क्या है इंटरनेट को आजाद रखती नेट न्यूट्रलिटी

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इंटरनेट एक दुसरे से जुड़े कई कंप्यूटर का जाल है जो राउटर एवं सर्वर के माध्यम से पूरी दुनिया के किसी भी कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है वही टेलिकॉम रेगुलेटरी अथोरिटी ऑफ इंडिया को नेट न्यूट्रलिटी का मतलब नेट निरपेक्षता के पक्ष में अपनी राय में कहना की सभी कस्टमर्स के लिए इंटरनेट पर शामिल सारा डाटा बिना किसी भेदभाव के उपलब्ध होना चाहिए और यह फैसला अमेरिका में संचार सभी सर्विसेज को नियंत्रण करने वाली संस्था इंटरनेट फेडरल कम्युनिकेशस कमीशन द्वारा नेट न्यूट्रलिटी को खत्म करने के बाद आया है।

क्या होती है न्यूट्रलिटी :-

नेट न्यूट्रलिटी का अर्थ होता है की इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कपनियों पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देगी इंटरनेट सर्विस देने वाली इन सभी कंपनियों में टेलिकॉम ऑपरेटर्स भी मौजूद है और इन कंपनियों के अलग-अलग कीमतें नहीं लेनी चाहिए चाहे फिर वो डाटा भिन्न वेबसाइट पर विजिट करने के लिए हो यह फिर अन्य सर्विस के लिए हो इस लिए नेट न्यूट्रलिटी में किसी भी सेवा को न तो ब्लाक करना चाहिए और न ही उसकी स्पीड स्लो करनी चाहिए सभी इंटरनेट यूजर्स के साथ एक जैसा बतार्व करना चाहिए।

न्यूट्रलिटी खत्म करने पर :-

नेट निरपेक्षता में कई कंपनियां नेट न्यूट्रलिटी को खत्म करने के पक्ष में चल रही है इससे सभी यूजर्स केवल उन्ही वेबसाइट या एप्प का यूज कर सकता है जो उनकी टेलिकॉम कंपनी उन्हें उपलब्ध करवाएगी और यदि उन्हें बाकी वेबसाइट और सर्विस का यूज करना है तो उसके लिए उन्हें अलग से पैसे देने होगे जिसके लिए यूजर्स को अलग-अलग स्पीड भी मिलेगी इससे इंटरनेट का प्लेटफोर्म सभी के लिए एक जैसा प्राप्त होना चाहिए।

2015 में हुआ था विवाद :-

नेट न्यूट्रलिटी का मुदा उठते हुए फेसबुक के अनुसार वह ज्यादा से ज्यादा लोगो तक इंटरनेट की सर्विस पहुंचाना चाहते है कपनी एशिया,अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को फ्री बेसिक्स प्लेटफोर्म के माध्यम से देन चाहती थी जिसके लिए उन्होंने एक दर्जन से भी ज्यादा मोबाइल ऑपरेटरों से पार्टनरशिप की और इस सर्विस के चलते कई लोगो ने अपनी परेशानियां बताते हुए कहा की इंटरनेट की सीमा बहुत ही कम हो जाएगी इतने विवाद होने के बाद में दिसंबर में रिलायंस कम्युनिकेशस ने फेसबुक की इस सर्विस को इंडिया में कुछ टाइम के लिए रोक दिया गया है।

चिली देश का प्रावधान :- 

पूरी दुनिया में चिली एक पहला देश है जिसने नेटवर्क न्यूट्रलिटी को बनाए रखने के लिए देश के दूरसंचार कानून में चेंजर्स किया है 2010 में सरकार ने दूरसंचार के लिए 3 नियम लागु किए जिसके तहत इंटरनेट सेवा कपनियां इस बात पर निगरानी नहीं रख सकती की यूजर मान्य रूप से इंटरनेट पर कौन सी वेबसाइट देखते है यह किस एप का यूज करते है।

नीदरलैंड :-

नीदरलैंड 2012 में नेटवर्क न्यूट्रलिटी के नियम लागु करने वाला यूरोप का पहला और पूरी दुनिया का दूसरा देश बना जिसके द्वारा इंटरनेट सर्विस कंपनियों पर किसी भी एप या वेब पर ब्लाक यह स्लो न चले।

रूस :-

रूस दूरसंचार ने 2016 में यह नियम बनाया की कोई भी इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनी किसी भी वेब को न हीं रोक सकती और न ही ब्लाक कर सकती है यह केवल उन्ही साईट को ब्लाक कर सकती है जिन्हें केद्रीय दूरसंचार सुचना या मिडिया मंत्रालय ने रोक लगाई है।

अमेरिका :-

इस देश में काफी टाइम से न्यूट्रलिटी के मामले में चर्चा चल रही थी जिसके द्वारा तत्कालीन राष्ट्रीय बराक ओबामा ने नेट न्यूट्रलिटी के पक्ष में अपनी बात रखते हुए दूरसंचार नियामक संस्था एफसीसी ने इंटरनेट की आजादी खत्म करते हुए इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों के हित में अपना फैसला सुनाया।

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