Kadambini Ganguly Biography – जानिए भारत की पहली डॉक्टर कादम्बिनी गांगुली कौन थी?

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Kadambini Ganguly Biography – दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे भारत की पहली महिला स्नातक और पहली महिला फ़िजीशियन (first male doctor in India) कादंबिनी गांगुली के बारे में. कादंबिनी गांगुली की कहानी देश के लाखों लोगों के सामने एक प्रेरणा है. जिस समय हमारे देश में लड़कियों के पढ़ने पर भी पाबंदी थी, उस समय कादंबिनी गांगुली ने ना सिर्फ पढ़ाई की बल्कि चिकित्सक की डिग्री हासिल करके देश की पहली स्नातक और फ़िजीशियन भी बनी. कादंबिनी गांगुली केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की पहली महिला चिकित्सक भी है.

जिस समय लड़कियों के पढ़ने पर भी पाबंदी थी, उस समय कादंबिनी गांगुली को चिकित्सक बनने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. उनकी पढ़ाई और नौकरी के बारे में काफी बुरी बातें भी की गई, लेकिन उन्होंने समाज की परवाह किए बिना अपना काम जारी रखा. कादंबिनी गांगुली ने खुद तो शिक्षा हासिल की, साथ उन्होंने जीवन भर महिलाओं की शिक्षा के आवाज भी उठाई.

दोस्तों वर्तमान समय कई लोग हैं जो कादंबिनी गांगुली के बारे में नहीं जानते हैं. लोगों के मन में अक्सर यह सवाल उठते हैं कि कादम्बिनी गांगुली कौन थी?, भारत की पहली महिला डॉक्टर कौन थी? (Who was first woman doctor of India), कादम्बिनी गांगुली कहाँ की रहने वाली थी? इनके अलावा भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. इस आर्टिकल में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे. तो शुरू करते हैं कादम्बिनी गांगुली का जीवन परिचय.

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कादम्बिनी गांगुली जीवनी (Kadambini Ganguly Biography)

भारत की प्रथम महिला डॉक्टर कादंबिनी गांगुली का जन्म 18 जुलाई 1861 को बिहार के भागलपुर में हुआ था. कादंबिनी गांगुली के पिता (Kadambini Ganguly Father) का नाम बृज किशोर बासु था.

कादम्बिनी गांगुली शिक्षा (Kadambini Ganguly Education)

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कादम्बिनी गांगुली ने साल 1982 में कोलकाता विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की. उस समय कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला थी, जिन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की थी. कादम्बिनी गांगुली के साथ एक अन्य भारतीय महिला ने भी उसी साल स्नातक किया था.

स्नातक की पढ़ाई करने के बाद कादम्बिनी गांगुली ने साल 1986 में ‘कोलकाता विश्वविद्यालय’ से चिकित्साशास्त्र की डिग्री हासिल की. इस तरह कादम्बिनी गांगुली और उनके साथ आनंदी गोपाल जोशी ने साल 1986 में एक साथ डिग्री हासिल की. इन दोनों ही महिलाओं को भारत की पहली महिला डॉक्टर के रूप में याद किया जाता है.

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चिकित्साशास्त्र की डिग्री हासिल करने के बाद कादम्बिनी गांगुली विदेश गई और ग्लासगो व ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च शिक्षा हासिल की. इसके बाद वापस भारत आकर कादम्बिनी गांगुली ने प्रैक्टिस शुरू कर दी और सामाजिक आंदोलनों में भी हिस्सा लेने लगी. कादम्बिनी गांगुली ने महिलाओं की शिक्षा, महिला कोयला खनिकों की स्थिति में सुधार और महिलाओं की अधिकारों के लिए प्रमुखता से आवाज उठाई. इसके अलावा कादम्बिनी गांगुली बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से प्रभावित थी. कादम्बिनी गांगुली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में भाषण देने वाली पहली महिला साथ. इसके अलावा साल 1914 में जब महात्मा गांधी कोलकाता आए थे तो उनके सम्मान में आयोजित सभा की अध्यक्षता भी कादम्बिनी ने ही की थी.

महिला डॉक्टर बनने के बाद भी कादम्बिनी गांगुली का संघर्ष कम नहीं हुआ. कई बार काम के चलते कादम्बिनी गांगुली को अस्पताल में रात भी गुजारना पड़ती थी, जिस कारण समाज उनको भला-बुरा कहता था. यहां तक की उस समय एक लोकल पत्रिका के संपादक ने अपनी पत्रिका में कादम्बिनी गांगुली के चरित्र पर सवाल तक उठा दिया था, जिसके बाद कादम्बिनी गांगुली ने उस पत्रिका के संपादक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया था. इस मामले में संपादक को 100 रूपये जुर्माने के साथ साथ 6 महीने की कारावास की सजा सुनाई गयी.

साल 1894 में एक बार नेपाल के शासक की मां देव शमशेर जंग बहादुर राणा बीमार पड़ गई. उस समय तक कादम्बिनी गांगुली की प्रसिद्धि सभी ओर फ़ैल चुकी थी. नेपाल के शासक को भी कादम्बिनी गांगुली की चिकित्सकी की योग्यता के बारे में पता चला. उसके बाद उन्होंने अपनी माँ के इलाज के लिए कादम्बिनी गांगुली को नेपाल बुलाया था. उसके बाद कादम्बिनी गांगुली ने नेपाल जाकर नेपाल के शासक की मां का सफलता पूर्वक इलाज किया.

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कादम्बिनी गांगुली परिवार (Kadambini Ganguly Family)

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कादम्बिनी गांगुली की मुलाकात द्वारकानाथ गांगुली से हुई. द्वारकानाथ गांगुली उस समय 39 साल के थे जबकि कादंबिनी गांगुली 21 साल की थी. इसके अलावा द्वारकानाथ गांगुली एक विदुर थे. उनके पांच बच्चे भी थे. इसके बावजूद 12 जून 1883 को कादम्बिनी गांगुली ने द्वारकानाथ गांगुली के साथ शादी की. वहीं बाद में कादंबिनी गांगुली ने भी तीन बच्चों को जन्म दिया. इस तरह कादम्बिनी गांगुली ने नौकरी के साथ 8 बच्चों का लालन-पालन भी किया.

कादम्बिनी गांगुली का निधन

कादम्बिनी गांगुली को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी. इसके बावजूद कादम्बिनी गांगुली कभी भी अपने काम और समाज के हित से पीछे नहीं हटी. 3 अक्टूबर 1923 को कादम्बिनी गांगुली अपने एक मरीज का इलाज करके घर लौटी ही थी कि उनका निधन हो गया. 62 साल की उम्र में कादम्बिनी गांगुली ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. हालांकि उन्होंने अपने जीवन में जो किया वह आज भी हम सभी के लिए एक मिसाल है.

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