जिसे 50 साल से ढूंढ रहा था पाकिस्तान, उसे मोदी सरकार ने दिया पद्मश्री सम्मान

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Colonel Qazi Zaheer Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के नायक कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर (Colonel Qazi Sajjad Ali Zaheer) के बारे में बात करेंगे. काजी वह पहले बांग्लादेशी नागरिक है, जिसे भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया था. कर्नल जहीर ने भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी को प्रशिक्षण दिया था. पाकिस्तान को पिछले 50 साल से कर्नल जहीर की तलाश है. पाकिस्तान कर्नल जहीर से इतनी नफरत करता है कि पाकिस्तान ने उनकी मौत का वारंट जारी किया था.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर कौन है? (Who is Colonel Qazi Sajjad Ali Zaheer), कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर को पद्मश्री क्यों दिया गया? (Why was Colonel Qazi Sajjad Ali Zaheer given Padma Shri) और कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर की कहानी (Colonel Qazi Sajjad Ali Zaheer story) क्या है? तो चलिए शुरू करते है कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर का जीवन परिचय.

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कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर जीवनी (Colonel Qazi Sajjad Ali Zaheer Biography)

यह कहानी शुरू होती है साल 1969 से. यह वही साल था जब कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए थे. कर्नल जहीर को सबसे पहले आर्टिलरी कोर में नियुक्ति मिली थी. उस समय बांग्लादेश, पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था और इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था.

साल 1971 में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर जुल्म करना शुरू कर दिया. पाकिस्तानी आर्मी ने ऑपरेशन सर्च लाइट चलाकर पूर्वी पाकिस्तान के निहत्थे और मासूम लोगों को घर से निकाल-निकालकर मारना शुरू कर दिया. इस दौरान हजारों महिलाओं का बलात्कार किया गया. बड़ी संख्या में ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों को गोलियों से भून दिया गया था.

पाकिस्तानी आर्मी की इस बर्बरता के खिलाफ पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले पाकिस्तानी आर्मी के जवान ही खड़े हो गए. पूर्वी पाकिस्तानी सैनिकों ने मिलकर मुक्ति वाहिनी का गठन किया.

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उस समय कर्नल जहीर विशिष्ट 14 पैरा ब्रिगेड का हिस्सा थे, लेकिन पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर हो रहे जुल्म को देखते हुए उन्होंने अपनी ही फौज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कर्नल जहीर सांबा बार्डर के रास्ते जम्मू-कश्मीर पहुँच गए. भारत आकार उन्होंने भारतीय सेना से सम्पर्क किया.

चूँकि कर्नल जहीर पाकिस्तानी आर्मी का हिस्सा थे, इसलिए उन्होंने भारतीय आर्मी को पाक सेना से जुड़ी सीक्रेट जानकारी दी. भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कर्नल जहीर की सीक्रेट जानकारी भारतीय आर्मी के काम आई.

भारत के साथ हाथ मिलाने के बाद कर्नल जहीर ने मुक्ति वाहिनी को प्रशिक्षण देना शुरू किया. मुक्ति वाहिनी का काम पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग करके एक अलग देश बनाना था. बांग्लादेश की आजादी और भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत में कर्नल जहीर की भी भूमिका रही.

कर्नल जहीर ने मुक्ति वाहिनी के सैनिकों के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ गुरिल्ला वार शुरू किया था. साथ ही उन्होंने हजारों महिलाओं को पाकिस्तानी सेना की कैद से आजाद करवाया.

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कहा जाता है कि कर्नल जहीर के भारत के साथ मिलने के कारण पाकिस्तान आग-बबूला हो गया था. पाकिस्तान ने कर्नल जहीर को मौत की सजा सुना दी गई थी, लेकिन कर्नल जहीर भागकर भारत आ गए. कर्नल जहीर भारत आ गए तो पाकिस्तान ने उनकी मां और बहन को टारगेट करना शुरू कर दिया. हालांकि किसी तरह वह दोनों भी भागने में कामयाब रही. इसके बाद पाकिस्तान ने उनके घर को पूरी तरह से जला दिया.

कर्नल जहीर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, ‘उस समय जो भी सैनिक बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) के रहने वाले थे, उनकी हमेशा जासूसी की जाती थी. उन पर उर्दू बोलने के दबाव डाला जाता था.’

साल 2013 में बांग्लादेश सरकार ने कर्नल जहीर को बांग्लादेश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार स्वाधीनता पदक से सम्मानित किया गया था. कर्नल जहीर ने 54 किताबें लिखी हैं.

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साल 2016 में जब बंगलादेशी नागरिक आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए जाने लगे तो कर्नल जहीर ने इसके खिलाफ बड़े स्तर पर मुहीम चलाई. इस मुहीम को बांग्लादेश में युवाओं का काफी साथ मिला था.

साल 2021 में भारत सरकार ने कर्नल जहीर को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था. पद्मश्री मिलने के बाद कर्नल जहीर एक समाचार चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि, ‘हर पुरस्कार मील का एक पत्थर होता है. लेकिन पद्मश्री मेरे लिए खास है क्योंकि यह बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की भावना को बरकरार रखता है.’

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