8 साल की उम्र में माउंट एवेरेस्ट की चोटी पर फहराया तिरंगा, साहस से भरी है रित्विका शर्मा की कहानी

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हेलो दोस्तों ! सफलता की कहानी में आपका स्वागत है. आज हम बात करने जा रहे हैं अपने दम पर सफलता का परचम फहराने वाली रित्विका शर्मा के बारे में. वैसे इस बात से तो आप भी अच्छी तरह वाकिफ हैं कि महिलाऐं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र है जहाँ आज स्त्री की पहुँच नहीं है. ऐसे में रित्विका शर्मा सभी महिलाओं के लिए के मिसाल के रूप में सामने आई हैं. तो चलिए जानते हैं कौन हैं रित्विका शर्मा और रित्विका शर्मा ने ऐसा क्या किया है?

दरअसल रित्विका शर्मा ने महज 8 साल की उम्र में ही माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. जी हाँ, और तो और रित्विका ने इस मुकाम को उस वक्त हासिल किया था जब नेपाल भूकम्प की मार झेल रहा था. उनके साथ इस साहस भरे कदम में उनके भी कंदर्प भी साथ थे. संसार की सबसे ऊँची छोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुँचने वाले ये सबस कम उम्र के भारतीय भी बन चुके हैं.

यह एक अनूठा रिकॉर्ड है जो इन दोनों के नाम हुआ है. बता दें दोनों भाई-बहन ने पूर्वोत्तर नेपाल में 5,380 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप पर पहुंचकर यह रिकॉर्ड बनाया है. जहाँ रित्विका ने 8 साल की उम्र में यह कारनामा किया तो वहीँ कंदर्प की उम्र इस वक्त केवल पांच वर्ष थी. दोनों मध्य प्रदेश के ग्वालियर के रहने वाले हैं.

रित्विका को इस मुकाम तक पहुचने में उनके माता-पिता का काफी सपोर्ट रहा है. उन्होंने अपने बच्चों को हमेशा से आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है. कीर्तिमान को रचने के बाद जब वे लौटे तो उन्हें नेपाल के उपराष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया.

रित्विका के बारे में अधिक बात करें तो आपको बता दें कि उनके पिता का नाम भूपेंद्र शर्मा है और वे खुद भी एडवेंचर स्पोर्ट्स में इंटरनेशनल लेवल ‘ए’ प्लस ग्रेड धारक हैं. तो वहीँ दोनों भाई-बहन भी साहसिक खेलों के राष्ट्रीय स्तर के स्पोर्ट्स पर्सन हैं. रित्विका और कंदर्प को लेकर भूपेंद्र का कहना है कि उन्होंने अपने बच्चों में शुरू से ही एडवेंचर स्पोर्ट्स को लेकर रूचि देखी थीं. इसे देखते हुए ही उन्होंने रित्विका को महज 6 माह की उम्र से ही ट्रेनिंग देना भी शुरु कर दिया था.

रित्विका ने इस दिशा में जब स्विमिंग की ट्रेनिंग ली थी तब उनकी उम्र कुछ सात साल थी. इसके साथ ही भूपेंद्र शर्मा ने उन्हें हॉर्स रीडिंग की ट्रेनिंग भी दी. रित्विका ने एक साल ही उम्र से ही अपना टैलेंट दिखाना शुरू कर दिया था. उन्होंने पहला करतब रॉक क्लाबिंग के रूप में दिखाया. इसके बाद उन्हें कई संस्थाओं से प्रोत्साहन मिला और साथ ही कई चैनल्स पर उनकी प्रतिभा को दिखाया गया.

अपने नाम एक नया रिकॉर्ड बनाने वाली रित्विका को जिला प्रशासन की तरफ से 2017-18 की बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओं का ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया. जिसे लेकर रित्विका का कहना है कि ‘प्रत्येक लड़की को स्वयं की सुरक्षा के लिए ट्रेनिंग लेना बेहद जरुरी है, ताकि वह किसी भी परिस्थिति में खुद को कमजोर नहीं होने दे.’

वहीँ अपनी सफलता को लेकर रित्विका कहती हैं, माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचना उनके लिए काफी रोमांचक सफ़र रहा. यहाँ से उन्होंने ना केवल एवरेस्ट को बल्कि बर्फबारी को भी बेहद करीब से महसूस किया. वे दोनों भाई-बहन अपने मॉम-डैड के साथ 8848 मीटर चोटी के आधार शिविर पर पहुंचे. यहाँ पहुंचने के बाद सभी ने तिरंगा फहराया और भारत माता की जय बोला.’

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