लोगों की मदद करने के लिए बना डाली ऑक्सीजन सिलिंडर वाली बाइक एम्बुलेंस, ग्रामीण इलाकों में है कारगार
कहते है आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है. मध्यप्रदेश में धार जिले के रहने वाले 46 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर अज़ीज़ खान ने इस कहावत को सच करके दिखाया है. दरअसल मौजूदा समय में हमारा देश कोरोना महामारी से लड़ाई लड़ रहा है. देश में रोजाना कोरोना के रिकॉर्ड नए मामले सामने आ रहे हैं. एक साथ इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज सामने आने से हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई है. देश के कई हिस्सों में अस्पतालों में बेड नहीं होने की ख़बरें सामने आ रही है. कई जगहों पर लोगों को जरुरी दवाओं और ऑक्सीजन की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है.
इनके अलावा एम्बुलेंस की कमी के कारण भी कई जगह लोग समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पा रहे हैं. जहां एम्बुलेंस उपलब्ध है, वहां भी एंबुलेंस संचालकों के मनमाने रवैये के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश में धार जिले के रहने वाले, 46 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर अज़ीज़ खान लोगों की मदद करने के लिए आगे आए है. धार के वसंत विहार कॉलोनी में रहने वाले अज़ीज़ खान ने अपनी मेहनत और सुझबुझ से ‘Bike Ambulance’ बना दी है. उन्होंने एंबुलेंस को मरीजों की सुविधा को देखते हुए तैयार किया है. एंबुलेंस में बेसिक दवाई, IV ड्रिप और ऑक्सीजन सिलिंडर की भी सुविधा है.
अज़ीज़ खान ने ऐसी पांच एम्बुलेंस बनाई है. अज़ीज़ खान जरुरतमंदों को मुफ्त में अपनी एम्बुलेंस इस्तेमाल करने के लिए दे रहे हैं. जिस किसी को अपने परिजन के लिए एम्बुलेंस की जरुरत होती है, वह अपनी बाइक लाकर अज़ीज़ खान के पास आता है और एम्बुलेंस को बाइक के पीछे बांधकर चला जाता है. इस एम्बुलेंस की मदद से अब तक कई मरीजों को सकुशल अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है.
दरअसल अज़ीज़ खान पॉलिटेक्निक कॉलेज में बतौर शिक्षक काम करते थे, लेकिन उन्होंने अपने ज्ञान का लोगों की मदद करने के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया और शिक्षक की नौकरी छोड़कर किसानों के लिए उपकरण बनाने की फैक्ट्री शुरू की. उनकी फैक्ट्री में अलग-अलग तरह के उपकरण बनाए जाते है.
मीडिया को दिए इंटरव्यू में अज़ीज़ खान ने बताया कि एक दिन उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा. इस वीडियो में एक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पत्नी के शव को साइकिल पर रखकर शमशान ले जा रहा था. इस खबर से मैं विचलित हो गया. तभी मेरे मन में बाइक से चलने वाली एम्बुलेंस बनाने का विचार आया.
बाइक एम्बुलेंस बनाने के लिए अज़ीज़ खान ने सबसे पहले इन्टरनेट के माध्यम से जरुरी जानकारी जुटाई. उन्होंने पता किया कि बाइक एम्बुलेंस कैसे बना सकते है. एक एम्बुलेंस में क्या-क्या बेसिक जरुरत की चीजें मौजूद होना चाहिए. इसके अलावा अज़ीज़ खान ने मोटर व्हीकल एक्ट को भी समझा. अच्छी तरह से रिसर्च करके अज़ीज़ खान ने एम्बुलेंस का एक डिज़ाइन तैयार किया और कानून व मरीजों की जरुरत का ध्यान रखते हुए बाइक एम्बुलेंस बना दी.
एम्बुलेंस बनाने के लिए अज़ीज़ खान ने पुरानी साइकिल के पहिए, अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले पुराने बेड, स्प्रिंगअप्स और शॉकअप्स जैसे दूसरे पुराने कल-पुर्जे का इस्तेमाल किया. इसके अलावा मरीजों की सुविधा के लिए एम्बुलेंस में बेसिक दवाई, IV ड्रिप और ऑक्सीजन सिलिंडर की भी सुविधा दी. इस तरह उन्होंने एक ऐसा स्ट्रक्चर तैयार किया, जिसमें एक समय में एक व्यक्ति को एम्बुलेंस में लेटाकर अस्पताल ले जाया जा सकता है. इस स्ट्रक्चर को कोई भी अपनी बाइक से जोड़कर अपने परिजन को अस्पताल ले जा सकता है.
