जन्म से नेत्रहीन संदीप ने खुद खड़ा किया अपना बिजनेस, ऐसे पहचानते हैं नोट

0

गुजरात के सूरत के वराछा इलाके में रहने वाले संदीप जैन उन लोगों के सामने मिसाल है, जो अपनी असफलता का दोष किस्मत या किसी ओर चीज को देते हैं। नेत्रहीन होने के बावजूद संदीप जैन ने हार नहीं मानी और खुद का बिजनेस शुरू कर आत्मनिर्भर बने। संदीप जैन खुद का बिजनेस कर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे है और अपने परिवार की जिम्मेदारी भी बखूबी उठा रहे हैं।

बचपन से नेत्रहीन है संदीप

बता दे कि संदीप जैन बचपन से नेत्रहीन है। हालांकि नेत्रहीन होने के बावजूद वो किसी के आगे हाथ फैलाते बल्कि उल्टे जो उनसे मदद मांगे उनकी सहायता करते हैं। संदीप जैन सड़क किनारे अपनी स्टोल पर खाखरा, बेफर, चिक्की जैसी चीजें बेचते हैं। ग्राहकों को भी संदीप जैन के यहां की चीजें बहुत पसंद आती है। उनके कई ग्राहक फिक्स हो चुके हैं। अपने इस बिजनेस की मदद से संदीप हर महीने 20 से 30 हजार रुपए कमा लेते हैं। हालांकि लॉकडाउन में कमाई जरूर 10 से 15 हजार रुपए महीने पर पहुँच गई हैं, लेकिन इससे वह निराश नहीं है।

STD-PCO चलाते थे संदीप

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद संदीप जैन को सरकारी मदद से STD-PCO मिल गया था। इससे उनके परिवार का गुजारा चल रहा था, लेकिन मोबाइल क्रांति के बाद लोग STD-PCO का उपयोग कम करने लगे और धीरे-धीरे उनका STD-PCO बंद हो गया। ऐसे में संदीप जैन के सामने अपना और अपने परिवार का गुजारा करने के चुनौती आ खड़ी हुई।

शुरू किया पापड़ का बिजनेस

ऐसे में संदीप जैन ने पापड़ बेचने का काम शुरू किया। संदीप जैन खुद से पापड़ तैयार करते और ट्रेनों में बेचने लगे। धीरे-धीरे उन्हें मुनाफा होने लगा। इसके बाद उन्होंने पापड़ के साथ खाखरा और चिक्की बेचना भी शुरू कर दिया। इससे उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में संदीप ने बताया है कि आज तक किसी ग्राहक ने उनकी चीजों की क्वालिटी खराब होने की शिकायत नहीं की है।

संदीप का परिवार

संदीप के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां है। संदीप की पत्नी भी उनकी तरह नेत्रहीन है। दोनों ने साल 1999 में शादी की थी। अच्छी बात यह है कि संदीप की दोनों बेटियों को किसी तरह की समस्या नहीं है। उनकी एक बेटी बीकॉम की पढ़ाई कर रही है जबकि दूसरी बेटी सातवीं में पढ़ रही है।

RBI के ऐप से पहचानते हैं नोट

संदीप का कहना है कि वह नोट को बड़े आराम से पहचान लेते हैं। 10, 20, 50, 100 या 500 का नोट पहचानना उनके लिए आसान है। हालांकि नोटबंदी के दौरान जब नए नोट आए तो उन्हें थोड़ी मुश्किल जरूर हुई, लेकिन RBI ऐप की मदद से स्कैन करने से उन्हें पता चल जाता था कि वह कितने का नोट है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.