Isha Foundation : क्या है ईशा फाउंडेशन ? जानिए ईशा फाउंडेशन के कामों के बारे में

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What is Isha Foundation ? in Hindi –

ईशा फाउंडेशन एक ऐसा संगठन है जो लाखों लोगों के साथ सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है. यह तमिलनाडु बेस्ड एक आध्यात्मिक संगठन है. ईशा फाउंडेशन की स्थापना आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के द्वारा साल 1992 में की गई थी. यह फाउंडेशन समाज के लिए काम करता है और इसके साथ ही योग और पर्यावरण की दिशा में भी एक्टिव है. ईशा फाउंडेशन में लगभग 20 लाख स्वयंसेवक काम कर रहे हैं.

आज हम आपको ईशा फाउंडेशन क्या है ? ईशा फाउंडेशन कैसे काम करता है ? ईशा फाउंडेशन के संस्थापक कौन हैं ? ईशा फाउंडेशन की उपलब्द्धियां क्या हैं ? ईशा फाउंडेशन के प्रोजेक्ट्स आदि के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं ईशा फाउंडेशन के बारे में विस्तार से.

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क्या है ईशा फाउंडेशन ? Kya hai Isha Foundation ?

भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थापित ‘ईशा फाउंडेशन’ एक समाजसेवी संस्था के रूप में काम कर रही है. यह पूरी तरह से एक नॉन-प्रॉफिटेबल ऑर्गेनाइजेशन (Isha Foundation is a non-profit, spiritual organisation) है. साल 1992 में इस फाउंडेशन की स्थापना जग्गी वासुदेव या “सद्गुरु” ने की थी. लाखों लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं. योग, पर्यावरण और सामाजिक क्षेत्र में ये लोग काम कर रहे हैं और अपना योगदान दे रहे हैं. मुख्य रूप से कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की मैं ब्रांच है, जबकि इसके साथ ही ईशा फाउंडेशन अमेरिका तक फैला हुआ है.

कौन हैं ईशा फाउंडेशन के संस्थापक ? Founder of Isha Foundation ?

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक का नाम जग्गी वासुदेव “सद्गुरु” (Isha Foundation founder Jaggi Vasudev Sadhguru) है. सद्गुरु का जन्म साल 1957 में मैसूर में हुआ था. सेवक इन्हें सद्गुरु के नाम से जानते हैं लेकिन इनका वास्तविक नाम जग्गी वासुदेव है. सद्गुरु के पिता एक डॉक्टर थे और लोगों की सेवा करते थे. जबकि सद्गुरु को बचपन से ही प्रकृति से काफी लगाव था. प्रकृति से प्रेम के चलते वे कई बार जंगल में भी घूमने के लिए निकल जाते थे.

वे कई दिनों तक प्रकृति के बीच ही रहते थे. इसके साथ ही साथ उनमें योग के लिए भी काफी रूचि पैदा हो गई थी. इसके अलावा वे पढ़ाई में भी काफी अच्छे रहे. उन्गहोंने मैसूर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी विषय में ग्रेजुएशन पूरा किया था. लेकिन जब वे 25 साल के हुए तब उन्होंने आध्यात्म चिंतन की दिशा में अपने कदम बढ़ा लिए और इसके बाद वे प्रकृति की तरफ ही मुड़ गए और फिर कभी पीछे नहीं देखा. ईशा फाउंडेशन के जरिए वे लोगों को अपने विचार समझाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने साल 1992 में इस फाउंडेशन की स्थापना की.

भारत सरकार के द्वारा जग्गी वासुदेव को पर्यावरण की दिशा में काम करने, नदियों का संरक्षण करने और योग में योगदान देने के चलते साल 2017 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था. उन्होंने एक लेखक के रूप में भी काम किया और बुक लिखी. इस बुक का नाम “inner engineering:a yogi’s guide to joy” रखा गया जिसे काफी प्रसिद्धि भी मिली. जग्गी वासुदेव ने अच्छे वक्ता के रूप में कई अंतराष्ट्रीय मंचों पर भाषण भी दिया है. उनका नाम इंडिया टुडे की लिस्ट “मोस्ट पावरफुल इंडियंस’ में 40वीं स्थान पर आए थे.

आपको बता दें कि सद्गुरु की शादी विजयकुमारी से हुई थी. हालाँकि विजयकुमारी का निधन साल 1997 में हो गया था. जग्गी वासुदेव के ससुर ने उनपर अपनी बेटी की हत्या का आरोप लगाया था लेकिन बाद में पुलिस से उन्हें क्लीन चीट मिल गई. जग्गी वासुदेव और विजयकुमारी की बेटी का नाम राधा है और उनकी शादी साल 2014 में संदीप नारायण से हुई.

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ईशा फाउंडेशन की क्या उपलब्द्धियां हैं ?

1. भारत सरकार ने ईशा फाउंडेशन को उसके योगदान को देखते हुए साल 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार दिया गया था.

2. ईशा फाउंडेशन को ECOSOS के साथ भी सलाहकार की स्थिति मिली हुई है.

3. साल 2006 में ईशा फाउंडेशन ने तमिलनाडु के 27 जिलों में 8 लाख 52 हजार पौधे लागए थे. इस रिकॉर्ड को एक ही दिन में पौधे लगाकर बनाया गया था. इसके चलते ईशा फाउंडेशन का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज है.

4. साल 1997 में ईशा फाउंडेशन के द्वारा इंडियन हॉकी टीम के लिए भी एक योग कोर्स करवाया गया था. इसके अलावा कई बड़ी कम्पनीज भी ईशा फाउंडेशन से अपने लिए योग कोर्स करवाती है.

ईशा फाउंडेशन के प्रोजेक्ट्स : Isha Foundation Projects :

ग्रीन हैण्ड प्रोजेक्ट : इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ईशा फाउंडेशन 11 करोड़ पौधों का रोपण करने वाला है. इनमें से करीब 72 लाख से भी अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं.

ईशा योग : देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ईशा फाउंडेशन के द्वारा योग क्लासेस चलाई जा रही है. अमेरिका जैसे देशों में भी ईशा फाउंडेशन काम कर रहा है.

ग्रामीणों का विकास : ईशा फाउंडेशन के द्वारा ग्रामीण और सुदूर इलाकों को भी मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है और इसके द्वारा ग्रामीण इलाकों के लोगों की स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है.

रैली फॉर रिवर प्रोजेक्ट : इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नदियों के संरक्षण के लिए काम किया जा रहा है और लोगों में जागरूकता फैलाई जा रही है. कई बड़े सेलेब्रिटीज भी इस फाउंडेशन से जुड़कर मदद कर रहे हैं. आप भी इसकी मुहीम से जुड़ सकते है और आर्थिक सहायता कर सकते हैं.

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