खुदकुशी की कोशिश, सड़कों पर भीख मांगी, जानिए मंजम्मा जोगती के संघर्षों की कहानी

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Manjamma Jogati Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्म्मानित ट्रांसजेंडर फोक डांसर मंजम्मा जोगती (Manjamma Jogathi) के बारे में बात करेंगे. मंजम्मा जोगती ‘कर्नाटक जनपद अकादमी’ की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष हैं. इस पद पर रहकर मंजम्मा राज्य में लोक कला को आगे बढ़ाने का काम कर रही है. मंजम्मा जोगती का जीवन काफी संघर्षों भरा रहा है.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि मंजम्मा जोगती कौन है? (Who is Manjamma Jogati), मंजम्मा जोगती को पद्मश्री क्यों दिया गया? (Why was Manjamma Jogati given Padma Shri) और मंजम्मा जोगती की कहानी (Manjamma Jogati story) क्या है? तो चलिए शुरू करते है मंजम्मा जोगती का जीवन परिचय.

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मंजम्मा जोगती जीवनी (Manjamma Jogati Biography)

दोस्तों मंजम्मा जोगती का जन्म कर्नाटक के बेल्लारी जिले में कल्लुकंब गांव में हुआ था. उस समय उनका नाम मंजूनाथ शेट्टी था. जब मंजूनाथ स्कूल जाने लगे तो उनके परिवार वालों को पता चला कि मंजूनाथ के हाव-भाव लड़कियों जैसे है. मंजूनाथ को लड़कियों के साथ खेलना और डांस करना पसंद है. वह कमर में तौलिये को स्कर्ट की तरह बांधता था.

मंजूनाथ की इन हरकतों को देख उनके परिजनों को लगा कि मंजूनाथ पर किसी तरह का कोई साया है. ऐसे में उन्होंने मंजूनाथ को एक खंभे से बांधकर बुरी तरह पिटा. इसके बाद भी मंजूनाथ वैसा ही रहा तो घर वाले उसे लेकर डॉक्टर व पुजारी के पास लेकर गए. लेकिन सब कुछ वैसा ही रहा.

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अंत में जाकर उनके परिजनों को विश्वास हो गया कि मंजूनाथ में ट्रांसजेंडर वाले गुण हैं. आख़िरकार मंजूनाथ के परिजन उन्हें हुलीगेयम्मा मंदिर लेकर गए. यह वह मंदिर है जहाँ पर जोगप्पा या जोगती बनाने की दीक्षा दी जाती है. जोगप्पा या जोगती असल में वह ट्रांस पर्सन होते हैं, जो खुद को देवी येलम्मा से विवाहित मानते हैं.

हुलीगेयम्मा मंदिर आने के बाद मंजूनाथ ने पूरे रीति-रिवाज के साथ दीक्षा ली. दीक्षा ग्रहण करने के बाद मंजूनाथ का नाम बदलकर मंजम्मा जोगती रखा गया. हालांकि बेटे को खोने से मंजूनाथ के घर वालों को बड़ा दुःख पहुंचा. अपने परिजनों के दुःख से मंजम्मा भी इतनी दुखी हो गई कि एक दिन उसने जहर खा लिया, लेकिन वह बच गई.

इसके बाद मंजम्मा घर छोड़कर चली गई लेकिन उनके पास ना खाने के लिए कुछ था और ना ही रहने के लिए. ऐसे में वह सड़कों पर भीख मांगकर अपना गुजारा करने लगी. कहा जाता है कि एक दिन कुछ लोगों ने उनका यौन शोषण भी किया और उनके पास रखे सारे पैसे लूट लिए.

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इन हालातों में मंजम्मा आत्महत्या करना चाहती थी. लेकिन एक दिन उन्होंने कर्नाटक में दावणगेरे बस स्टैंड के पास एक पिता-पुत्र की जोड़ी को देखा. पिता जहाँ गीत गा रहा था, वहीँ बेटा अपने सर पर स्टील के घड़े को रखकर डांस कर रहा था. दरअसल यह ‘जोगती नृत्य’ है, जो मंजम्मा को बहुत पसंद आया और उन्होंने भी इसे सीखने का मन बना लिया.

‘जोगती नृत्य’ सीखने के लिए मंजम्मा रोज उस आदमी की झोपड़ी में जाकर नृत्य सीखने लगीं. धीरे-धीरे मंजम्मा ने ‘जोगती नृत्य’ सीख लिया. इस बीच एक दिन मंजम्मा की मुलाकात एक बड़े लोक कलाकार कालव्वा से हुई. मंजम्मा ने जब कालव्वा के सामने नृत्य किया तो वह भी बड़े प्रभावित हुए. इसके बाद कालव्वा ने उन्हें नाटकों में छोटे-मोटे रोल के लिए बुलाना शुरू किया.

छोटे-मोटे रोल से शुरू हुआ यह सिलसिला धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया. आगे चलकर मंजम्मा जोगती लीड रोल करने लगीं. मंजम्मा जोगती के नृत्य को लोग पसंद करने लगे. लोगों के बीच उनकी एक अलग पहचान बन गई. मंजम्मा जोगती के नाम से ही शो चलने लगे. मंजम्मा जोगती ने इस नृत्य को आम जनमानस के बीच पहचान दिलाई.

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साल 2006 में मंजम्मा जोगती को कर्नाटक जनपद अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इसके बाद साल 2010 में उन्हें कर्नाटक राज्योत्सव सम्मान से नवाज़ा गया. इसके बाद मंजम्मा जोगती को ‘कर्नाटक जनपद अकादमी’ का अध्यक्ष बनाया गया. इसी के साथ मंजम्मा जोगती इस संस्था की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष बनी. यह संस्था राज्य में लोक कला को आगे बढ़ाने का काम करती है.

मंजम्मा जोगती की आत्मकथा ‘नाडुवे सुलिवा हेन्नु’ में उनकी कहानी और जोगती नृत्य के बारे में ढेरों जानकारियां हैं. उनकी बायोग्राफी हावेरी जिले के स्कूलों और कर्नाटक लोक विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाती है.

साल 2021 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजम्मा जोगती को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्म्मानित किया था. सम्मान ग्रहण करते समय मंजम्मा जोगती ने अपने अनोखे अंदाज में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अभिवादन किया था. उनके अनूठे अंदाज को देख दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था.

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