आज कल भारत में हर बात पर सिर्फ राजनीति की जाती है और लोगो का ध्यान सही मुद्दों से हटा दिया जाता है क्या ये सही है ?

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जब भी भारत में किसी महिला के साथ कोई अपराध होता है तो जनता में आक्रोश की भावना उत्पन्न हो जाती है लोगो के बड़ते आक्रोश पर सरकार के लिए काबू पाना आसान नहीं होता है. उस समय हर कोई महिला मुद्दों पर राजनीति करने लग जाता है लेकिन सरकार को राजनीती करने के बदले सभी के लिए समान अधिकारों को लागू करने की अनोखी शुरुआत करनी चाहिए.

वेसे तो राजनीतिज्ञों का काम तो राजनीति करना ही होता है लेकिन हर बात में राजनीति को बिच में लाना सही नहीं होता है. राजनीतिज्ञों का असल मकसद समाज को बेहतर बनाने और प्रशासन को चुस्त करना भी होता है. हमारे सामने ऐसे कई मुद्दे आये है जिन पर राजनीतिज्ञों की राजनीती ने कब्जा जमाया था.

जब देश की राजधानी में निर्भया कांड हुआ था तो  सारा देश एक जुट हो गया था वही कुछ राजनीतिज्ञ अपनी राजनीति को बिच में ले आये  थे. जब भी किसी महिला के साथ इस तरह की घिनोनी हरकत होती है तो देश मे जिस तरह की राजनीति होती है वह हमारे लिए शर्मनाक होती है.

उस राजनीती में तो महिलाओं की सुरक्षा की बात तो होती ही नहीं है  सवाल इस बात पर उठाये जाते है की इसका जिम्मेदार कौन है? इस वक्त किस व्यक्ति को पद से हटाया जाना चाहिए और किस व्यक्ति को स्वयं ही अपना पद त्याग देना चाहिए  सिर्फ इस तरह की बात होती है.

हर पार्टी सिर्फ अपनी उपलब्द्धियो को गिनाता है कोई भी पार्टी ऐसी नहीं है जो दावा कर सके की सरकार का काम नागरिकों की रक्षा करना है. जिस तरह महिलाओं के खिलाफ हिंसा की भावना बड रही है बड़ते अपराध इसका सबुत है  सरकार इन अपराधो को जड़ से ख़त्म करने में पूरी तरह विफल रही है.

बदलते दोर के साथ भारत में आर्थिक द्रष्टि से काफी तेजी से तरक्की हो रही है इससे कही अधिक बदलाव सामाजिक स्तर में देखा गया है  इस समय सरकार का दायित्व है की वह छोटे स्तर पर भी आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के साथ समाज में आ रहे बदलाव को नई दिशा दे.

हालाकि अभी भी कुछ राजनीतिक पार्टियां अपना लक्ष्य सिर्फ सत्ता पर काबिज होना ही मानती है भविष्य की जरूरतों को देखते हुए कुछ कार्यकर्ताओं के पास न तो प्रेरणा है और न ही प्रशिक्षण  वह तो सिर्फ पार्टियों से जुड़ कर विरोधी टीम की सरकार और उनके बनाये कानून व्यवस्था में परेशानिया लाना होता है.

जब 2012 में निर्भया कांड हुआ था तो देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर पुलिस प्रशासन लड़की को अपराधियों से सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम हुई थीं  हालाकि महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए कानूनी सख्तियां बढाई गई थी  फिर भी लडकियों के साथ हो रही इस तरह की घटनाये बंद नहीं हुई थी.

सरकार आम नागरिकों को सुरक्षा देने के प्रति अधिक गंभीर हैं तो उन्हें पुलिस प्रशासन का आधुनिकीकरण करना जरुरी है  इसमें सरकार को अपराधो के अनुसार उन पर नियंत्रण पाने के लिए प्रत्येक जिले में अधिक पुलिस बलों की भर्ती के साथ उनके सही और विशेष प्रशिक्षण करवाने की आवश्यकता है.

राजनीतिक दलों की यह जिम्मेदारी है की वह जनता को इस बात से आगाह करे की शिक्षा और सुरक्षा के साथ स्वास्थ्य की भी आधारभूत जिम्मेदारी सरकार की होती है  इन कामो के द्वारा कई रोजगार के अवसर भी होते है यदि समाज का एक वर्ग असुरक्षित है तो वह न तो किसी तरह की कोई शिक्षा ले पाएगा और न ही कोई रोजगार कर पाएगा.

इस तरह देश का विकास नहीं हो पायेगा और ना ही देश तरक्की कर पायेगा  महिलाओं के साथ हो रहे बड़ते अपराध कही न कही लोगो की सोच से भी होते है. जब तक सोच नहीं बदलेगी इस तरह के अपराधो से महिलाए बच नहीं पाएगी. राजनीतिक सत्ता में पुरषों के साथ महिलाओं का बराबर का योगदान हो महिलाओ के साथ हो रहे गैंगरेप जैसे अपराधो पर राजनीति न करते हुए महिलाओं के अधिकारों को बढावा दिया जाए और नए कानून बनाये जाए.

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