ये 14 साल का ह्यूमन कैलकुलेटर बना यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर ,यूनिवर्सिटी में लेता है खुद से बड़े बच्चों की क्लास

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कहते है दुनिया में एक से बढ़कर एक काबिल लोग है जिनके बारे में जानकर हम सभी हैरानी में पड़ जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक हैरान कर देने वाले शख्स के बारे में बताने वाले है जिनके बारे में शायद ही आप पहले से जानते हो।

जैसा की हम सभी जानते है की किसी भी इन्सान के जीवनकाल में 14 से 15 साल की उम्र बड़ी ही नाजुक होती है।इस उम्र में बच्चो के अन्दर कई तरह से बदलवा आते है जिनमे शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह के बदलाव देखने को मिलते है। कहा जाता है की यही वो उम्र होती है जब बच्चा सही या गलत की पहचान करने लग जाता है जिसके वजह कुछ बच्चे तो इस उम्र में कामयाबी के सपने देखने लग जाते है तो वही कुछ बच्चे गलत राह भी चुन लेते है जिसके बाद उन्हें जीवन भर पछताने के अलावा कुछ हांसिल नहीं हो पाता|14 साल की उम्र में ज्यादातर बच्चे 9 वी या 10 कक्षा में पढ़ते है और इस उम्र में बच्चों को न तो पढ़ाई का ज्यादा टेंशन रहता है और न ही दुनिया की तमाम टेंशन।

आज हम आपको एक ऐसे बच्चे के बारे में बताने वाले है जो इस वक्त इसी नाजुक उम्र के पड़ाव पर है जिसकी उम्र केवल 14 साल है लेकिन ये और बच्चो से बिलकुल ही अलग है क्योंकि जहाँ इस उम्र के ज्यादातर बच्चे स्कूल कोचिंग में पढाई करने में व्यस्त रहते है वही ये बच्चा खुद अपने से भी बड़े स्टूडेंट्स को पढ़ता है। वो एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन चूका है। ये जानकर आप भी हैरान हो गये होंगे लेकिन ये बात बिलकुल ही सच है।

बता दे ये मामला इंग्लैंड की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी का है जहां ईरानी मूल का 14 साल का मुस्लिम बच्चा यूनिवर्सिटी में मैथ्स का प्रोफेसर बन बच्चों की क्लास ले रहा है। इस मुस्लिम बच्चे का नाम है याशा एस्ले, जो लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में बतौर अतिथि शिक्षक के रूप में उसका चयन हुआ है इतना ही नहीं वह इस यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ यहां से अपनी डिग्री भी ले रहा है। यूनिवर्सिटी ने उसकी इस काबिलियत को देखते हुए उसे सबसे कम उम्र के छात्र और सबसे कम उम्र के प्रोफेसर का उपनाम दिया है। कहते है ना की कुछ बच्चे अपनी प्रतिभा के बल पर अपनी पहचान गढ़ते हैं|इसी का जीता जगता उदहारण है याशा एस्ले।

याशा के पिता मूसा एस्ले उसकी इस काबिलियत पर गर्व करते हैं और रोजाना उसे अपनी कार से छोड़ने यूनिवर्सिटी जाते हैं। याशा की गणित में बहुत रुचि है, गणित में अविश्वसनीय ज्ञान को देखते हुए उसके अभिभावकों ने उसे मानव कैल्कुलेटर नाम दे रखा है। “मानव कैलकुलेटर” के नाम से मशहूर याशा को 13 साल की उम्र में ही विश्वविदयालय के तनख़्वाह याफताह प्रोफेसर की हैसियत से नौकरी मिल गई थी। याशा ने गर्व से कहा,” मेरे जीवन का सबसे अच्छा साल मेरे पास हैं और याशा का कहना है की मुझे नौकरी करने से भी अधिक खुशी वहां के छात्रों को पढ़ाने में मिलती है।

जानकारी के लिए बता दे याशा ने मात्र 13 साल की उम्र में यूनिवर्सिटी सेमैथ्स पढ़ाने के लिए सम्पर्क किया था जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने उनकी कम उम्र को देख कई सवाल किए, लेकिन जब उनके सभी जवाब उम्मीदों से आगे मिले तो गणित पैनल उनके इस अविश्वसनीय ज्ञान को देखकर चकित रह गयी इसके बाद यूनिवर्सिटी ने याशा को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान कर दी। हालाँकि इसके लिए यूनिवर्सिटी को ईरानी मूल के याशा को अतिथि शिक्षक का पद देने के लिए मानव संसाधन विकास विभाग से विशेष अनुमति लेनी पड़ी।

यूनिवर्सिटी ने जब यह बात लीसेस्टर काउंसिल के सामने रखी तो काउंसिल को यकीन ही नहीं हुआ कि 14 साल के किसी बच्चे के पास इतना नॉलेज हो सकता है और वह क्लास में खड़ा होकर अपने से अधिक उम्र के बच्चों को पढ़ा सकता है। वही इस सूचना पर चंद्रशेखर व्यास कहते हैं कि बाहर के विश्वविद्यालयों में ये कोई नयी बात नहीं। वहां किसी की काबिलियत, लगन जैसे फैक्टर महत्वपूर्ण होते हैं न की किसी के उम्र की।

याशा एस्ले ने यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनकर यह बात साबित कर दी है कि किसी भी काम को करने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती है। उनके पिता मूसा एस्ले उन्हे रोज गाड़ी में यूनिवर्सिटी छोड़ने जाते हैं। मूसा कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे की इस कामयाबी पर गर्व है। वह बताते हैं कि याशा को शुरू से ही गणित में रुचि थी। वह अपना डिग्री कोर्स खत्म करने के करीब है और जल्द ही अपनी पीएचडी शुरू करने वाला है।

याशा भले ही हमारे देश के नहीं है लेकिन उनकी इस काबिलियत को जानकर हमे उनपर गर्व महसूस होता है और उनकी इस काबिलियत को देख कर ऐसा महसूस होता है की हमारे देश में नौकरी का आधार काबिलियत और लगन नहीं, बल्कि जाति, धर्म, भौगोलिकता, रिश्वत (सैटिंग) का हुनर, शासन के किसी महत्वपूर्ण पद पर रिश्तेदारी, रूलिंग पार्टी में सक्रियता और कागज का वह टुकड़ा है, जो विश्वविद्यालय का वो अधिकारी जारी करता है , जो अक्सर उस विषय में अनपढ़ ही होता है|और यही वजह है की आज हमारा देश विकास तो कर रहा है लेकिन उस कदर नहीं कर पा रहा है जितना करना चाहिए।

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