अमिताभ बच्चन की मां तेजी (पहले सूरी) बच्चन एक समाज सेविका के रूप में भी जानी जाती थी और साथ ही साथ वह एक सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट भी हुआ करती थी. उन्होंने दिल्ली और इलाहाबाद में कई जगहों पर ग्रुप्स के साथ परफॉर्मेंस भी दे चुकी है. कॉलेजों के दिनों में उन्होंने कई नाटकों में अभिनय के साथ गायन आदि किया था.
तेजी बच्चन :
तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त, 1914 को पंजाब के लायलपुर,पाकिस्तान में हुआ था. वे सिख परिवार से थी. उनका मूल नाम तेजी सूरी था. उनके पिता का नाम सरदार खजान सिंह था, जो पंजाब में ही बैरिस्टर थे. तेजी को एक समाज सेविका के रूप में भी जाना जाता है. तेजी बच्चन हनुमान जी की भक्त थी. उन्हें अभिनय और गायिकी का शौक था. उन्होंने कॉलेज के दिनों में कई नाटकों में अभिनय के साथ गायकी भी करती थी.
पहली मुलाकात :
हरिवंश राय बच्चन की पत्नी श्यामा के निधन के बाद वर्ष 1941 में सिख परिवार में जन्मीं तेजी सूरी से शादी की थी. उनकी पहली मुलाकात बरेली के एक मित्र ज्ञानप्रकाश जौहरी के घर हुई थी. तेजी सूरी की कविताओं के हरिवशं राय बच्चन बहुत ही प्रशंसक हुआ करते थे.इसी कारण उन दोनों के बीच प्रेम और विवाह होने में देर नहीं लगी.
24 जनवरी 1942 को इलाहबाद के ज़िला मजिस्ट्रेट की अदालत में उन्होंने अपना विवाह रजिस्टर करवा लिया था. तेजी बच्चन के दो बेटे अमिताभ और अजिताभ बच्चन हैं. अमिताभ बच्चन ने बॉलीवुड में कदम रखा और वहीं, अजिताभ एक बिजनेसमैन हैं.
चर्चित और लोकप्रिय :
अपने समय में कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की जोड़ी भारत की चर्चित और लोकप्रिय जोड़ी मानी जाती थी तेजी बच्चन ने कई बार मंच पर अपनी कला का जौहर भी दिखाया था. उन्होंने तो दिल्ली और इलाहाबाद के कई जगहों पर ग्रुप्स के साथ परफॉर्मेंस दी थीं. शादी के बाद उन्होंने शेक्सपियर के प्ले में बेटे के साथ स्टेज शेयर भी कर चुकी थी. इस प्ले को उनके पति हरिवंश राय बच्चन ने अनुवाद किया था.
सबसे करीबी दोस्त :
तेजी बच्चन की सबसे करीबी दोस्त भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी थीं. उन्हें अक्सर इंदिरा जी के साथ देखा जाता था. और 1968 में राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी के वक्त तेजी बच्चन ने ही सोनिया को अपने घर पर ठहराया था. शादी के कुछ हफ्तों पहले ही सोनिया दिल्ली आ गई थीं। परंपराओं के अनुसार शादी से पहले बहू अपने ससुराल में नहीं रुक सकती थीं. इसी वजह से वे तेजी बच्चन के घर जाकर ठहरी थीं.
दिल को छू लेने वाली :
तेजी को इलाहाबाद में एक समाज सेविका कार्यकर्ता और रंगकर्मी के रुप में जानी जाती थीं. वह आनंद भवन भी आया-जाया करती थीं. हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन अपने युवा दिनों में साहित्य सम्मेलनों में बहुत मशहूर हुआ करते थे. दोनों की आवाज़ और कवि हरिवंश राय बच्चन की दिल को छू लेने वाली कविताएँ लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती थीं.
निधन :
2003 में 96 वर्ष की उम्र में डा. हरिवंश राय बच्चन के निधन के बाद से ही तेजी का स्वास्थ्य गिरता चला गया और 2004 से तेजी बच्चन का अधिकतर समय बीमारी की वजह से अस्पताल में व्यतीत हुआ, और 21 दिसम्बर, 2007 में उनका निधन हो गया.