साहस का परिचय देते हुए गुजरात की पहली मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल

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आज हर एक महिला तेजतर्रार, सख्त और कुशल प्रसाशक रहती है. लेकिन कुछ महिला सख्त नेतृत्व करने वाली होती है. उनमे से एक महिला आनंदीबेन पटेल है उन्हें आयरन लेडी की संज्ञा भी मिली है. उनकी साफ़-सुथरी छवि उनकी सबसे बड़ी मजबूती है. वह अच्छी शिक्षक रह चुकी है. इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति की ओर से सम्मानित किया जा चूका है.

नंदीबेन पटेल का जन्म :-

आनंदीबेन पटेल का जन्म 21 नवम्बर 1941 को मेहसाणा जिले के विजापुर तालुका के खरोद गांव में हुआ था. उनका पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है. उनके पिता जेठाभाई पटेल एक गांधीवादी नेता थे. आनंदीबेन ने कन्या विद्यालय में चतुर्थ कक्षा तक की पढ़ाई की इसके बाद उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए ब्याज स्कूल में पढाई करी जहां 700 लड़कों के बीच वे अकेली लड़की थीं. आठवीं कक्षा में उनका दाखिला विसनगर के नूतन सर्व विद्यालय में कराया गया। विद्यालीय शिक्षा के दौरान एथलेटिक्स में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए उन्हें बीर वाला पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

अंदर से सरल :-

आनंदीबेन जी को पक्षियों से बहुत लगाव है और बागवानी में उनको समय बिताना बहुत अच्छा लगता है. वे एक मितव्ययी जीवन शैली को अपनाती हैं और वह एक प्रशासनिक दक्षता के लिए जानी जाती हैं. वे बाहर से जितनी सख़्त हैं उतनी ही अंदर से सरल है.

पिकनिक के दौरान :-

स्कूल पिकनिक के दौरान दो छात्रा नर्मदा नदी में गिर गयी उन्हें डूबता देख आनंदीबेन अपनी साहस का परिचय देते हुए उफनती हुई नदी में खुद गई और दोनों को जीवित बाहार निकालकर ले आई. आनंदीबेन के इस साहस को देखते हुए उन्हें राज्य सरकार द्वारा उन्हें वीरता का पुरस्कार भी मिला.

राजनेतिक में प्रवेश :-

आनंदीबेन की इस साहस को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और शंकरसिंह वाघेला ने उन्हें भाजपा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया और महिला पार्टी के साथ जुड़ने के लिए कहा. बस फिर क्या था उसी साल आनंदीबेन गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनकर, भाजपा में शामिल हो गईं और इसी दौरान पार्टी में कोई मजबूत महिला नेता नही थी.

विधायक और शिक्षा मंत्री :-

आनंदीबेन पटेल ने 1994 में गुजरात से राज्यसभा की सांसद बनीं. उसके बाद वह 1998 के विधानसभा चुनाव में वह बतौर विधायक गुजरात के मांडल से चुनी गईं और और उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया. लेकिन वह हमेशा से ही मोदी के नज़दीक रहीं. फिर 1995 में शंकरसिंह वाघेला का विद्रोह हो या 2001 में केशुभाई को पद से हटाने की बात हो, आनंदीबेन हमेशा मोदी के साथ खड़ी रहीं.

मुख्यमंत्री बनने तक :-

आनंदी बेन पटेल ने 1998 से 2007 तक गुजरात सरकार में शिक्षा मंत्री के तौर पर शिक्षा मंत्रालय, उच्च और तकनीकी शिक्षा, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियां, महिला एवं बाल कल्याण जैसे उन्होंने कार्य किए औरबाद में उन्होंने 2007 से 2014 में मुख्यमंत्री बनने तक वे सड़क और भवन निर्माण, राजस्व, शहरी विकास और शहरी आवास, महिला एवं बाल कल्याण, आपदा प्रबंधन और राजस्व मंत्री का कार्य संभालती रहीं.

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