Success Story of Nirma – नौकरी छोड़ घर-घर जाकर बेचा सर्फ, तब जाकर बना सबकी पसंद ‘निरमा’

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Success Story of Nirma – दोस्तों गुजरातियों के बारे में कहा जाता है कि व्यापार उनके खून में बसता है. जहाँ एक तरफ कई लोग हैं जो एक अच्छे वेतन वाली नौकरी करके शांति से अपनी जिंदगी जीना पसंद करते हैं. इसके उलट गुजराती लोग व्यापार करने में ज्यादा विश्वास करते हैं. दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम एक ऐसे ही सामान्य परिवार से आने वाले गुजराती व्यक्ति के बारे में जानेंगे, जिसने अपनी अच्छी खासी सरकारी नौकरी छोड़कर घर-घर जाकर सर्फ बेचने का काम शुरू कर दिया और आज वह शख्स देश के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं.

वाशिंग पाउडर निरमा

दोस्तों हम बात कर रहे है देश के एक बड़े बिजनेसमैन करसन भाई पटेल की और जो सर्फ उन्होंने घर-घर जाकर बेचना शुरू किया था, उसका नाम है निरमा. आज देश के कोने-कोने में महिलाएं कपड़े धोने के लिए निरमा वाशिंग पाउडर का उपयोग करती है. किसी समय देश में सर्फ के बिजनेस में विदेशी कंपनियों का एक छत्र राज हुआ करता था. लेकिन करसन भाई ने लोगों की जरूरतों को समझकर ऐसा प्रोडक्ट लोगों के सामने पेश किया जो आज पूरे भारत में फ़ैल गया है. किसी समय करसन भाई अकेले वाशिंग पाउडर बेचा करते थे जबकि आज उनकी कंपनी में लगभग 18000 लोग काम करते हैं. आज इस कंपनी का टर्नओवर 27000 करोड़ से ज्यादा हो गया है. तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे karsanbhai patel biography और success story of nirma के बारे में:-

किसान परिवार में हुआ जन्म

करसन भाई पटेल का जन्म 13 अप्रैल 1944 को गुजरात के मेहसाणा शहर में खोड़ी दास पटेल नाम के एक किसान के घर हुआ था. खोड़ी दास खुद ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दी. करसन भाई पटेल ने रसायन शास्त्र में बी.एस.सी की शिक्षा हासिल की है. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद करसन भाई बिजनेस करना चाहते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारन उन्हें मज़बूरी में नौकरी करना पड़ी.

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सरकारी नौकरी मिली

शिक्षा हासिल करने के बाद करसन भाई पटेल एक प्रयोगशाला में लैब असिस्टेंट की नौकरी करने लगे. कुछ समय बाद ही उन्हें गुजरात सरकार के खनन और भूविज्ञान विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई. इस तरह करसन भाई एक अच्छी सरकारी नौकरी और अपने खुशहाल परिवार के साथ जिंदगी बिताने लगे. कोई और होता तो ऐसी जिंदगी से खुश होता, लेकिन करसन भाई के मन में हमेशा बिजनेस करने की ही इच्छा रहती थी.

बेटी की मौत ने बदले हालात

करसन भाई पटेल की जिंदगी अच्छी चल रही थी. उनकी एक बेटी थी, जिसे करसन भाई पढ़ा-लिखाकर कुछ बनाना चाहते थे. करसन भाई चाहते थे कि उनकी बेटी कुछ ऐसा करे कि एक दिन पूरा देश उनकी बेटी का नाम जाने. लेकिन एक दिन हुए हादसे में करसन भाई की बेटी की मौत हो गई और उनका सपना टूट गया.

बेटी के नाम से शुरू की कंपनी

करसन पटेल की बेटी का नाम था निरुपमा, जिसे सभी प्यार से निरमा बुलाते थे. एक दिन उनकी बेटी का नाम पूरा देश जानेगा, इसी सोच के साथ करसन पटेल ने अपनी बेटी के नाम पर वाशिंग पाउडर बनाना शुरू किया. साइंस ग्रेजुएट करसन पटेल के लिए वाशिंग पाउडर बनाना कोई मुश्किल काम नहीं था. उन्होंने सर्फ बनाने का अपना एक फ़ॉर्मूला बनाया और साल 1969 में वाशिंग पाउडर ‘निरमा’ की शुरूआत की. करसन पटेल ने वाशिंग पाउडर के पैकेट पर अपनी बेटी की तस्वीर छाप कर उसे हमेशा के लिए अमर कर दिया.

