कहानी : चिड़िया ने सिखाई राजा को ज्ञान की 4 बातें

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हेलो दोस्तों ! आज हम किसी मोटिवेशनल व्यक्तित्व के बारे में नहीं बात कर रहे हैं बल्कि आपको एक कहानी सुनाने जा रहे हैं. यह कहानी वैसे तो एक राजा और एक चिड़िया की है, लेकिन इस कहानी में कुछ अच्छी बातें हैं जिन्हें हमें अपनी लाइफ में अपनाना चाहिए. तो चलिए पहले पढ़ते हैं कि आखिर यह कहानी है क्या ?

इस कहानी में एक राजा होता है जिसके पास एक बड़ा और आलीशान महल रहता है. महल के अन्दर सभी सुख और सुविधाएँ होती हैं. इसके साथ ही इस आलिशान महल में एक बहुत ही सुंदर बगीचा भी होता है. राजा के इस बगीचे में एक खुबसूरत अंगूर का पेड़ था. इस अंगूर के पेड़ पर अच्छी तादाद में अंगूर भी लगते और वे काफी अच्छे दिखाई देते.

रोजाना इस अंगूर के पेड़ पर एक चिड़िया आती और अंगूर खाती. चिड़िया अंगूर तो खाती लेकिन वह केवल मीठे अंगूर ही खाती और खट्टे अंगूर नीचे फेंक देती. यह सिलसिला इस पेड़ पर कई दिनों से देखने को मिल रहा था. इस पूरे वाकये को एक माली रोज ही देखता था.

माली ने कई दिनों तक उस चिड़िया को वहां से भगाने के कई प्रयास किए और कोशिश की कि वह चिड़िया को सबक सिखाए, लेकिन वह सफल नहीं हुआ और वह चिड़िया वहां आती रही. चिड़िया हर बार किसी ना किसी तरह से खुद को बचा लेती और अगले दिन फिर आ जाती.

आखिरकार माली इन सब से परेशान होकर राजा के पास गया और राजा को सारो बात विस्तार से बताई. राजा ने माली को कहा कि वे खुद इस मामले को देखेंगे और समझेंगे कि आगे क्या करना है. राजा ने अगले दिन खुद इस काम को देखने के लिए बगीचे का रुख किया. 

राजा ने अपनी सुझबुझ से इस बार चिड़िया को पकड़ लिया. लेकिन चिड़िया भी कुछ कम समझदार नहीं थी और उसने राजा के सामने अपनी बात रखी. चिड़िया ने राजा से कहा कि मैं आपको 4 ज्ञान की बातें बता सकती हूँ लेकिन इसके बदले में आपको मुझे छोड़ना होगा. राजा ने कहा ठीक है और चिड़िया की बातों को सुनने लगे.

चिड़िया ने कहा-

पहली बात तो यह कि ‘हाथ आए दुश्मन को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए.

दूसरी बात यह कि कभी भी किसी अंजान व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए.

तीसरी जरुरी बात कि जो भी हो चुका है उसका कभी पश्चाताप नहीं करना चाहिए.

इसके बाद चौथी बात बताने से पहले ही चिड़िया ने राजा से कहा कि, राजाजी आप मुझे थोडा सा ढीला छोड़ दीजिए क्योंकि मेरा दम घूंट रहा है. राजा ने जैसे ही चिड़िया को ढीला छोड़ा वह उड़ गई और बोली कि मेरे पेट में 2 हीरे हैं. राजा को यह सुनकर काफी पश्चाताप हुआ. और राजा को गुस्सा आने लगा.

यह सब देखकर चिड़िया ने राजा से कहा-

पहली बात जो मैंने आपसे कही थी कि हाथ आए दुश्मन को नहीं छोड़ना चाहिए, फिर भी आपने मुझे छोड़ दिया.

दूसरी बात मैंने आपसे कही थी कि अंजान पर भरोसा नहीं करना चाहिए, फिर भी आपने मुझपर भरोसा किया.

तीसरी बात कि जो हो गया उसका पश्चाताप नहीं करना चाहिए, फिर भी आप मेरे ही बारे में सोच रहे हैं. 

चिड़िया ने फिर कहा- राजाजी ! ज्ञान की बातें केवल सुनने ने पढने से कुछ नहीं होता, उन्हें अपनी लाइफ में भी उतारना बेहद जरुरी होता है.

तो दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी? हमें कमेंट्स के माध्यम से जरुर बताएं.   

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