जानिए कौन है LJP सांसद पशुपति कुमार पारस? क्यों किया चिराग पासवान का तख्तापलट

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Pashupati Kumar Paras Biography in hindi – बिहार की राजनीति में एक नाम इन दिनों काफी सुर्ख़ियों में हैं. सोशल मीडिया से लेकर राजनीति के गलियारों और टीवी डिबेट में उस नाम की बहुत चर्चा हो रही है. जी हाँ हम बात कर रहे हैं लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से सांसद पशुपति कुमार पारस की. दिवंगत केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस इन दिनों सुर्ख़ियों में है. इसका कारण यह है कि पशुपति कुमार पारस ने रातों-रात बगावत करते हुए अपने भतीजे चिराग पासवान को पार्टी के अध्यक्ष पक्ष से हटाकर तख्तापलट कर दिया और खुद ही अध्यक्ष व संसदीय दल के नेता बन गए.

दूसरी तरफ चिराग पासवान अभी भी खुद को ही लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताते हुए लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं. बरहाल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का अध्यक्ष कौन रहेगा यह तो आने वाले वक़्त में ही पता चलेगा. इस बीच आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पशुपति कुमार पारस के बारे में. अचानक से बिहार की राजनीति में सबसे चर्चित किरदार बनकर सुख्रियों में आए पशुपति कुमार पारस के बारे में आज हम विस्तार से जानेंगे.

हम जानेंगे कि पशुपति कुमार पारस कौन है? पशुपति कुमार पारस का अब तक का राजनीतिक सफ़र कैसा रहा है?

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पशुपति कुमार पारस की जीवनी (Pashupati Kumar Paras Biography)

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से सांसद पशुपति कुमार पारस का जन्म 06 जून 1957 में हुआ था. पशुपति कुमार पारस के पिता का नाम जमुना प्रसाद और पशुपति कुमार पारस की माता का नाम सिया देवी है. पशुपति कुमार पारस के दो भाई है, जिनमें से एक का नाम रामविलास पासवान है. रामविलास पासवान ने ही लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की स्थापना की थी.

पशुपति कुमार पारस का पॉलिटिकल करियर (Pashupati Kumar Paras Political Career)

पशुपति कुमार पारस पारस की गिनती बिहार की राजनीति में दलित चेहरे के रूप में भी होती है. पशुपति कुमार पारस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1977 में की थी. इस साल पशुपति कुमार पारस ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था. अपने राजनीतिक जीवन के दौरान पशुपति कुमार पारस हमेशा अपने भाई रामविलास पासवान के साथ एकदम साये की तरह रहे. पशुपति ने रामविलास के साथ ही राजनीति की और उनके साथ ही राजनीति के गुर भी सीखें.

साल 1985 में पशुपति कुमार पारस ने एलकेडी उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के वाजेश्वर पासवान को हराकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद पशुपति JDU में शामिल हो गए. उन्होंने साल 1995 में जदयू के उम्मीदवार के रूप में अलौली से विधानसभा चुनाव जीता और तीसरी बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने. इसके बाद पशुपति ने साल 2000 में भी जदयू के टिकट पर ही अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

इस बीच साल 2000 में पशुपति के भाई और देश के दिग्गज नेताओं में से एक रहे स्वर्गीय रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की. ऐसे में पशुपति भी अपने भाई का साथ देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी में आ गए. साल 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में पशुपति लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उतरे और पांचवी बार विधानसभा पहुंचे. विधायक रहने के दौरान पशुपति कुमार पारस ने बिहार सरकार में पशु और मछली संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया.

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पशुपति कुमार पारस ने साल 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर हाजीपुर से 17वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लोक जनशक्ति पार्टी में सब कुछ ठीक ही चल रहा था कि 8 October 2020 को पार्टी के संस्थापक और पशुपति कुमार पारस के भाई रामविलास पासवान की मृत्यु हो गई. हालांकि उससे पहले ही रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था.

इस बीच पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच दरार पड़ने की शुरुआत हुई साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चिराग पासवान ने पशुपति कुमार पारस के इच्छा के बिना बिहार विधानसभा चुनाव में JDU के खिलाफ LJP के उम्मीदवार को खड़ा किया. चिराग के इस फैसले से पार्टी को नुकसान हुआ और चुनाव में LJP को महज 1 सीट मिली. कहा जा रहा है कि चिराग के मनमाने फैसलों की वजह से ही पशुपति कुमार पारस बगावत करते हुए चिराग का तख्तापलट कर दिया.

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पशुपति कुमार पारस की सम्पत्ति (Pashupati Kumar Paras Net Worth)

एक रिपोर्ट के अनुसार पशुपति कुमार पारस की कुल सम्पत्ति लगभग 6 करोड़ रुपए है.

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