सामाजिक कार्य से लेकर पहली महिला श्रीमती प्रतिभा पाटिल का राष्ट्रपति बनाने का सफ़र

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देश की प्रथम महिला श्रीमती प्रतिभा पाटिल का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में हुआ था. उन्होंने 2007 से लेकर 2012 तक देश की 12 वीं राष्ट्रपति रही है. वह इंडियन नेशनल कांग्रेस की सदस्य के रूप में देश के सबसे बड़े पद पर पहुचने वाली पहली महिला बनी है.

श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल :

Prior to becoming the President of First Lady, Mrs. Pratibha Patil from Social Work

श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में हुआ था. इनके पिता का नाम नारायण राव. जो की एक सरकारी वालिक थे, उनकी शिक्षा जलगाँव के आर.आर. स्कूल से आरंभ हुई. उन्होंने जलगाँव के मूलजी जैठा कॉलेज से एम.ए. की उपाधि प्राप्त करी.

सामाजिक कार्यों में सक्रिय :

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स्कुल की पढाई के बाद उन्होंने मुंबई के लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल कर जलगाँव में वकालत शुरू की. इस दौरान वे सामाजिक कार्य रहने लगी और भागीदारी करती रहीं. उनका विवाह देवीसिंह रणसिंह शेखावत से हुआ. उनके दो बच्चे भी है एक पुत्री तथा एक पुत्र.

करियर की शुरुवात :

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प्रतिभा जी ने अपने करियर की शुरुवात जलगाँव के जिला कोर्ट में शामिल होकर की. 27 साल की आयु में ही उन्हें महाराष्ट्र राज्य विधानमंडल के जलगाव निर्वाचन क्षेत्र में चुना गया. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में वे कई साल तक अलग-अलग पदों पर कार्यरत रही. साल 1967-72 के बीच उन्होंने शिक्षा के उप मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय शहरी सहकारी बैंक एवं ऋण संस्थाओं की निदेशक तथा भारतीय संघ की परिषद की सदस्य रह चुकी है.

विधानसभा की सदस्य :

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महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रह चुकी है और वे लगातार चार बार विधानसभा की सदस्य भी चुनी गईं थी. इस दौरान उन्हें महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री और केबिनेट मंत्री बनाया गया. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा की सदस्या बनी. दो वर्षों तक उन्होंने राज्यसभा का उपसभापतित्व सँभाला.

पहली महिला राष्ट्रपति :

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कुछ वर्षों तक वे महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रहीं. सन् 2004 में वे राजस्थान की पहली महिला राज्यपाल बनीं. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन होने के बाद राज्यपाल के पद से त्यागपत्र दे दिया और 25 जुलाई 2007 को, वह भारत के 12 वे राष्ट्रपति के रूप में विराजमान हुए.

उम्मीदों पर खरी उतरी :

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श्रीमती पाटिल के राष्ट्रपति पद पर चयन से महिलाओं को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी वे अपने सामाजिक कार्य से पीछे नहीं हटी हैं. वे लगातार बच्चों की शिक्षा की तरफ पूरी तरह से कोशिश करती रहती है और बच्चों से मिलकर उनकी समस्याओं को समझती हैं तथा सरकार को उनके कल्याण का उपाय करने का निर्देश देती हैं इन उम्मीदों पर वे काफी हद तक खरी उतरी हैं.

सुनहरे अवसर :

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श्रीमती प्रतिभा पाटिल की सरकार ने पिछले वर्षों में महिलाओं और बच्चों के लिए कई प्रकार के कार्य करवाए और उन्होंने कई राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के जरिए ग्रामीण कामकाजी महिलाओं को रोजगार के सुनहरे अवसर प्रदान किए गए हैं.

नई दिशा दिखाई :

Prior to becoming the President of First Lady, Mrs. Pratibha Patil from Social Work उनके समय में सामाजिक कार्य और महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण संबंधी कार्यक्रमों को तीव्र गति से लागू करने की कोशिश करी. जो भी हो श्रीमति पाटिल के नेतृत्व में देश को एक नई राजनीतिक एवं सामाजिक दिशा मिली और आज देश की हर महिला को प्रतिभा जी पर गर्व है सभी के लिए श्री मती प्रतिभा पाटिल एक प्रेरणा बनी है.

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