अपना इंजीनियरिंग का सर्टिफ़िकेट हासिल करने के लिए लड़की को करना पड़ी मनरेगा में मजदूरी

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इसे देश का दुर्भाग्य कहे या कुछ ओर कि ओडिशा में रहने वाली एक 22 साल की लड़की को इंजीनियरिंग का सर्टिफ़िकेट लेने के लिए ‘मनरेगा’ में मजदूरी करना पड़ी. इस लड़की ने करीब तीन हफ्ते तक ‘मनरेगा’ में मज़दूरी की. हालांकि बाद में इस लड़की के संघर्ष की कहानी सोशल मीडिया के जरिए वायरल हुई तो कई लोग लड़की की मदद के लिए आगे आए, जिसके बाद अब उसे इंजीनियरिंग का सर्टिफ़िकेट लेने के लिए ‘मनरेगा’ में मजदूरी नहीं करना पड़ेगी.

कॉलेज ने सर्टिफ़िकेट देने से किया मना

हम बात कर रहे हैं ओडिशा के पुरी ज़िले के गोरडीपीढ़ गांव की रहने वाली 22 साल की रोज़ी बेहेरा की. गरीब परिवार में जन्म लेने वाली रोज़ी पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती है. इसके लिए रोजी ने बरुनेई इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी (बीआईईटी) से सिविल इंजीनियरिंग डिप्लोमा की पढ़ाई की. साल 2019 में उनकी पढ़ाई पूरी भी हो गई. जब रोजी अपनी इंजीनियरिंग डिप्लोमा का सर्टिफ़िकेट लेने के लिए पहुंची तो कॉलेज ने उन्हें सर्टिफ़िकेट देने से मना कर दिया क्योंकि उनका कॉलेज और हॉस्टल का कुल 44,000 रुपयों का बकाया था.

‘मनरेगा’ में की मजदूरी

रोजी और उसके परिजनों ने सर्टिफ़िकेट लेने के लिए जैसे-तैसे 20,000 रुपए की व्यवस्था करके चुकाए, लेकिन उसके बाद बचे 24000 रुपए चुकाने के लिए रोजी के पास कोई रास्ता नहीं था. ऐसे में रोजी और उसकी दो छोटी बहनों ने 24000 रुपए इकट्ठा करने के लिए मज़दूरी करना शुरू कर दिया. ‘मनरेगा’ में काम करने के लिए रोजी और उसकी बहनों को एक दिन के 207 रुपए मिलते थे.

मीडिया में बनी सुर्खियाँ

रोजी ने लगभग तीन हफ़्तों तक मनरेगा में मजदूरी की. इस दौरान उनकी कहानी मीडिया और सोशल मीडिया पर सुर्खियाँ बनने लगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रोजी को अब तक ज़िला प्रशासन की ओर से 30000, अभिनेत्री रानी पंडा की ओर से 25000 और चेन्नई के अशोक नाम के किसी व्यक्ति की ओर से 10000 रुपये मदद के लिए मिल चुके है. इसके अलावा भी कई लोगों ने रोजी की मदद की पेशकश की है.

बीटेक करना चाहती है रोजी

बता दे कि रोजी को अपना इंजीनियरिंग का सर्टिफ़िकेट लेने के लिए 24000 रुपए की जरुरत थी, लेकिन अब तक उससे ज्यादा मदद उनकी अब तक हो चुकी है. रोजी का कहना है कि, मैं सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक करना चाहती हूँ. मेरा सर्टिफ़िकेट लेने के बाद जो भी पैसे बचेंगे उससे मैं किसी अच्छे इंस्टीट्यूट से बीटेक करना चाहती हूँ.

सरकारी नौकरी करना चाहती है रोजी

बता दे कि रोजी के पिता पेशे से मिस्त्री है और उनकी मां खेतों में मजदूरी करती है. रोजी पाँच बहनों में सबसे बड़ी हैं. रोजी के माता-पिता के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वह अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवा सके. रोजी का कहना है कि वह बीटेक करने के बाद सरकारी नौकरी करना चाहती हैं.

कोई भी काम छोटा नहीं होता

रोजी का कहना है कि उनके किसी भी काम में शर्मिंदगी महसूस नहीं होती है. कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. साथ ही मेरे पास रुपए चुकाने का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था, ऐसे में मैंने मजदूरी करके पैसा जुटाने का निर्णय लिया. वहीं जब रोजी से पूछा गया कि उन्होंने कॉलेज के खिलाफ राज्य तकनीकी शिक्षा परिषद में शिकायत क्यों नहीं की तो रोजी ने कहा कि, ‘मुझे इस बारे में बिलकुल जानकारी नहीं थी.’

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