अनोखी पहल : बच्चों को कचरे और वेस्ट प्लास्टिक के बदले मिलती है इन स्कूल्स में फ्री की पढ़ाई, बुक्स और खाना

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हेलो दोस्तों ! आज हम आपको एक ऐसे गाँव के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ स्कूल के बच्चों के हाथ में आपको कचरा दिखाई देगा. लेकिन इसे देख आप अपनी मानसिकता को यहाँ सेट ना कर लीजिएगा कि यहाँ के स्कूल के बच्चों से प्लास्टिक का कचरा उठवाया जाता है. दरअसल यहाँ बात कुछ और ही है.  इस कचरे के बदले में उन बच्चों को शिक्षा दी जाती है. हैरान करने वाली बात है ना ! तो चलिए जानते हैं इस बात के बारे में विस्तार से :

खबर है बिहार के गया के अंतर्गत आने वाले सेवाबीघा गाँव की. यहाँ के पद्मपनी स्कूल में आप रोजाना बच्चों को अच्छे से तैयार होकर और अपने हाथ में कचरा लिए आते आसानी से देख सकते हैं. ये बच्चे पहले कचरा यहाँ के डस्टबिन में डालते हैं फिर स्कूल में प्रवेश करते हैं. इस कचरे के बदले सभी बच्चों को फ्री में एजुकेशन के साथ ही बुक्स, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म आदि दी जाते हैं. इन बच्चों को यहीं पर खाना भी खिलाया जाता है.

अब जानते हैं इस पहल की शुरुआत करने वाले स्कूल के फाउंडर मनोरंजन प्रसाद समदरसी और इस पहल के बारे में.

मनोरंजन इस बारे में बात करते हुए कहते हैं, इस इलाके में लोग नेचर के प्रति कम ही सजग हैं. और साथ ही यहाँ के बच्चे भी गरीब घरों से बिलोंग करते हैं. कई बच्चे तो ऐसे हैं जो अपने परिवार से पहले ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ाई कर रहे हैं. इन सब बातों को देखते हुए यहाँ इस पहल की शुरुआत की गई. इसके साथ ही बच्चों को पर्यावरण और साफ-सफाई को लेकर भी सजग करने के प्रयास की शुरुआत हुई.

इस गाँव में एक टाइम ऐसा भी था जब यहाँ की कच्ची सड़क जोकि स्कूल और गाँव को आपस में जोडती थी, उस पर कचरा दिखाई देता ता. इस कचरे के कारण कई हानिकारक जीव यानि कीड़े पनपने लगे थे. ये कीड़े फस्लोंन को भी खराब करते थे और बारिश के मौसम में ये लोगों के लिए बड़ी बीमारी का कारण बन सामने आते थे. पंचायत से इसे लेकर कई खास कदम उठाए जाने थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं और पंचायत ने इसके सुधर के लिए कुछ भी नहीं किया. यहाँ तक की गाँव के लोगो ने भी इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया.

लोगों के जीवन पर बढ़ते हुए इस खतरे को देखते हुए मनोरंजन ने ही यह फैसला किया कि वे अपने स्टूडेंट्स के साथ मिलकर इस काम को अंजाम देंगे और गाँव की तस्वीर बदल कर रख देंगे. मनोरंजन ने इस काम के लिए पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों को रोड साफ़ करने के लिए कहा. मनोरंजन बताते हैं कि पहले बच्चों ने कचरा उठाने के इस विचार को लेकर कई सवाल किए.

लेकिन जब बच्चों को इस बारे में समझाया गया कि उन्हें अपने साथ का इलाका साफ़ रखना है और इसे साफ़ रखना कितना ज़रूरी है. तब जाकर बच्चों ने इस दिशा में अपने कदम आगे बढाए. बात को अपने दिमाग में बच्चों ने भी जगह दी और उसके बाद वे रास्ते में पड़ी प्लास्टिक की बोतलें, प्लास्टिक कचरे, सूखे कचरे, कूड़े आदि को उठाने लगे. वे इसे इकट्ठा करते और स्कूल के डस्टबिन मे डाल देते.

बाद में जब कचरे की मात्रा बढ़ते लगी तो हमने इसे अलग-अलग करके रीसाइक्लिंग यूनिट को देना शुरू किया. इसके अलावा स्कूल के बच्चे भी प्लास्टिक की बोतल्स में पौधे लगाने लगे.

देखते ही देखते बच्चों की यह कोशिश रंग लाने लगी. अब रास्ता ज़्यादा चौड़ा और साफ़ दिखने लगा है. इसे देखने के बाद बच्चों का भी हौंसला बढ़ता है. इसके साथ ही स्टूडेंट्स ने रास्ते के दोनों तरफ 2 हजार पौधे भी लगाए हैं. वे ही इन्हें पानी भी देते हैं और इनका ध्यान रखते हैं. इनका उद्देश्य गाँव में 5 हजार पौधे लगाना है. आपको बता दें मनोरंजन इसके साथ ही आसपास ने कई गांवों में 275 हैंडपंप लगवा चुके हैं. इसके अलावा भी उन्होंने कई ऐसे ही अच्छे कामों को अंजाम दिया है.

एक और स्कूल :

ठीक ऐसा ही काम असम के गुवाहाटी में मौजूद अक्षर फाउंडेशन भी करता है. यहाँ भी बच्चों के द्वारा प्लास्टिक का कचरा लाकर डस्टबिन में डाला जाता है जिसके बदले में उन्हें मुफ्त में पढ़ाई से लेकर खाना और बुक्स तक मिलती है. इसके तहत चलने वाले स्कूल में 100 बच्चे पढ़ते हैं. यह स्कूल पीयर-टू-पीयर लर्निंग मॉडल पर चलता है. यानि टीचर बड़े बच्चों को पढ़ाते हैं और बड़े बच्चे अपने से छोटे बच्चों को. इसके लिए उन्हें टॉय मनी भी दी जाती है.

तो दोस्तों आपको इस स्कूल्स की यह पहल कैसी लगी हमें कमेंट के माध्यम से जरुर बताएं.

 

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