Nirmal Jit Singh Sekhon Biography – भारतीय वायुसेना के जांबाज अफसर जिसकी दुश्मन भी करते थे तारीफ़

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भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक कई बार युद्ध लड़ा जा चुका हैं। भारत ने अपने वीर जाबाजों के शौर्य से पाकिस्तान को हर बार धुल चटाई है। खासकर 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में भारत सेना ने पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांटकर अलग बांग्लादेश का निर्माण किया। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के भारत के सामने समर्पण करने के चलते उसे पूरी दुनिया में शर्मसार होना पड़ा था। वैसे जब भी 1971 के भारत-पाक युद्ध की बात होती है भारतीय वायुसेना के जांबाज अफसर निर्मलजीत सिंह सेखों का नाम जरूर आता है। भारतीय वायु सेना के एकमात्र परमवीर चक्र सम्मानित फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों 1971 के भारत-पाक युद्ध में देश के लिए लड़ते-लड़ते शहीद हुए।

निर्मलजीत सिंह सेखों की जीवनी (nirmal jit singh sekhon biography)

निर्मलजीत सिंह सेखों का जन्म 17 जुलाई 1947 को पंजाब के लुधियाना में रूरका गाँव में हुआ था। निर्मलजीत सिंह सेखों के पिता फ्लाइट लेफ्टिनेंट तारलोक सिंह सेखों भी वायुसेना में थे। 1971 में भारत-पाक युद्ध से कुछ महीनों पहले ही निर्मलजीत सिंह सेखों की शादी हुई थी। अभी उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कुछ महीने ही गुजारे थे कि 3 दिसम्बर 1971 को खबर आई कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। ऐसे में निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपने परिवार के साथ समय बिताने की बजाय मोर्चा संभालने का निर्णय किया।

1971 भारत-पाक युद्ध (india pakistan war 1971)

भारत-पाक युद्ध के समय निर्मलजीत सिंह सेखों भारतीय वायुसेना की ‘द फ्लाइंग बुलेट’ 18वीं स्क्वाड्रन में काम करते थे। 14 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के छह सैबर जेट विमानों ने श्रीनगर एयरफील्ड पर हमला कर दिया। उस समय भारत के पास ऐसे रडार नहीं थे, जिससे हवाई घुसपेठ के बारे में जानकारी मिल सके। हालांकि बावजूद इसके भारत को पाकिस्तान के हवाई हमले की जानकारी लग गई। सुबह करीब 8 बजे श्रीनगर एयरफील्ड पर मौजूद अधिकारियों को जानकारी मिली कि पाकिस्तान ने श्रीनगर एयरफील्ड पर हमला कर दिया है।

निर्मलजीत सिंह सेखों का शौर्य (nirmal jit singh sekhon story)

पाकिस्तानी हमले की जानकारी मिलते ही निर्मलजीत सिंह सेखों और उनके साथ मौजूद फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन दुश्मन को सबक सीखाने के लिए उड़ान भरने का निर्णय लिया। सबसे पहले फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन ने उड़ान भरी और उसके ठीक बाद निर्मलजीत सिंह सेखों ने उड़ान भरी। उसी दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के F-86 सेबर जेट ने रनवे पर बम फेंका। वह बम निर्मलजीत सिंह सेखों के पीछे आकर गिरा। हालांकि तब तक वह उड़ान भार चुके थे। लेकिन बम गिरने के कारण निर्मलजीत सिंह सेखों और फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन का सम्पर्क एयर फील्ड से टूट गया। विस्फोट के कारण हुए धुएं में कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था।

तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह सेखों की आवाज़ सुनाई पड़ी कि, ‘मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ। मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा।’ इसके कुछ देर बाद निर्मलजीत सिंह सेखों ने फिर से संदेश भेजा कि, ‘मुझे मजा आ रहा है। मेरे आसपास दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।‘ इसके कुछ देर बाद ही निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपने आगे चल रहे दुश्मन के सेबर जेट को ध्वस्त कर दिया। फिर अपने साथ चल रहे दूसरे सेबर जेट को भी धमाके के साथ ढेर कर दिया। निर्मलजीत सिंह सेखों ने अकेले ही दुश्मन के दो सेबर जेट को मिटटी में मिला दिया।

हालांकि तभी अपने साथियों की मदद करने के लिए दुश्मन के अन्य सेबर एयरक्राफ्ट वहां आ गए। ऐसे में निर्मलजीत सिंह सेखों को दुश्मन देश के चारों सेबर एयरक्राफ्ट ने घेर लिया। अपने आप को घिरते देख निर्मलजीत सिंह सेखों ने संदेश भेजा कि, ‘शायद मेरा जेट भी निशाने पर आ गया है। घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।’ दुश्मन के हमले के कारण निर्मलजीत सिंह सेखों के फाइटर जेट में आग गई। उन्होंने अपने फाइटर जेट को लैंड करने की कोशिश की, लेकिन कंट्रोल सिस्टम फेल होने के कारण उनका फाइटर जेट पहाड़ों में जा गिरा।

निर्मलजीत सिंह सेखों को साल 1972 में मरणोपरांत सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। निर्मलजीत सिंह सेखों की बहादुरी और अदम्य पराक्रम की तारीफ़ भारत ही नहीं बल्कि दुश्मन देश पाकिस्तान में भी होती है। 1971 भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की तरफ से लड़ने वाले फाइटर पायलेट ने बाद में निर्मलजीत सिंह सेखों की बहादुरी की प्रशंसा की थी।

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