गरीब और असहाय महिलाओं की सहायता करती हैं पद्मश्री Lakhimi Baruah

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Who is Lakhimi Baruah in Hindi –

असम जिले के जोरहाट की रहने वाली लाखिमी बरुआ को भारत सरकार ने महिलाओं के लिए किए गए उनके कामों के लिए साल 2021 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shri Lakhimi Baruah 2021) से सम्मानित किया है. लाखिमी बरुआ गरीब और अशिक्षित महिलाओं के हित के लिए काम करती हैं और उनकी मदद के लिए हमेशा आगे आती हैं. उन्होंने महिलाओं के लिए ही एक बैंक जिसका नाम ‘कनकलता महिला कोऑपरेटिव बैंक’ (Kanaklata Mahila Urban Cooperative Bank) है का मिर्माण भी किया है.

आज लाखिमी बरुआ को पूरे असम में उनके नाम से ही जाना जाता है. उनके बैंक को बीते 2 दशकों से केवल महिलाओं के द्वारा ही संचालित किया जा रहा है. आज इस बैंक में हजारों खाताधारक हैं और इन खाताधारकों में भी अधिकतर महिलाऐं ही हैं. आज में गरीब और अशिक्षित लोगों के लिए एक मिसाल बन गई हैं.

आज हम आपको लखिमी बरुआ कौन हैं ? लाखिमी बरुआ क्या काम करती हैं ? लखिमी बरुआ की बायोग्राफी, लाखिमी बरुआ की लाइफ स्टोरी आदि के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं लाखिमी बरुआ की जीवनी (Lakhimi Baruah Biography) और हर खास बात को करीब से.

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कौन हैं लाखिमी बरुआ ? Who is Lakhimi Baruah ?

लाखिमी बरुआ एक समाज सेविका हैं जिन्होंने असम में गरीब महिलाओं के लिए कनकलता महिला कोऑपरेटिव बैंक की शुरुआत की है. यह बैंक बीते 20 सालों से काम कर रहा है. कुछ ही लोगों के साथ शुरू हुए इस बैंक से आज हजारों महिलाऐं और सैंकड़ों महिला स्वयंसेवी समूह जुड़े हैं और इसका लाभ उठाया है. सरकार ने लाखिमी बरुआ को साल 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया है.

लाखिमी बरुआ की बायोग्राफी : Lakhimi Baruah Biography in Hindi :

पद्मश्री से सम्मानित लाखिमी बरुआ का जन्म 1949 में असम के जोरहाट (Lakhimi Baruah birthday 1949 assam) में हुआ था. उनके जन्म के साथ ही उनकी माँ ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लाखिमी बरुआ के पिता ने इसके बाद उन्हें बिना माँ के ही बड़ा किया और माता-पिता दोनों का प्यार दिया. पिता के साथ ही परिवार से भी लाखिमी को काफी प्यार मिला.

लाखिमी बरुआ के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी जिस कारण उनका पालन-पोषण तो ठीक से हुआ लेकिन वे अपने हालातों से भी समझौता करना सीख गई थीं. वे शुरू से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थीं और इसलिए उनके पिता ने भी उनकी पढ़ाई को जारी रखने में उनकी काफी मदद की लेकिन इस बीच उनके पिता का भी निधन हो गया.

पिता ने निधन के बाद लाखिमी बरुआ के परिजनों पर उनकी जिम्मेदारी आ गई और उनके सामने लाखिमी बरुआ की शादी और पालन पोषण का मसला आ गया. जिसके बाद लाखिमी बरुआ के कॉलेज की पढ़ाई भी साल 1969 में छूट गई. परिवार के बाकि लोगों के भी आर्थिक हालात ठीक नहीं थे लेकिन उन्होंने लाखिमी का साथ नहीं छोड़ा.

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लाखिमी बरुआ ने इस समय में काफी मुश्किलों का सामना किया और आर्थिक सुरक्षा के बारे में सीखा. इस बीच साल 1973 में लाखिमी बरुआ की शादी प्रभात बरुआ (Lakhimi Baruah marry with Prabhat Baruah) से हुई और उनकी इस शादी के बाद जिंदगी भी बदलने लगी. लाखिमी ने इसके बाद साल 1980 में वाहना कॉलेज से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. जिसके बाद प्रभात ने उन्हें नौकरी करने की भी सलाह दी.

जिसके बाद लाखिमी बरुआ ने डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक में एक अकाउंट मैनेजर के पद पर काम करना शुरू किया. यहाँ उन्हें एक बात जो सबसे अधिक परेशान कर रही थी वह यह थी कि यहाँ गरीब और अशिक्षित महिलाओं को कर्ज के लिए घंटों तक कर्ज के लिए लाइन में खड़ा होना पड़ता था और नंबर आने पर जरुरी डाक्यूमेंट्स नहीं होने के कारण वे खाली हाथ रह जाती थीं. और लाखिमी बरुआ चाहकर भी उन महिलाओं की भी मदद नहीं कर पाती थीं.

लाखिमी बरुआ ने इस बारे में काफी सोचने के बाद साल 1983 में जोरहाट में एक महिला समिति का निर्माण किया. जिसके बाद उन्हें महिलाओं के सामने आने वाली तरह-तरह की समस्याओं का भी पता चला और उन्होंने आखिरकार महिलाओं की मदद के लिए साल 1990 में कनकलता महिला कोऑपरेटिव बैंक (KMUCB) की शुरुआत की. हालाँकि इस बैंक के रजिस्ट्रेशन के भी उन्हें 8 साल लम्बा इंतजार करना पड़ा था.

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उस समय अथॉरिटी के लिए 1 हजार सदस्यों और और 8 लाख रुपए की पूँजी इकट्ठा करने के लिए घरेलू स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया था, जिसकी मदद से मई 1998 के दौरान कनकलता कॉऑपरेटिव बैंक (Kanaklata Mahila Co-operative Bank) का रजिस्ट्रेशन कम्पलीट हुआ. इसके अगले साल यानि 1999 में ही बैंक के पास 845000 रुपए की पूंजी के साथ ही 1420 सदस्य हो गए. जिसके अगले साल में लाखिमी को भारतीय रिजर्व बैंक ने कमर्शियल बैंकिंग का लाइसेंस भी दे दिया.

आज के समय में इस बैंक में 45 हजार से भी अधिक लोगों के एकाउंट्स हैं और इनमें अधिकतर महिलाओं के खाते हैं. बैंक का एक साल का कारोबार 16 करोड़ रुपए बताया जा रहा है जबकि साथ ही बैंक का प्रॉफिट ही 30 लाख रुपए बताया जा रहा है. बैंक ऐसी महिलाओं को कर्ज देता है जिन्हें पैसों की जरूरत होती है.

लाखिमी बरुआ के महिलाओं के हित के लिए किए गए इस काम को देखते हुए ही उन्हें साल 2021 में भारत सरकार ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया है. 

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