है.”

उम्र की बेड़िया तोड़कर दौड़ी जयंती

अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो, किसी भी काम के लिए उम्र की आड़े नहीं आती और प्रतिभा कभी किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती. दुनिया में तमाम ऐसे उदारण हैं,जब लोगों ने विपरीत परिस्थितियों और सुविधाओं के अभाव में सफलता का परचम लहराकर दुनिया के लिए मिसाल बने. ऐसा ही ताजा उदाहरण हैं हैदराबाद की रहने वाली जयंती संपत कुमार का. जयंती ने कुछ ऐसा कर दिखाया है,जो देश के लिए महिला सशक्कतीकरण का बिरला उदाहरण है. आपको बता दें कि जयंती ने हैंडलूम साड़ी पहनकर उन्होने मैराथन में 42 किलोमीटर भागकर उन लोगों को गलत साबित किया जिनको लगता है कि साड़ी में काम करना या पहनना असहज है.

हैंडलूम साड़ी, चप्पल पहनकर 42किमी मैराथन

दरअसल साल 2017 में तेलंगाना की राजधानी में आयोजित मैराथन में करीब 20हजार लोगों ने भाग लिया था. लेकिन पूरे मैराथन में एक महिला आकर्षण का केंद्र रही, जिसने पैरों में चप्पल और साड़ी पहनकर 42किमी की दौड़ पूरी की. वह महिला कोई और नहीं बल्कि जयंती संपत कुमार थी. जिनको देखकर सब दंग रह गए.

उनका उद्देश्य साड़ी को प्रमोट करना है

वहीं जब जयंती से पूछा गया कि उनका साड़ी पहनकर भागने का क्या उद्देश्य था तो उन्होने बताया कि वे साड़ी को प्रमोट कर रही हैं. साथ ही वे एक साइकिल चालक भी है उन्होने लोगों से दरख्वास्त की कि वे प्रदूषण को रोकने के लिये साइकिल का उपयोग करें.

9 साल से मैराथन की कर रही है तैयारी

जब संपत से पूछा गया कि आपने इसकी ट्रेनिंग कब से शुरू की तो उन्होने बताया कि नौ साल पहले दौड़ना शुरू किया था. उनके लिए यह सब करना आसान नहीं था, लेकिन अपने लक्ष्य को पूरा करने की ठान चुकी जयंती ने पीछे हटने से मना कर दिया. उनके इस सफर में उनके पति और बच्चों के साथ-साथ, माता-पिता का समर्थन भी मिला. 44 वर्षीया जयंती ने पांच किलोमीटर से दौड़ना शुरू किया था. अखबार में बिजनेस सूट में मैराथन दौड़ने वाले इंसान की खबर पढ़कर उन्होंने ठान लिया कि अगर वह ऐसा कर सकता है, तो साड़ी में दौड़ना असंभव नहीं.

2017 में रिकॉर्ड बनाया

यहां से जयंती के लक्ष्य की शुरुआत हुई. अपनी दोस्त की मदद से उन्होंने नौ मीटर की साड़ी पहनकर दौड़ना सही समझा. उन्होंने जूतों में नहीं, बल्कि चप्पलों में हैदराबाद मैराथन में हिस्सा लिया. 2015 में उन्होंने हैदराबाद में 10 किलोमीटर मैराथन में हिस्सा लिया. इसके बाद जनवरी, 2016 से उन्होंने फुल मैराथन में दौड़ने का फैसला किया. वहीं जयंती ने साल 2017 में एयरटेल हैदराबाद मैराथन की 42 किलोमीटर मैराथन को चार घंटे 57 मिनट और 44 सेकेंड में पूरा किया था. वह ऐसा करने वाली विश्व की पहली महिला हैं.

Leave A Reply

Your email address will not be published.