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लोगों की जरूरत को समझा

उस समय देश में सर्फ के बिजनेस में विदेशी कंपनियों का एक छत्र राज हुआ करता था, लेकिन सर्फ के दाम इतने ज्यादा थे कि गरीब और निम्न मध्यवर्गीय परिवार खरीद ही नहीं पाते थे. इस कारण वह साबुन का इस्तेमाल करते थे, जिससे हाथ ख़राब होने का डर रहता था. ऐसे में करसन पटेल ने लोगों की जरूरत को समझते हुए 3 रुपए किलो में सर्फ बेचना शुरू कर दिया जबकि उस समय सबसे सस्ता सर्फ भी 13 रुपए की कीमत में आता था.

घर-घर जाकर बेचा सर्फ

करसन पटेल अपनी नौकरी में से समय निकालकर अपने घर के पीछे सर्फ बनाते थे और फिर घर-घर जाकर सर्फ बेचते थे. उन्होंने सर्फ बेचने के लिए साईकिल भी खरीद ली. सस्ता और अच्छा होने के कारण गरीब और निम्न मध्यवर्गीय परिवार उनसे सर्फ खरीदने लगे.

छोड़ दी नौकरी

नौकरी के कारण करसन पटेल को अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा था. उन्हें पूरा भरोसा था कि उनका व्यापार ज़रूर आगे बढ़ेगा. यही सोचकर करसन पटेल ने अपनी जमी-जमाई सरकारी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से सर्फ बनाने के बिजनेस में उतर गए.

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सबकी पसंद निरमा

वाशिंग पाउडर ‘निरमा’ पूरे देश में फैलाने के लिए करसन पटेल टेलीविजन विज्ञापन का सहारा लिया. विज्ञापन की जिंगल ‘सबकी पसंद निरमा’ घर-घर में लोकप्रिय हो गई. सस्ता और अच्छा होने के चलते जल्द ही पूरे देश में ‘निरमा’ वाशिंग पाउडर खरीदने वालों की संख्या बढ़ गई.

बना सबसे बड़ा ब्रांड

जहाँ एक तरफ बिजनेसमैन मार्किट में डिमांड बढ़ने पर सप्लाई तेज कर देते हैं, वहीँ दूसरी तरफ करसन पटेल ने मार्किट में डिमांड बढ़ने पर सप्लाई रोक दी. यानी लोग टीवी पर ‘सबकी पसंद निरमा’ एड देख रहे थे, लेकिन जब वह बाज़ार में इसे खरीदने जाते तो वहां उन्हें सर्फ नहीं मिलता. ऐसे में खुदरा विक्रेताओं ने करसन पटेल से निरमा की सप्लाई करने का अनुरोध किया और जब एक महीने बाद जब करसन पटेल ने मार्किट में निरमा की सप्लाई की तो लोगों में इसे खरीदने वालों की ऐसी होड़ मची कि यह उस साल भारत में सबसे अधिक बिकने वाला वाशिंग पाउडर बन गया. देखते ही देखते ‘निरमा’ एक ऐसा ब्रांड बन गया कि कोई और वाशिंग पाउडर ब्रांड उसके आसपास भी नहीं था.

निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

‘निरमा’ ब्रांड ने करसन पटेल की जिंदगी ही बदल डाली. साल 1995 में करसन पटेल ने अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना की. इसके बाद 2003 में उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना भी की.

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देश के 50 सबसे अमीर आदमी

किसी समय अपने घर से सर्फ बेचने का काम शुरू करने वाले करसन पटेल आज देश के 50 सबसे अमीर लोगों में से एक है. आज उनकी सम्पत्ति 4.1 बिलियन है.

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