भगवान शंकर के पसीने से उत्पन्न हुई थी माँ नर्मदा, अलौकिक सौंदर्य की दिखाई है कई लीलाएं

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भारत देश नदियों का देश है. हमारे देश में कई नदिया है लेकिन सभी नदियों में नमर्दा नदी को माँ का दर्जा दिया गया है. सभी नदियों में माँ नर्मदा सर्वोपरि है. कहा जाता है माँ नर्मदा में स्नान करने मात्र से ही मनुष्य के सारे पाप मिट जाते है.

व्यक्ति के रोग माँ के पवित्र जल में दुबकी लगाने से स्वतः नष्ट हो जाते है. पुराणों में माँ नर्मदा के बारे में व्याख्या की गई है.कहते है जो . माँ नर्मदा की भक्ति करते है उनका श्रद्धा से रतन करते है उन्हें कभी भी सांप नहीं काटता. पुराणों में माँ नर्मदा की उत्पत्ति के पीछे कहानिया काफी प्रचलित है.

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भारत के मध्यभाग में पूरब की तरफ से पश्चिम की ओर बहने वाली नर्मदा नदी मध्य प्रदेश एवं गुजरात की प्रमुख नदी है. माँ नर्मदा को गंगा के समान पूजा जता है. माँ नर्मदा की उत्पत्ति अमरकण्टक शिखर से हुई है. माँ नर्मदा के उद्भव स्थल से लेकर इसके समुद्र संगम तक करीब दस करोड़ तीर्थ बने हैं.

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पुण्या कनखले गंगा कुरुक्षेत्रे सरस्वती ।
ग्रामे वा यदि वारण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा ॥
नर्मदा संगम यावद् यावच्चामरकण्टकम् ।
तत्रान्तरे महाराज तीर्थकोट्यो दश स्थिता: ॥

उद्गम स्थल

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माँ नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक से हुआ है. माँ नर्मदा को मैकाल से निकलने के कारण मैकाल कन्या भी कहते हैं. स्कंद पुराण में इसका सम्पूर्ण वर्णन रेवा खंड के अंतर्गत बताया गया है. माँ नर्मदा की धारा पहाडो की चट्टानों से गुजरते हुए भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के ऊपर से बहती है.

शिवलिंग से निकलती है पावन धारा

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अमरकंटक के सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलने वाली नर्मदा नदी की पावन धारा को रुद्र कन्या के नाम से भी जाना जाता है. एक छोटी सी जगह से निकलने वाली माँ नर्मदा आगे चलकर अपना विशाल रूप धारण करती हैं.

बने है अनेक तीर्थ

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इस पवित्र नदी के तट पर अनेको तीर्थ बने हुए है जो अपनी खास महत्वता रखते है. माँ नर्मदा के उद्भव स्थल से लेकर इसके समुद्र संगम तक करीब दस करोड़ तीर्थ बने हैं.

प्रमुख तीर्थ

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माँ नर्मदा के इन तीर्थ स्थानों पर श्रद्धालुओं का हमेशा तांता लगा रहता है. माँ के प्रमुख तीर्थ स्थान में उद्गम स्थल, कपिलधारा, दूध धारा, शुक्लतीर्थ, मांधाता, शूलपाणि, भेड़ाघाट, भड़ौंच प्रमुख है.

अमरकंटक में उत्गम खंभात की खाड़ी में विलीन

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माँ नर्मदा अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल कर छत्तीसगढ़ से होते हुए मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र अंत में गुजरात में पहुंच कर तक़रीबन 1310 किमी की दुरी तय कर भरौंच के आगे खंभात की खाड़ी में समुद्र में समा जाती है.

परिक्रमा का प्रावधान

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भारतीय परंपरा के अनुसार माँ नर्मदा की परिक्रमा का विशेष प्रावधान हैं. लाखो की तादाद में श्रद्धालुओं माँ नर्मदा की परिक्रमा कर पुण्य की प्राप्ति करते है. पुराणों में माँ नर्मदा के लिए कहा गया है की नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से भक्तो के समस्त पापों का नाश होता है.

प्रसिद्ध जलप्रपात

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अमरकंटक से बहती हुई आती हुई माँ नर्मदा जबलपुर के निकट भेड़ाघाट में आती है जहा नर्मदा जलप्रपात काफ़ी प्रसिद्ध है.

गंगा, सरस्वती, नर्मदा

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पद्म पुराण एवं मत्स्य पुराण के अनुसार गंगा नदी कनखल में सरस्वती कुरुक्षेत्र में पवित्र है.लेकिन चाहे ग्राम हो या वन नर्मदा नदी सभी स्थानों में पवित्र है. माँ नर्मदा के दर्शन-मात्र से पापियों के पाप नष्ट हो जाते है.

अन्य नदियों में इतने दिनों में पाप होते है नष्ट

कहा जाता है की सरस्वती नदी में तीन दिनों में तीन बार स्नान करने से, यमुना नदी में सात दिनों तक स्नान करने से और गंगा नदी में सिर्फ एक स्नान करने से पाप नष्ट होते है.

श्राद्ध के योग्य तीर्थ

विष्णुधर्मसूत्र के अनुसार श्राद्ध के योग्य तीर्थ स्थल की सूची इस प्रकार है. माँ नर्मदा के सभी स्थलों को श्राद्ध के लिए योग्य बताया गया है. माँ नर्मदा की उत्पत्ति रुद्र के शरीर से हुई है. अमरकण्टक से उत्गम हुई माँ नर्मदा के इस पवन स्थल को महेश्वर और उनकी पत्नी का निवास-स्थान कहा गया है. सभी नदियों में श्रेष्ठ पुनीत नर्मदा नदी पितरों की पुत्री है. इस लिए इस नदी के तीर्थ स्थान पर श्राद्ध करने से अक्षय प्राप्त होता है.

प्रचलित माँ नर्मदा जन्म कथा

माँ नर्मदा के उत्गम की कथा काफी प्रचलित है कहा जाता है की एक समय भगवान शिव तपस्या में बैठे थे तो उनके पसीने से माँ नर्मदा प्रकट हुई थी. भगवान शंकर के पसीने से उत्पन्न हुई माँ नर्मदा ने अपने अलौकिक सौंदर्य की ऐसी चमत्कारी लीलाएं बताई की शिव-पार्वती भी अचम्भित हो गए थे.

केसे पड़ा नाम नर्मदा

माँ नर्मदा के आपलोकिक रूप को देखते हुए भगवान ने कहा की देवी तुमने हमारे दिल को काफी हर्षित किया है. आज से तुम्हारा नाम नर्मदा हुआ.

नाम का अर्थ 

माँ नर्मदा के अर्थ को समझे तो नर्म का मतलत होता है सुख और दा का अर्थ देने वाली. माँ नर्मदा को रेवा नाम से भी जाना जाता है. लेकिन माँ नर्मदा नाम ही सर्वमान्य है.

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