‘डॉग मदर’ के नाम से जानी जाती हैं कावेरी राणा भरद्वाज, विकलांग और घायल कुत्तों की करती हैं मदद

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हेलो दोस्तों ! आजकल की दुनिया में जहाँ लोगों में इंसानियत कम होती जा रही है तो वहीँ कहीं-कहीं से इंसानियत की ऐसी मिसालें भी सामने आती हैं जो दिलों में एक नई उम्मीद भर देती हैं. हम बात कर रहे हैं आज एक ऐसी शख्सियत के बारे में जो जानवरों के लिए अपने दिल में अलग स्नेह रखती हैं. अपने इस स्नेह के चलते ही वे कुत्तों की जान बचाने का काम करती हैं और लोगों के लिए मिसाल कायम करती हैं. सबसे पहले हम आपको बता दें कि हम बात कर रहे हैं कावेरी राणा भारद्वाज के बारे में.

कावेरी राणा कुत्तों के बचाव के लिए काम करती हैं और विकलांग कुत्तों के सुधार के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. कावेरी ने अपने पति यशराज भारद्वाज के साथ सोफी मेमोरियल एनिमल रिलीफ ट्रस्ट की सह-स्थापना की है. इस कपल ने ग्रेटर नोएडा में इस ट्रस्ट की स्थापना की है और यह इस स्थान का पहला पशु आश्रय और स्मार्ट अभ्यारण्य है. कावेरी राणा का कहना है कि जब उनकी 12 साल की सोफी (पालतू डॉग) का निधन हो गया तब वे काफी उदास हो गई थीं. सोफी की मृत्यु एक बीमारी के कारण हो गई और कावेरी इस बात का सामना नहीं कर पा रही थी.

उनका मानना था कि यदि वे असहाय या विकलांग कुत्तों को बचाने का काम करती हैं तो वे सोफी की कमी को पूरा कर सकती हैं. बस उन्हें यही बात ठीक लगी और उन्होंने इस दिशा में अपने कदम बढाना शुरू कर दिया. वे कुत्तों के साथ एक खास बंधन भी शेयर करती हैं और उन्हें बचाती हैं, जिसके कारण ही उन्हें डॉग मदर भी कहा जाता है.

कावेरी राणा भरद्वाज अपने इस काम और इस बंधन को कई बार लोगो के सामने साझा कर चुकी हैं. वे कहती हैं कि वे अपने समय का एक हिस्सा बचाती हैं और कुत्तो को अपने बच्चों की तरह मानते हुए उनके साथ रहती हैं. कावेरी अपने कमरे में करीब 12 पिल्लों के साथ रहती हैं. इसके अलावा अपने ट्रस्ट के अंतर्गत वे एम्बुलेंस भी चलाती हैं. कावेरी राणा एक फ्रीलांस डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल के तौर पर सक्रीय हैं.

कावेरी का सोचना है कि जहाँ कई लोग यह मानते हैं कि घायल कुत्ते को देखभाल की आवश्यकता होती है तो वहीँ वे यह मानती हैं कि वे कुत्ते देखभाल से भी अधिक बहुत कुछ चाहती हैं. कावेरी राणा के अनुसार वे कुत्ते उचित जीवन के हक़दार हैं और उन्हें सामान्य जीवन में लाना बहुत जरुरी है.

सबसे पहले कावेरी और यश इस बातपर गौर करते हैं कि उन्हें अपने लाचार कुत्ते के लिए इलाज की जरुरत है या नहीं. यदि कुत्ते का मौके पर ही इलाज संभव है तो वे उसे गाजियाबाद के एक हॉस्पिटल Canine and Feline Critical Care Unit के सहयोग से इलाज के लिए ले जाते हैं यहाँ से उन्कहें उचित सहायता मिलती है. लेकिन साथ ही वे कुछ पैसा अपने जेब से भी भरते हैं.

कावेरी बताती हैं कि वे उन कुत्तों की जान बचाते हैं जो घायल होते हैं. वे घायल होते हैं और दर्द के कारण चिल्लाते और भौंकते हैं. लोग उनकी इस तड़प में चिल्लाने के चलते उन्हें मारते हैं और यहाँ से वहां भगाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. बल्कि इसके उनकी सहायता करना चाहिए ताकि वे फिर से अच्छे हो सकें और अच्छी जिन्दगी जी सके.

 

कावेरी राणा भरद्वाज की यह पहल आपको कैसी लगी? हमें कमेंट्स के माध्यम से जरुर बताएं.

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