Indira Gandhi Biography : देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की जीवन गाथा

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Indira Gandhi Biography In Hindi – 

इंदिरा गाँधी का नाम किसी भी भारतवासी के लिए कोई अंजाना नाम नहीं है. देश की पूर्व प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गाँधी का नाम आज भी देश में सम्मान के साथ लिया जाता है. इंदिरा गाँधी का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (Indira Priyadarshini Gandhi) था जिन्होंने साल 1966 से लेकर साल 1977 तक लगातार तीन पारी तक भारत के प्रधानमंत्री के पद को संभाला. लेकिन उनकी चौथी पारी (साल 1980 से लेकर साल 1984) के दौरान उनकी हत्या हो गई.

वे देश की पहली और अब तक की देश की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री (First Prime Minister of India Indira Gandhi) रहीं. इंदिरा गाँधी भारतीय राजनीति का एक ऐसा नाम रही जिन्होंने केवल भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक राजनीति पर अपनी एक अनूठी छाप छोड़ी. इंदिरा गाँधी का जन्म नेहरू खानदान में हुआ था. और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की इकलौती पुत्री थीं. वैसे भी इंडियन पॉलिटिक्स में नेहरू और गाँधी परिवार को काफी पुराने समय से एक्टिव देखा जाता रहा है.

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इंदिरा गाँधी के बारे में कई ऐसी बातें हैं जो हम सभी को पता है लेकिन इसके बावजूद भी उनके जीवन के कई ऐसे किस्से हैं कई ऐसी बातें हैं जिनसे हम अभी अनजान है. जिसे इंदिरा गाँधी का असली नाम क्या है, इंदिरा गाँधी को गाँधी सरनेम कैसे मिला, इंदिरा गाँधी का ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गाँधी भारत की प्रधानमंत्री कैसे बनीं आदि (Indira Gandhi Biography).

आज के इस आर्टिकल में हम आपको इंदिरा गाँधी की बायोग्राफी (Indira Gandhi Biography) से लेकर उनके जीवन के हर छोटे बड़े पहलू पर नजर डालने वाले हैं. आज हम जानेंगे इंदिरा गाँधी कैसे राजनीति में आई, इंदिरा गाँधी का जन्म एवं शिक्षा, इंदिरा गाँधी की प्रेम कहानी, इंदिरा गाँधी की हत्या, इंदिरा गाँधी की शादी के बारे में. तो चलिए शुरू करते हैं इंदिरा गाँधी की जीवनी (Indira Gandhi Biography).

इंदिरा गाँधी का जीवन एवं शिक्षा :

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्म 9 नवंबर 1917 को (Indira Gandhi date of birth) नेहरु परिवार में हुआ था. साल 1934-35 में इंदिरा की स्कूली शिक्षा पूरी हुई और उन्होंने इसके बाद की शिक्षा के लिए शांतिनिकेतन में एडमिशन ले लिया. यह विश्वविद्यालय रविंद्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित है. रविंद्रनाथ टैगोर ही वे व्यक्ति थे जिन्होंने इंदिरा गाँधी को ‘प्रियदर्शनी’ नाम दिया था.

विश्व भारती विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इंदिरा गाँधी ऑक्सफोर्ड विश्व प्रवेश परीक्षा में बैठी परंतु वे इसमें सफल नहीं हो पाई और 1973 में उन्होंने पास होने के बाद सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड एडमिशन ले लिया. इस समय के दौरान भी इंदिरा गाँधी और फिरोज गाँधी की मुलाकात हुई थी.

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इंदिरा गाँधी का परिवार (Indira Gandhi family) :

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और और कमला नेहरू (Indira Gandhi parents JawaharLal Nehru and Kamla Nehru) के यहां इंदिरा गाँधी का जन्म हुआ था. एक राजनीतिक परिवार में जन्मी इंदिरा का मोहनदास करमचंद गाँधी से ना तो किसी तरह का खून का रिश्ता था और ना ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता. उनके पिता देश के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व भी रहे थे.

इंदिरा गाँधी का विवाह फिरोज गाँधी (Indira Gandhi and Firoze Gandhi) से हुआ था. इंदिरा गाँधी और फिरोज गाँधी के दो बेटे जिनके नाम राजीव गाँधी और संजय गाँधी थे. शुरुआत में संजय गाँधी को उनके वारिस के रूप में चुना गया था लेकिन एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई जिसके उपरांत राजीव गाँधी को अपनी पायलट की नौकरी को त्यागना पड़ी और उन्होंने 1981 में पॉलिटिक्स में कदम रखा.

