सलाम : विकलांगता को मात देकर उम्मुल खेर बनीं IAS, देश का नाम किया रोशन

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Ummul Kher Biography – उम्मुल खेर (ummul kher) आज लड़कियों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. उन्होंने यह बात सिद्ध की है कि एक इंसान अगर चाहे तो किसी भी परेशानी के होने के बावजूद कुछ भी कर सकता है. उम्मुल खेर (ummul kher) का जन्म भले ही विकलांग के रूप में हुआ था लेकिन उन्होंने अपनी विकलांगता को ही अपनी ताकत बनाया.

और देखते ही देखते उन्होंने उस मुकाम को हासिल किया जिसे पाना हर किसी के बस की बात नहीं है. उम्मुल खेर (ummul kher) ने IAS (आईएएस) बनकर ना अपना बल्कि अपने घरवालों का भी सपना पूरा किया. हम उनके हौंसले को सलाम करते हैं. और चलिए पढ़ते हैं उम्मुल खेर (ummul kher) के संघर्ष की कहानी से लेकर आईएएस बनने तक का सफ़र.

“चलिए पढ़ते हैं उम्मुल खेर बायोग्राफी हिंदी में” Ummul Kher Biography in Hindi

1. उम्मुल खेर (ummul kher) राजस्थान के मारवाड़ की रहने वाली हैं. उनका परिवार शुरू से ही गरीबी की मार झेल रहा था. गरीब होने के साथ ही परिवार अशिक्षित भी था. राजस्थान में परिवार का गुजर बसर भी ठीक से नहीं हो पा रहा था जिसके चलते उम्मुल का परिवार देश की राजधानी दिल्ली आ गया.

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2. उम्मुल जब महज 5 साल की थीं तब ही उनका परिवार उन्हें लेकर दिल्ली आ गया था. यहाँ उनकी फैमिली हजरत निजामुदीन के पास बारापुला में झुग्गी बस्ती के समीप ही रहने लगे थे.

3. उनका घर बल्ली और फट्टों का बना हुआ था. यहाँ हर तरफ चटाइयां लगी हुई थी. घर का फर्श भी कच्चा ही था. बारिश के दिनों में घर में पानी भर जाता था जिस कारण कई बार बाल्टियों से पानी खाली करना पड़ता था.

4. क्लास 5 वीं तक उम्मुल की पढ़ाई दिल्ली के आईटीओ में विकलांग बच्चों के स्कूल में ही हुई थी.

5. विकट परिस्थितियां चल ही रही थीं कि साल 2001 में उनकी झुग्गियां भी टूट गई. इसके कारन वे बेघर हो गए, और बारापुला से त्रिलोकपुरी पहुंचे जहाँ उन्होंने एक सस्ता घर लिया और यहाँ रहने लगे.

6. उम्मुल खेर (ummul kher) के पिता वहीं रेलवे जंक्शन के पर सामान बेचने का काम करते थे जो काम घर के बदलने के बाद छुट गया. इस समय उम्मुल कक्षा 7 वीं में पढ़ रही थीं.

7. अपने परिवार की स्थिति को देखते हुए उम्मुल ने इस दौरान ही त्रिलोकपूरी के बच्चों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया. उन्हें एक बच्चे के लिए 50 रुपए मिलते थे और वे बच्चों को 2 घंटे पढ़ाती थीं. बच्चों को पढ़ाने के बाद जो पैसा मिलता था उससे कमरे का किराया और कुछ सामान आ पाता था.

8. उम्मुल के आगे बढ़ने पर घरवालों ने भी विरोध जताना शुरू कर दिया. जब उम्मुल 8 वीं कक्षा में पढ़ना चाह रही थीं तब ही घरवालों ने उन्हें आगे पढ़ने से इनकार कर दिया था. घरवालों का यह कहना था कि 8 वीं कक्षा तक पढना भी बहुत है.

9. उम्मुल खेर (ummul kher) की फैमिली ने उन्हें समाज और परिवेश का हवाला दिया और यह कहा कि तुम्हारे पैर ख़राब हैं तो तुम्हें सिलाई का काम करना चाहिए.

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10. उनकी रियल मॉम नहीं थीं और वे सौतेली मॉम के साथ ही रहती थीं. जिसके चलते उनकी सौतेली मॉम के रिलेशन उनके साथ हमदर्दी वाले नहीं थे. घरवालों ने जब उन्हें आगे पढने से मना किया तो उम्मुल ने अपना घर तक छोड़ दिया था. वे घर छोडकर एक किराये के कमरे में रहने लगीं.

11. कमरे में रहने के बाद उम्मुल खेर (ummul kher) सुबह पढ़ने के लिए जाती थीं और बाद में आकर बच्चों को पढ़ाती थीं. जिसके बाद उन्हें 10 वीं क्लास में ही एक चेरिटेबल ट्रस्ट से स्कालरशिप मिल गई. उम्मुल की 12 वीं की पढ़ाई भी स्कालरशिप पर ही हुई.

12. जब उम्मुल खेर (ummul kher) ने क्लस 12 वीं में टॉप किया तो उनमें एक जज्बा पैदा हुआ और उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में आवेदन कर दिया और यहाँ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की.

