महज 9 साल की उम्र में शुरू किया निशानेबाजी का सफ़र, 4 सालों में ही नेशनल चैंपियन बनीं ईशा सिंह

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हेलो दोस्तों ! आज हम बात करने जा रहे हैं हमारे देश की सबसे कम उम्र की पिस्टल शूटर ईशा सिंह के बारे में. ईशा सिंह ने खेल में अपना काफी अच्छा नाम बना लिया है. ईशा के बारे में यह बता दें कि उनके पिता सचिन सिंह मोटरस्पोर्ट्स में नेशनल रैली चैंपियन रह चुके हैं. इसलिए यह कहना भी गलत नहीं होगा कि ईशा को ये गुण अपने पिता से मिले हैं. हालाँकि वे अपने पिता की तरह ड्राइविंग से अधिक पिस्टल को पसंद करती थीं और उन्होंने इसे ही अपने लिए सही भी चुना. इस बारे में और अधिक बात करने से पहले चलिए जानते हैं ईशा के बारे में विस्तार से.

ईशा सिंह की उम्र अभी केवल 16 साल है, और उन्होंने 9 वर्ष की उम्र से ही शूटिंग में अपने इंटरेस्ट के चलते इसकी ट्रेनिंग लेना शुरू कर दी थी. साल 2014 में ईशा ने पहली बार बन्दूक पकड़ी थी. अपने इस हुनर को आगे बढाते हुए ईशा ने साल 2018 में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया. महज 13 वर्ष की उम्र में ही ईशा ने कई इंटरनेशनल मैडल विजेताओं को हार मनवाई. साथ ही ईशा ने यूथ, जूनियर और सीनियर कैटेगरी में 3 गोल्ड मेडल्स अपने नाम किए.

अपने इस पेशन को लेकर ईशा कहती हैं कि उन्हें निशानेबाजी से बेहद प्यार है. और उन्हें पिस्टल की गोली की आवाज़ भी किसी म्यूजिक से कम नहीं लगती है. गौरतलब है कि ईशा ने कई इंटरनेशनल लेवल की प्रतिस्पर्धाओं में अपने हुनर को अजमाया है और इसके तहत ही जूनियर वर्ल्ड कप में सिल्वर और एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया है.

अपने सफ़र को लेकर ईशा कहती हैं किसी खेल के प्रति आपका आकर्षण आपकी जीत के लिए गारंटी का काम नहीं करता है बल्कि आपको जीत के लिए कई परेशानियों का डंटकर सामना करना पड़ता है. ईशा को भी इसके लिए कई बाधाओं का सामना करना पड़ा है. चलिए जानते हैं इस बारे में :

बता दें कि ईशा तेलंगाना में ऐसी जगह पर रहती थीं जहाँ आसपास कोई भी शूटिंग रेंज नहीं था, जिसके चलते उनकी यह ट्रेनिंग नहीं हो पाती थी. अपनी इस ट्रेनिंग के लिए अपने घर से 1 घंटे की दुरी पर स्थित गाचीबॉली स्टेडियम तक जाना होता था. यहाँ पहुचंकर ईशा मैनुअल रेंज पर प्रैक्टिस करती थीं.

ट्रेनिंग के साथ ही ईशा को पढ़ाई और ट्रेवल भी साथ ही करना होता था जिसके लिए उन्होंने खुद को तैयार किया था. इतनी कम उम्र में दूसरों बच्चों की तरह दूसरे मस्तीभरे कामों से ध्यान हटाकर शूटिंग पर ध्यान लगाना भी ईशा के लिए आसान नहीं था. हालाँकि काफी कुछ होने के बाद भी उन्होंने अपने लक्ष्य से कभी अपना ध्यान नहीं हटने दिया और इसके लिए अडिग रहीं.

ईशा को इस स्थान तक पहुँचाने के लिए उनके पिता को भी अपने मोटर ड्राइविंग के करियर का भी त्याग करना पड़ा. उनके पिता ने अपने करियर को इसलिए दांव पर लगाया ताकि उनकी बेटी अपने लक्ष्य को हासिल कर सके. पिता के साथ ही ईशा की मां ने भी उनके लिए काफी योगदान दिया. दोनों माता-पिता की इस क़ुरबानी को ईशा ने खाली नहीं जाने दिया और महज 4 सालों में ही नेशनल चैंपियन बनकर दिखाया.

ईशा के इस तरह से लगातार सामने आ रहे प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें साल 2020 में प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित किया.

ईशा सिंह के बारे में आपको यह जानकारी कैसी लगी ? हमें कमेंट के माध्यम से जरुर बताएं.

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