जब इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी गई उसके बाद राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया गया. राजीव गाँधी की मृत्यु के बाद सोनिया गाँधी के हाथ में कांग्रेस पार्टी की कमान आ गई. राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया गाँधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. सोनिया और राजीव के बच्चों के नाम राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी है.

इंदिरा गाँधी का राजनैतिक सफर (Indira Gandhi Political Career) :

साल 1941 में इंदिरा गाँधी ऑक्सफोर्ड से वापस भारत आ गई थी. यहां आकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गई. इसके बाद जब साल 1950 में उनके पिता जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बने तब वे अपने पिता की निजी सहायक के रूप में काम करने लगी. साल 1964 में जब जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई तब इंदिरा गाँधी को राज्यसभा सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. इसके साथ ही उनका चयन लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में हुआ और वे सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं.

लेकिन जब लाल बहादुर शास्त्री का आकस्मिक निधन हुआ तब उस समय के कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के. कामराज ने इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री पद संभालने के लिए कहा. इंदिरा गाँधी ने लगातार चुनाव जीतने के साथ ही अपनी लोकप्रियता को भी बहुत तेजी से बढ़ाया और हमेशा विरोधियों के ऊपर हावी होती रहीं. वे साल 1966 से लेकर साल 1977 तक लगातार भारत गणराज्य की प्रधानमंत्री रहीं. लेकिन 1977 के आम चुनाव में पहली बार इंदिरा गाँधी और कांग्रेस दोनों को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन वे साल 1980 में फिर से सत्ता में लौटीं और देश की सेवा में लग गई लेकिन साल 1984 के दौरान उनके ही अंगरक्षक उनकी द्वारा उनकी हत्या कर दी गई.

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इंदिरा गाँधी की प्रेम कहानी (Indira Gandhi Love Story) :

कहा जाता है कि फिरोज गाँधी और इंदिरा गाँधी की मुलाकात सन 1930 में आजादी की लड़ाई के लिए एक कॉलेज के सामने दिए जा रहे धरने में हुई थी. इस धरने के दौरान कमला नेहरू बेहोश हो गई थी जिसके बाद फिरोज गाँधी ने उनकी देखभाल की थी. वे अक्सर उनसे मिलने उनके घर जाया करते थे जहां उनकी मुलाकात इंदिरा गाँधी से भी होती थी. जब 1936 में कमला नेहरू का निधन हुआ तब भी फिरोज गाँधी उनके पास थे. इस दौरान ही वे इंदिरा गाँधी की ओर आकर्षित भी हुए थे. धीरे-धीरे दोनों के बीच मुलाकात ही बढ़ने लगी दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे. साल 1942 में दोनों ने शादी कर ली. इंदिरा गाँधी ने फिरोज गाँधी से विवाह अपने पिता की मर्जी के खिलाफ किया था समय बाद नेहरू ने भी इस विवाह को अपनी स्वीकृति दे दी.

हालांकि कुछ समय के बाद दोनों का रिश्ता बिगड़ने लगा और1949 में इंदिरा गाँधी अपने बच्चों को लेकर अपने पिता के घर आ गई और फिरोज गाँधी लखनऊ में ही रहने लगे. कुछ समय के बाद फिरोज गाँधी की तबीयत खराब हो गई और 8 सितंबर 1960 को उनका दिल के दौरे के कारण निधन हो गया.

इंदिरा गाँधी का असली नाम क्या है? Real name of Indira Gandhi ?

हम सब जिन्हें इंदिरा गाँधी के नाम से जानते हैं उनका असली नाम इंदिरा प्रियदर्शनी नेहरू है. इंदिरा जवाहरलाल नेहरू की बेटी थी और फिरोज गाँधी से विवाह करने के बाद उनका सरनेम गाँधी हो गया. हालांकि फिरोज गाँधी को भी गाँधी सरनेम महात्मा गाँधी से मिला था. यानी हम अगर देखें तो इंदिरा गाँधी का असली सरनेम गाँधी ना होकर नेहरू है और उनका वास्तविक नाम इंदिरा प्रियदर्शनी नेहरू है.

इंदिरा गाँधी के कुछ बड़े फैसले और काम :

भारत में आपातकाल (Emergency In India) :

वह दिन था 12 जून 1975 का जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के द्नेवारा एक फैसला सुनाते हुए इंदिरा गाँधी के निर्वाचन को चुनावी धांधली के चलते शून्य घोषित किया गया था. इसके साथ ही कोर्ट ले द्वारा इंदिरा गाँधी को 6 सालों तक किसी भी संवैधानिक पद के लिए भी अयोग्य बताया गया. जब कोर्ट का यह फैसला सामने आया तब इंदिरा के सलाहकार सिद्धार्थ शंकर रे के द्वारा उन्हें संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत देश में आंतरिक आपातकाल लागू करने की सलाह दी गई.