इन एम्बुलेंस को बनाने में लगभग 40 हजार रुपए की लागत आई है. अज़ीज़ खान का कहना है कि ज्यादा संख्या में एम्बुलेंस बनाने से लागत में कमी आ सकती है. अज़ीज़ खान ने पांच एम्बुलेंस बनाई है, जिसे उन्होंने अपनी फैक्ट्री के बाहर खड़ा कर दिया है. उन्होंने एक बड़ा सा बोर्ड भी लगाया है, जिस पर लिखा है कि कोई जरूरतमंद अपने परिजन को अस्पताल ले जाने के लिए इन एम्बुलेंस का मुफ्त में इस्तेमाल कर सकता है.
अज़ीज़ खान का कहना है कि एम्बुलेंस में लगा ऑक्सीजन सिलिंडर तीन घंटे तक काम करता है. एम्बुलेंस का कोई किराया नहीं है. बस अगर कोई ऑक्सीजन सिलिंडर का इस्तेमाल करता है तो उसे इसे वापस भरवाकर देना होता है ताकि यह दूसरे मरीज के काम आ सके. हालांकि अगर किसी के पास ऑक्सीजन सिलिंडर भरवाने के पैसे नहीं है तो भी कोई समस्या नहीं है.
अज़ीज़ खान की इस मेहनत का असर भी जमीन पर नजर आ रहा है. यह एम्बुलेंस कोरोना से संक्रमित मरीजों के साथ-साथ दूसरे मरीजों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है. क्षेत्र में रहने वाले एक शख्स ने बताया है कि पिछले दिनों पिछले दिनों मेरी मम्मी के पैसों में चोंट लग गई थी. काफी कोशिशों के बाद भी एम्बुलेंस नहीं मिल रही थी. मेरे घर पर बाइक थी, लेकिन मम्मी की हालत ऐसी नहीं थी कि उन्हें बाइक पर बैठकर अस्पताल ले जाया जा सके. ऐसे में मैंने अज़ीज़ खान से संपर्क किया और एम्बुलेंस को अपनी बाइक के पीछे बांधकर उसमें मम्मी को लेटाकर अस्पताल पहुँचाया. अज़ीज़ जी ने बहुत ही अच्छा काम किया है, क्योंकि मुश्किल समय में उनकी यह Bike Ambulance बहुत कारगर है.
बता दे कि अज़ीज़ खान के इस प्रयास की स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन के अधिकारी भी काफी तारीफ़ कर रहे है. दरअसल गाँव का एक व्यक्ति इस एम्बुलेंस की मदद से अपने परिजन को अस्पताल लेकर जा रहा था. इसी दौरान किसी ने एम्बुलेंस का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया. देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल ही गया.
यह वीडियो देखने के बाद जिले के कलेक्टर ने अज़ीज़ खान से फ़ोन पर संपर्क किया और उनके काम की तारीफ़ की. साथ ही उन्होंने अज़ीज़ खान को जिले के लिए और Bike Ambulance बनाने का ऑर्डर भी दिया. अज़ीज़ खान ने कलेक्टर के आर्डर पर एम्बुलेंस बनाने का काम शुरू कर दिया है. हालांकि लॉकडाउन के कारण उन्हें जरुरी चीजें मिलने में परेशानी आ रही है, लेकिन अज़ीज़ खान का कहना है कि वह जल्द ही एम्बुलेंस बनाकर जिला प्रशासन को दे देंगे.
वाकई में अज़ीज़ खान की यह पहल काफी सराहनीय है. खासकर भारत के ग्रामीण इलाकों में Bike Ambulance काफी कारगर साबित हो सकती है. क्यों कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास एम्बुलेंस की सुविधा नहीं होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास बाइक तो होती ही है. ऐसे में गांवों में इस तरह की एम्बुलेंस हो तो वह परिजनों को आसानी से उसमें लेटाकर शहर के अस्पताल तक पहुँच सकते है.