अपने बेजोड़ अभिनय के दम पर दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री नंदा दामोदर ने बाल कलाकार के रूप में ही अपने फिल्म करियर की शुरुआत करी थी. उन्होंने सादगी और मासूमियत को अपने अभिनय की सबसे बड़ी ताकत बनाकर बेहतरीन हीरोइन बनी. फिल्म जब जब फूल खिले में उन पर फिल्माया गया गाना ये समा आज भी याद किया जाता है.
नंदा दामोदर :
नंदा दामोदर का जन्म 8 जनवरी 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था. इनके पिता विनायक दामोदर थे जो एक मराठी फ़िल्मों के अभिनेता और निर्देशक थे. वह अपने घर में सात भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं. जब वह पच साल की थी तब एक दिन स्कुल से वापस आई तो उनके पिता ने कहा की तुम्हारी शूटिंग है और तुम्हारे बाल काटना है तो यह सुनकर नंदा जी नाराज हो गई और कहा की मुझे कोई शूटिंग नहीं करना है और न ही बाल काटना है.
मजबूरी में :
मां के समझाने पर वह मान गई और उनकी पहली फिल्म मंदिर था. इस फिल्म के निर्देशक उनके पिता ही थे. लेकिन फिल्म पूरी होती इससे पहले ही उनके पिता का निधन हो गया.जिसके बाद उनके घर की आर्थिक हालत ख़राब हो गई और मजबूरी में उन्होंने फिल्मों में अभिनय करने का फैसला लिया.
पांच साल की उम्र में :
नंदा अपने दौर की बेहद खूबसूरत और बेहतरीन हीरोइन थीं. जब बॉलीवुड में नंदा ने काम करना शुरू किया था तो उनकी छवि छोटी बहन की बन गई थी. क्योंकि पांच साल की उम्र में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था. उस दौरान वो लीड एक्टर की छोटी बहन का किरदार निभाया करती हैं. लेकिन बाद में उन्होंने इसे बदल दिया था.
मराठी फिल्म :
छोटी से उम्र में ही उन्होंने चेहरे की सादगी और मासूमियत को अपने अभिनय की ताकत बनाया. रेडियो और स्टेज पर भी काम करने लगीं. वह 10 साल की उम्र में ही हीरोइन बन गईं. लेकिन हिन्दी सिनेमा की नहीं बल्कि मराठी फिल्म की. इसके बाद दिनकर पाटिल की निर्देशित फिल्म कुलदेवता के लिए नंदा को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार भी मिला था.
हिंदी फिल्म :
नंदा जी ने हिंदी फिल्म में अपना करियर 1957 में आई फिल्म भाभी के लिए पहली बार सर्वश्रेठ सहभिनेत्री का फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी मिला और उसी साल आई चाचा वी शांता राम की फिल्म तूफान और दिया में काम किया था. इसके बाद उन्होंने 1959 में फिल्म छोटी बहन में राजेंद्र कुमार की अंधी बहन का किरदार निभाया था. उनका अभिनय सभी लोगों को काफी पंसद आया था. कुछ लोगों ने तो उन्हें कई राखी भी भेजी थी. उसी साल राजेंद्र कुमार के साथ उनकी फिल्म धूल का फूल आई जो सुपरहिट रही. इस फिल्म से नंदा कई उचाईयों पर चली गई.
शशि कपूर के साथ :
इसके बाद उन्होंने गुमनाम में मनोज कुमार के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके बाद उन्होंने फिल्म मेरा कसूर क्या है उनके साथ काम किया. लेकिन शशि कपूर के साथ वाली जोड़ी फिल्म में सफल रही. फिल्म जब जब फूल खिले में नजर आई थी, जो आज भी उस फिल्म के गाने को याद किया जाता है उनका गाना ये समा सबसे लोकप्रिय रहा है.
कई हिट फिल्में :
कई हिट फिल्में देने के बाद उन्होंने अलग अभिनय के लिए फिल्म इत्तेफाक में निगेटिव किरदार निभाया लेकिन उनका यह अभिनय लोगों को पंसद नहीं आया. फिर फिल्म नया नशा में भी ड्रग एडिक्ट की भूमिका निभाई लेकिन उनकी फिल्म फ्लॉप हो गई. उनके बाद तो उनकी समझ आ गया की ऐसे निगेटिव किरदार में वह अपनी पहचान खो सकती है. इसके बाद तो नंदा जी ने फिल्म असलियत, जुर्म और सजा जैसी ही फिल्म करी उनकी आखिरी फिल्म थी प्रेम रोग जिसमे उन्होंने माँ का किरदार निभाया था.
निजी जिंदगी में :
नंदा ने किसी न किसी बहाने से शादी नहीं करी. लेकिन उनकी सगाई फिल्म निर्माता मनमोहन देसाई से हुई थी. सगाई के बाद मनमोहन देसाई की अचानक मौत हो गई थी. जिसके बाद नंदा ने किसी और शादी नहीं की. नंदा की चाहत का पता इसी से लगाया जा सकता है कि मनमोहन देसाई की मौत के बाद नंदा जब भी कहीं नजर आईं वो सफेद कपडों में ही दिखीं. लेकिन नंदा अपनी निजी जिंदगी में गम में डूबी रही
उनका निधन :
अपने बेजोड़ अभिनय के दम पर दिलों पर राज करने वाली नंदा 25 मार्च 20 14 को उनका निधन हो गया बाल कलाकार के रूप में अपने फिल्म करियर की शुरुवात करी थी. 75 साल की उम्र में कई मराठी फिल्म और हिंदी फिल्म करी और सफल भी रही और कई दिलों पर राज भी करा.