वैसे तो पुलिसकर्मियों को लेकर लोगों के मन में कई तरह की धारणाएं हैं, लेकिन यह भी सच है कि पुलिसकर्मी होना आसान नहीं है। हर आपात स्थिति में यह पुलिसकर्मी ही होते हैं तो हमारी रक्षा करते है। कोरोना काल में भी जब पूरा देश अपने घरों में था, उस समय भी पुलिसकर्मी सड़कों पर खड़े थे। कहीं भी दंगा या विवाद होने पर उसे शांत करने के लिए पुलिसकर्मियों को ही वहां भेजा जाता है। हालांकि इन सब के बीच अक्सर ऐसी ख़बरें भी सामने आती है, जिससे आम जनता का पुलिस पर से विश्वास कम होता है। लेकिन पिछले दिनों केरल के कुछ पुलिसकर्मियों ने एक ऐसी पहल शुरू की है, जिसकी हर कहीं तारीफ़ हो रही है।
दरअसल केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के विथुरा पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी इन दिनों लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ आदिवासी समुदाय के बच्चों को पढ़ाकर शिक्षक बनकर दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। आदिवासियों की बस्ती तक पहुंचने के लिए पुलिसकर्मियों को घने जंगल और पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए वह यह सफ़र तय करके बच्चों को पढ़ा रहे हैं
बता दे कि कुछ महीनों पहले विथुरा में एक पुलिस स्टेशन को चाइल्ड-फ्रैंडली स्पेस के रूप में फिर से बनाया गया। कल्लुपारा में रहने वाले आदिवासी समुदाय के बच्चों को पढ़ाने और उन्हें शिक्षा का महत्व समझाने के उद्देश्य से पुलिस अधिकारियों ने मुख्य रूप से यह सुविधा शुरू की थी। केरल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) लोकनाथ बेहरा ने इसका उद्घाटन किया था। इस पुलिस स्टेशन पर बच्चों को पढ़ाने के लिए ई-लर्निंग और ऑनलाइन शिक्षा के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ जुटाई गई, लेकिन बावजूद बच्चे पढ़ाई करने के लिए नहीं पहुँच पाए।
ऐसे में इसका कारण जानने के लिए जब पुलिस अधिकारियों ने आदिवासी बस्ती का दौरा किया तो बस्ती के लोगों ने कहा कि हम भी अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजना चाहते हैं लेकिन हमारी चिंता रास्ते की है। क्योंकि पुलिस स्टेशन तक आने के लिए बच्चों को 6 किलोमीटर जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। एक खड़ी पहाड़ी है और रास्ते में कोई पक्की सड़क भी नहीं है जो उस जगह को निकटतम शहर विथुरा से जोड़ती हो। ऐसे में हर समय अनहोनी की आशंका बनी रहती है।
इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने बच्चों की समस्याओं को देखते हुए आदिवासी बस्ती में ही जाकर बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया। अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए बस्ती के लोगों ने बांस का उपयोग कर 300 वर्ग फुट के कमरे का निर्माण किया। पुलिस अधिकारियों और शिक्षकों ने आपसी सहयोग से प्रोजेक्टर, टेलीविज़न, टैबलेट, कुर्सियां और बोर्ड जैसी बुनियादी चीजों की व्यवस्था की। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बस्ती तक पहुंचने के लिए पुलिसकर्मियों को घने जंगल और पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरना पड़ता है, लेकिन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके, इसके लिए पुलिसकर्मी यह सफ़र तय कर रहे है।
कुछ पुलिस अधिकारी और एचएसएस के कुछ शिक्षकों के द्वारा नियमित रूप से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। छात्रों को उनके शिक्षकों और पुलिस अधिकारियों द्वारा सबक भी दिया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों और शिक्षकों की इस पहल का असर बच्चों पर भी पड़ रहा है। बच्चे अब शिक्षकों और पुलिस अधिकारियों से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। वह अच्छी शिक्षा के साथ-साथ अपने अधिकारों को लेकर भी सजग हो रहे हैं।
केरल पुलिस की इस पहल की हर ओर सराहना हो रही है। आपको केरल पुलिस की यह पहल कैसी लगी, कृपया हमें कमेंट करके जरूर बताएं।