Chaudhary Basant Singh के परिवार ने देश को दिए हैं IAS, IPS जैसे 11 ऑफिसर्स

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Chaudhary Basant Singh Family IAS ans IPS in hindi –

सरकारी नौकरी पाने की इच्छा हर किसी की होती है लेकिन इसे पाने का अवसर कुछ ही लोगों को मिल पाता है. ऐसा नहीं है कि सरकारी नौकरी हर किसी को नहीं मिल सकती है, लेकिन सच यह है कि सरकारी नौकरी के लिए जो मेहनत लगती है वह हर किसी से नहीं हो पाती है. ऐसे में हम बात कर रहे हैं चौधरी बसंत सिंह के परिवार के बारे में जिनके परिवार से 11 ऑफिसर्स बाहर निकले हैं.

जी हाँ, चौधरी बसंत सिंह सरकारी नौकरी की तैयारी करने वालों के लिए किसी मिसाल से कम साबित नहीं हुए हैं. वे खुद किसी बड़े परिवार से ताल्लुक नहीं रखते हुए भी अपने परिवार को इस काबिल बना गए कि उनके परिवार से सरकारी नौकरी पाने वालों की संख्या  बढ़ती गई है.

उन्होंने पढ़ाई के सही मायनों को समझते हुए अपने बच्चों को पढ़ाई की दिशा में आगे बढ़ाया और उन्हें अपना नाम कमाने का मौका दिया. चौधरी बसंत सिंह के परिवार से देश की सेवा में आईएएस, आईपीएस आदि पदों के साथ ही 11 ऑफिसर्स काम कर रहे हैं.

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चौधरी बसंत सिंह श्योंकद (chaudhary basant singh family from hariyana) के बारे में जानकारी देते हुए बता दें कि उनकी फैमिली हरियाणा के जींद जिले के गांव डूमरखां कलां की रहने वाली हैं. बसंत सिंह तो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी बातें अब भी हरियाणा की गलियों में हैं. बसंत सिंह का साल 2020 में देहांत हो गया.

बसंत सिंह का उठना-बैठना हमेशा से ही बड़े ऑफिसर्स के साथ रहा और इसकी शिक्षा ही उन्होंने अपने बच्चों को भी दी. बसंत सिंह ने अपने 4 बेटों और 3 बेटियों को भी पढ़ाई के लिए सपोर्ट किया.

अपनी पढ़ाई के बलबूते पर ही बसंत सिंह के चारों बेटे फर्स्ट क्लास ऑफिसर भी बने और अपने पिता का नाम भी रोशन किया. जबकि उनकी एक पुत्रवधू ने भी आईएएस बनकर अपने ससुर का मान बढ़ाया. इतना ही उनकी अब चौधरी बसंत सिंह के पोते भी आईएएस बन गए हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.

ऑफिसर बनने का यह सिलसिला जो बेटों से शुरू हुआ वह चलता ही जा रहा है और रुकने के नाम भी नहीं ले रहा है. अपने पोते के आईएएस बनने के बाद उन्हें पोती के भी आईपीएस ऑफिसर बनने की खबर मिली जोकि गर्व की बात है. एक दोहती आईआरएस है.

बसंत सिंह के परिवार के बारे में और बात करें तो उनके बड़े बेटे रामकुमार श्योकंद एक कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्य किया करते थे जोकि अब रिटायर हो चुके हैं. जबकि उनकी जयवंती श्योकंद एक आईएएस के पद पर रह चुकी हैं. राजकुमार के बेटे के बारे में बात करें तो उनका नाम यशेंद्र है जोकि आईएएस है.

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उनकी बेटी का नाम स्मिति चौधरी है और वे आईपीएस (smiti chaudhary ips) के पद पर हैं. समिति के पति ने भी कम नाम नहीं कमाया है. उनका नाम राजेश कुमार है और वे बीएसएफ में आईजी के पद पर हैं.

बसंत सिंह के दूसरे बेटे का नाम सज्जन कुमार (sajjan kumar) है जोकि कॉन्फेड में जीएम रह चुके हैं. जबकि उनकी पत्नी जिनका नाम कृष्णा है वे डिप्टी डीइओ के पद पर रह चुकी हैं.

चौधरी बसंत सिंह के तीसरे बेटे का नाम वीरेंद्र (basant singh son virendra) है जोकि एक एसई के पद पर थे. वीरेंद्र की पत्नी इंडियन एयरलाइंस में डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं. 

बसंत सिंह के चौथे बेटे गजेंद्र सिंह (basant singh son gajendra singh) हैं जो कि कुछ समय पहले ही इंडियन आर्मी में कर्नल पद से रिटायर हुए हैं. फ़िलहाल वे निजी पायलट के रूप में काम कर रहे हैं और अपनी सेवा दे रहे हैं.

उनके बेटों के बाद बात करें बेटियों के बारे में तो बता दें कि उनकी बेटियां भी किसी मामले में कम नहीं हैं. उनकी बड़ी बेटी का नाम बिमला (chaudhary basant singh daughter bimla) है जिनके पति इंद्र सिंह एक एडवोकेट हैं. जबकि बिमला के बेटे अनिल ढुल एसई विजिलेंस के रूप में काम कर रहे हैं.

बसंत सिंह की दूसरी बेटी का नाम कृष्णा (basant singh daughter krishna) है जोकि एक प्रिंसिपल के रूप में काम कर चुकी हैं. कृष्णा के पति का नाम रघुबीर पंघाल है जो कि इंडियन आर्मी में मेजर के पर पर काम कर चुके हैं. वे सेना से रिटायर हो चुके हैं और एचएयू में विभागाध्यक्ष के पद पर भी रह चुके हैं. उनकी बेटी का नाम दया पंघाल है जोकि ईटीओ है.

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चौधरी बसंत सिंह की तीसरी बेटी का नाम कौशल्या (chaudhary basant singh daughter kaushlya) है जिन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था. इनके हस्बैंड का नाम रणधीर सिंह है जोकि एसई पब्लिक हेल्थ के रूप में कार्यरत रहे हैं. इनकी बेटी का नाम रितु चौधरी है जोकि एक आईआरएस हैं, रितु के पति भी आईआरएस के पद पर हैं.

चौधरी बसंत सिंह के परिवार (chaudhary basant singh family) के बारे में सबसे खास बात यह हैं कि सभी भाई एकदूजे पर बहुत भरोसा करते हैं. उनके बड़े बेटे बात करते हुए कहते हैं कि डूमरखां कलां से उनके पिता जिंद जिला मुख्यालय आ गए थे. इस आगमन के बाद से ही वे पूरा परिवार यहीं रहता है.

गाँव में अब भी उनकी जमीन है जिसकी देखभाल का पूरा काम बड़े भाई रामुकमार सिंह भी देख रहे हैं. यहाँ तक की सभी भाई मिलकर उनके हिस्से की आमदनी भी उन्हें देते हैं.

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