फादर्स डे: शहीद की बेटी को गोद लेकर, मिसाल बना ये मुस्लिम ‘पिता

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चंदा ने पूछा तारों ने पूछा हजारों से… सबसे प्यारा कौन है, पापा मेरे पापा… सिर्फ ये गीत की पक्तियां नहीं हैं, बल्कि हर संतान अपने पिता के लिये यही कहना पसंद करेगी. करे भी क्यों नहीं, आखिर एक बच्चे के जीवन में पिता की भूमिका है ही इतनी खास. पिता की छांव में संतान खुद को सुरक्षित महससू करती है,खासकर बेटियां. लेकिन किसी शहीद परिवार का दर्द समझना बहुत मुश्किल है. जब बच्चों के सिर से पिता का साया उठ जाए तो वह पल अति असहनीय होता है. ऐसे में अगर कोई इंसान उनके पिता तुल्य बनकर उन बच्चों को सहारा देता है तो उन बच्चों के दर्द का जख्म गायब हो जाता है. आज फादर्स डे पर एक ऐसे पिता की कहानी बता रहे हैं, जो India Ke Star बन गए हैं.

शहीद की बेटी के पिता बने युनूस खान

ऐसे ही एक पिता की कहानी है जम्मू कश्मीर के पुंछ जिला में पाकिस्तान की सेना से लोहा लेते हुए शहीद हुए तरनतारऩ में परमजीत सिंह की बच्ची खुशदीप कौर (12) का सहारा बने हैं उपायुक्त युनूस खान की. प्रशासनिक सेवाओं में नाम कमा चुके कुल्लू के डीसी ने एक पिता के रूप में मिसाल कायम की है. आइएएस युनूस दिल्ली के और उनकी आइपीएस पत्नी अजुंम आरा लखनऊ की रहने वाली हैं. इंसानियत के इस जज्बे को पूरा देश सलाम करता है. जिन्होंएने अपनी जिम्मे दारी समझते हुए समाज और देश के समक्ष एक मिसाल पेश की है.

बेटी तरह पाल रहे हैं खुशदीप कौर को

हालांकि खुशदीप अपने परिजनों के साथ तरनतारन में ही रहती है, लेकिन पिता की तरह युनूस उसकी शिक्षा समेत हर इच्छा को पूरा कर रहे हैं और समय-समय पर उससे मिलने तरनतारऩ जाते हैं. बच्ची की छुट्टियों में कुल्लू लेकर भी आते हैं. युनूस का एक बेटा भी है. बच्ची का प्रेम उनको कुल्लू से तरनतारऩ खींचकर ले गया. आज वह कहते हैं कि उनके दो बच्चे हैं. उपायुक्त युनूस गरीब बच्चों के लिये तत्पर रहते हैं. उन्होने कुल्लू जिला के एक स्कूल, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं, को भी गोद लिया है. यहां के बच्चों से उन्हें काफी लगाव है. वे उनके साथ खाना खाते हैं, समय बिताते हैं.

युनूस की पत्नी ने भी किया सहयोग

सोलन की एसपी अंजुमा आरा ने बताया कि, ‘खुशदीप की इच्छा है कि वो अपने परिजनों के साथ ही रहना चाहती है. हम बेटी की इच्छा का मान करेंगे और उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएंगे. समय-समय पर खुशदीप समस्याओं को जानने के लिए उससे मुलाकात करते रहेंगे और उनका हल करेगें. यदि वह एक आईएस या आईपीएस अधिकारी बनना चाहती है या कुछ और बनना चाहती है तो हम इसमें उसकी पूरी मदद करेगें.’

शहीद के परिवार का दर्द समझना बहुत मुश्किल

युनूस ने बताया ‘किसी शहीद के परिवार के दर्द को शांत करना बहुत मुश्किल है, लेकिन लेकिन वे उनके दुःख को साझा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘उनकी बेटी को अच्छी शिक्षा की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए हम एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं. यह खुशदीप पर निर्भर करता है कि वह गांव में रहकर अपनी पढ़ाई करना चाहती है या कोई अन्य स्कल से. हम जिंदगीभर उसकी सहायता करेंगे.’ जिससे उसका भविष्य बेहतर हो सके. हम देश के जिम्मेदार नागरिक को तौर पर अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं. हम पूरी जिंदगी उसके हर एक फैसले में उसके साथ रहेंगे.’

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