13. लेकिन यहाँ भी उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा क्योंकि आगे की पढ़ाई के लिए प्रैक्टिकल देना जरुरी होता था और इसके लिए स्टूडेंट को शाम तक रुकना पड़ता था. यदि वे शाम तक रूकती तो बच्चों को नहीं पढ़ा पाती.

14. जिसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए उम्मुल खेर (ummul kher) ने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में एक अलग सब्जेक्ट के साथ आवेदन कर दिया और पढ़ाई शुरू कर दी. JNU में पढ़ाई शुरू होने के साथ ही उन्हें कई और भी परेशानियों से निजत मिल गई तो उन्हें पढ़ाई करने से रोक रही थीं.

15. उम्मुल खेर (ummul kher) ने बचपन से ही कई बड़े नाम और उनके कारनामों को सुना था और कुछ बड़ा करने के जज्बा भी खुद में जगाया था. हालाँकि परिवार की स्थिति के चलते उन्हें आगे बढ़ने से पहले बहुत कुछ सोचना था लेकिन इसके बावजूद भी कभी उन्होंने अपने विचारों को कमजोर नहीं होने दिया. जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में आने के बाद उम्मुल खेर (ummul kher) ने खुद को कुछ और रिलैक्स महसूस किया.

16. साल 2015 में वे जापान से वापस अपने देश आई और उन्हें यह समय सबसे उचित लगा कुछ कर दिखाने के लिए. वे जापान एक साल के लिए गई थीं.

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17. उम्मुल खेर (ummul kher) ने साल 2016 में पीएचडी के साथ ही आईएएस की तैयारी करना भी शुरू कर दिया. अपनी पहली ही कोशिश में उम्मुल खेर (ummul kher) ने सिविल सर्विस की परीक्षा को 420 वीं रैंक से पास किया.

18. उम्मुल को जन्म से ही अजैले बोन डिसऑर्डर बीमारी थी. इस डिसऑर्डर के कारण इसमें जन्म लेने वाले बच्चों की हड्डियां कमज़ोर होती जाती हैं. इसके कारण बच्चों की हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और वह कभी भी गिर जाता है. और उसे फ्रेक्चर होने की संभावना भी बढ़ जाती है.

19. उम्मुल खेर (ummul kher) को भी इस कारण 28 साल की उम्र में ही करीब 15 से भी अधिक बार फ्रैक्चर का सामना करना पड़ा है.

20. जब उम्मुल स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं तब ही उनकी मॉम का भी देहांत हो गया था. सौतेली माँ के साथ उम्मुल का रिश्ता भी कुछ अच्छा नहीं था जिसके साथ ही घर में भी कई और समस्याएँ थीं.

21. कॉलेज के दौरान ही उम्मुल खेर (ummul kher) ने अलग-अलग देशों में दिव्गंगों के लिए होने वाले प्रोग्राम्स में देश का प्रतिनिधित्व करना भी शुरू कर दिया था. वे साल 2011 में सबसे पहले एक प्रोग्राम के तहत दक्षिण कोरिया गई थीं.

22. साल 2014 में उनका चयन जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम (International Leadership Training Program, Japan) के लिए हुआ था. भारत के बीते 18 सालों के इतिहास में ऐसा केवल तीन ही स्टूडेंट्स के साथ हुआ था कि उनका इस प्रोग्राम के लिए सिलेक्शन हुआ. उम्मुल खेर (ummul kher) का नंबर चौथा है.

23. उम्मुल इस प्रोग्राम के लिए एक साल के लिए जापान चली गईं और यहाँ जाकर उन्होंने सीखा कि दिव्यांग लोग कैसे इज्जत की जिन्दगी जी सकते हैं. एक साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उम्मुल भारत वापस आ गईं और अपनी एमफिल की पढ़ाई की.

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24. उम्मुल खेर (ummul kher) कहती हैं कि उनकी फैमिली ने उनके साथ जो भी किया वह गलत था. उनके पिता ने भी कभी लड़कियों को अधिक पढ़ते हुए नहीं देखा था जिस कारण वे उम्मुल को अधिक नहीं पढ़ाना चाहते थे. हालाँकि उम्मुल खेर (ummul kher) ने अपने परिवार को भी माफ़ कर दिया है और अपनी फैमिली के साथ अच्छे रिलेशन बना लिए हैं.

25. उम्मुल के माता-पिता उनके बड़े भाई के साथ अब राजस्थान में ही रह रहे हैं. उम्मुल इस बारे में कहती हैं कि वे अपनी फैमिली से बहुत प्यार करती हैं और उनका सम्मान करती हैं. वे अपनी फैमिली को पूरा आराम देना चाहती हैं.

26. उनके जीवन में दुखों की शुरुआत तब हुई जब उनकी मॉम का निधन हो गया और उनके पिता ने भी दूसरी शादी कर ली. उनकी सौतेली मां नहीं चाहती थीं कि उम्मुल आगे बढ़ें.

27. उम्मुल अपने सपनों को पूरा करने के लिए यूपीएससी (UPSC) की तैयारी में लग गईं. उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 420 वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा भी पास कर ली. जिसके बाद उम्मुल को भारतीय राजस्व सेवा में जाने का मौका मिला. उम्मुल फ़िलहाल असिस्टेंट कमिश्नर (assistant commissioner ummul kher) के रूप में  देश की सेवा कर रही हैं.

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