हर रोल को बखूबी निभाया, पर फिर भी नही बन पायी हिरोइन

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70-80 के दशक के सभी लोगो का ये मानना है की एक हिरोइन बनने के सारे गुण अरुणा में मोजूद थे, लेकिन खराब किस्मत के कारण कुछ गलत फैसलों और फिल्मो में राजनीति होने से वो केवल चरित्र अभिनेत्री के रूप ही अपनी पहचान बना पायी।

शुरूआती जीवन

अरुणा इरानी का जन्म 3 मई 1952 मुंबई शहर में हुआ था। उनके पिताजी की थिएटर कंपनी थी। उनके दो भाई इंद्र कुमार और आदि ईरानी हैं और ये भी फिल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं। अरुणा ने बाल कलाकार, कॉमेडियन, खलनायिका, हीरोइन व चरित्र अभिनेत्री के रूप में काम किया।

शादी

अरुणा इरानी ने 38 साल की उम्र में सन 1990 में कुकू कोहली से शादी की। कुकू बॉलीवुड फिल्मो में निर्देशक, लेखक, संपादक और पटकथा लेखक है कुकू पहले से ही शादीशुदा है उनके बच्चे भी है। अरुणा से शादी करने के बाद भी कुकू ने अपनी पहली पत्नी को तलाक नही दिया।

कम उम्र में शुरू किया करियर

सिर्फ 9 साल की उम्र में ही अरुणा ने अपना फ़िल्मी करियर शुरू कर दिया था। 1961 में आई “गंगा जमुना” उनकी पहली फिल्म थी। इस फिल्म में उन्होंने अजरा का किरदार निभाया था और फिर वो आगे बढती चली गयी इसके बाद उन्होंने ‘जहांआरा’, ‘फर्ज’, ‘उपकार’ जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाए फिर कॉमेडी किंग महमूद के साथ उनकी जोड़ी बनी, जो ‘औलाद’, ‘हमजोली’, ‘नया जमाना’ जैसी फिल्मों में खूब सराही गई। अरुणा इरानी की खास बात यही थी कि वो कभी छोटे या बड़े परदे में कोई फर्क नही समजती थी , उन्हें जो भी रोल दिया गया वो उस रोल में जी कर उसे निभाती थी। उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर में कई ऐसे रोल निभाये जो आज तक लोगो के जहन में बैठे हुए है। अपने अंदाज़ और नृत्य से लोगो के दिलो में अपनी जगह बनाने वाली इस अभिनेत्री का 3 मई को जन्मदिन है।

उनके कुछ गाने “दिलबर दिल से प्यारे”, “मैं शायर तो नहीं”, “थोड़ा रेशम लगता है”, और भी बहुत है जो सिर्फ आज यहाँ पड़ने के बाद ही सुनने की इच्छा रखते है। में ये तो दावे के साथ नही कह सकती कि उन्हें बच्चा बच्चा पहचानता है लेकिन हां ये जरुर कह सकती हु की जो भी उन्हें जानता है वो उनके हर किरदार पर चाहे वो बाल कलाकार, कॉमेडियन, खलनायिका, हीरोइन व चरित्र अभिनेत्री किसी का भी हो आज भी सभी को याद होगा।

सभी की हेल्प की लेकिन खुद पीछे रह गयी

अरुणा ने इंडस्ट्री में आने वाले नए अभिनेता और अभिनेत्रियों की काफी मदद की। उन्होंने ‘फर्ज’ में जितेंद्र, ‘बॉबी’ में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया, ‘सरगम’ में जयाप्रदा, ‘लव स्टोरी’ में कुमार गौरव और ‘रॉकी’ में संजय दत्त की काफी हेल्प की थी, लेकिन वो कहते है न दुसरो को भला करने में कभी हम ही पीछे रह जाते है बस यही उनके साथ भी हुआ। उनका दुर्भाग्य ये रहा कि ये सभी सुपरस्टार बन गए और अरुणा सपोर्टिंग एक्ट्रेस बनकर रह गईं। हालांकि, उन्हें शानदार अभिनय के लिए ‘पेट प्यार और पाप’ (1985) और ‘बेटा’ (1993) के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग अवॉर्ड मिल चुका है। 2012 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

छोटे पर्दे पर भी छाई

इसके अलावा उन्होंने छोटे परदे पर भी काम किया, कई धारावाहिक में अपनी भूमिका निभाई। अभी वो फ़िल्मी दुनिया में फिर से आ रही है वो आज के दौर के निर्देशकों करण जौहर और इम्तियाज़ अली के साथ काम करना चाहती है। क्योकि उनका मानना ये है कि निर्देशक नये दौर पर फिल्म तो बनाते है लेकिन उनका ज्यादा फोकस लोगो के इमोशन पर होता है। बचपन से काम करती आई अरुणा की यही इच्छा है की वो आखरी साँस तक काम करे।

बचपन में इनसे करती थी प्यार

कॉमेडी किंग महमूद जिनके बारे में यही कहा जाता है कि वो अरुणा इरानी के बचपन का प्यार थे। वो बचपन में उनके स्कूल की फ़ीस भरते थे। उनके लिए चोकलेट लाते थे। अरुणा भी उन्हें पसंद करती थी लेकिन वो अचानक कही गायब हो गये। सालो बाद वो अपने बचपन के प्यार से मिली, उस वक्त वो फिल्मो में अपना काफी नाम कमा चुकी थी। उनके बचपन के प्यार से उन्हें विनोद खन्ना ने मिलवाया था , दरअसल वो प्रमोद खन्ना थे विनोद खन्ना के भाई।

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