जबकि इस समय में ही मोरारजी देसाई, जेपी और कुछ दिग्गज नेता दिल्ली के रामलीला मैदान में इंदिरा गाँधी को पद से हटाने के लिए जनसभा का आयोजन कर रहे थे. जिसके तुरंत बाद ही इंदिरा गाँधी ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा’ का हवाला देते हुए देश में आपातकाल की घोषणा कर दी. जिसके बाद इंदिरा गाँधी को जनवरी 1977 में ऐसा लगा कि आपातकाल को खत्म किया जाना चाहिए तो उन्होंने लोकसभा को भंग किया और नए चुनाव की घोषणा कर दी. इसका परिणाम यह हुआ कि 1977 के चुनाव में इंदिरा गाँधी व संजय दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा.

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ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) :

पंजाब के इतिहास में 1 जून 1984 को काला दिन या काले दौर की शुरुआत कहा जाता है. दरअसल 3 जून के दिन इंडियन आर्मी ने अमृतसर में प्रवेश कर स्वर्ण मंदिर को घेरा और फिर कर्फ्यू लगा दिया. इसके अगले दिन यहाँ सेना ने गोलीबारी करना शुरू की ताकि चरमपंथियों के पास मौजूद हथियारों की जानकारी हासिल की जा सके. लेकिन इस दिन की शाम तक ही इंदिरा गाँधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को शुरू करने के लिए कह दिया और सेना स्वर्ण मंदिर परिसर में घुस गई जिसके बाद यहाँ काफी खून-खराबा हुआ.

गोलीबारी का जवाब चरमपंथियों ने भी दिया और इस कारण ही अकाल तख्त तबाह हुआ और स्वर्ण मंदिर पर भी गोलियां बरसाई गईं. कई सालों में मंदिर में ऐसा समय आया था की वहां 6, 7 और 8 जून को पाठ नहीं हुआ और सिख पुस्तकालय भी जलकर खाक हो गया. भारतीय सेना की इस कार्रवाई से सिख समुदाय की भावनाओं को काफी ठेस पहुंची.

इस मामले को लेकर भारत सरकार ने आंकड़े पेश किए और बताया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार में भारतीय से सेना के 83 जवान मारे गए और 249 जवान घायल भी हुए. जबकि इस श्वेतपत्र में ही यह भी बताया गया कि 493 चरमपंथी और आम नागरिक इस घटना में मारे गए. इनके अलावा 86 लोग घायल और 1592 लोगों को अरेस्ट किया गया. हालाँकि इन आंकड़ों पर विवाद जारी है और सिख समुदाय का कहना है कि इस ऑपरेशन में निर्दोष मारे जाने वाले लोगों की संख्या हजारों में है.

लेकिन इसकी कहानी शुरू होती है साल 1978 में, बैसाखी के दिन भिंडरावाले के समर्थकों और निरंकारियों के बीच झड़प हुई थी और इस दौरान भिंडरावाले के 13 समर्थक मारे गए थे. इसके बाद जब साल 1981 में पंजाब में हिंसक गतिविधियां अधिक होने लगीं तो इसके आरोप भिंडरांवाले पर लगने लगे. लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं होने के चलते पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही थी. इस बीच अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के उप महानिरीक्षक एएस अटवाल को हत्कीया हरमंदिर साहिब परिसर में कर दी गई. जिसके उपरांत ही 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया गया.

साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध (War India-Pakistan 1971) :

साल 1971 में हुआ भारत-पाकिस्तान का युद्ध एक सैन्य संघर्ष था, जिसकी शुरुआत तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के कारण 3 दिसंबर 1971 में हुई थी और इसका समापन 16 दिसम्बर 1971 को ढाका समर्पण से हुआ. यह युद्ध कुल 13 दिनों तक चला था.

16 दिसंबर को हम विजय दिवस के रूप में सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन ही भारत ने पाकिस्तान को करारी हार दी थी जिसकी टीस आज भी साफ़ नजर आती है. उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी थीं और उनकी रणनीतियों और भारतीय सेना की बहादुरी के चलते ही भारत ने पाक को हराया था. इस जीत के बाद ही इंदिरा गाँधी को बारात रत्न से भी सम्मानित किया गया था.

इंदिरा गाँधी की हत्या (Indira Gandhi Death) :

यह घटना नई दिल्ली के सफदरगंज रोड है. 31 अक्टूबर 1984 के दिन इंदिरा गाँधी के बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बिंत सिंह ने इंदिरा गाँधी की 31 बुलेट मरकर हत्या कर दी. इस हत्या के पीछे स्वर्ण मंदिर में हुए नरसंहार को कारण बताया गया था.

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