सैनिक किशन हजारे से समाज सेवी अन्ना हजारे तक का सफ़र

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अन्ना हजारे एक ऐसा नाम जिसने भारतीय सेना मैं एक सैनिक के रूप में अपनी हिम्मत और ताकत दिखाई और जब समाज में उतरे तो समाजसेवी के रूप में अपनी बातों और विचारों से अपना लोहा मनवाया.

अन्ना हजारे को कौन नहीं जानता एक ऐसे आदर्श व्यक्ति जिन्होंने अपनी जिंदगी सिर्फ दूसरों के भले के लिए लगा दी अन्ना जी ने कभी भी रुपये-पैसों को अपनी जिंदगी में अहमियत नहीं दी बल्कि अपनी जिंदगी सिर्फ और सिर्फ समाज और समाज के डरे सहमे लोगों के उत्थान में लगा दी .तो आईये आज  हम जानते हैं  की अन्ना जी की जिंदगी की शुरुआत कैसे हुई और कैसे एक सैनिक किशन हजारे  से समाजसेवी अन्ना हजारे बन गया.

 

 

प्रारंभिक जीवन :-

अन्ना जी का पूरा नाम – किसन बाबूराव हजारे है

जन्म – 15 जून 1937

जन्म स्थान – रालेगण सिद्धि अहमदनगर महाराष्ट्र

पिता – बाबूराव हजारे

माता – लक्ष्मीबाई हजारे

विवाह – अभी तक नहीं किया है

अन्ना हजारे जी का जन्म 15 जून 1937 में अहमदनगर रालेगण सिद्धि महाराष्ट्र में हुआ ,अन्ना जी एक मराठा किसान परिवार में जन्मे, उनके पिताजी एक साधारण किसान और गरीब मजदूर थे.

अन्ना जी के छह भाई थे, अन्ना जी की घर की स्थिति बहुत खराब थी इस कारण अन्ना जी की बुआ उन्हें मुंबई ले आई मुंबई में अन्ना जी ने एक फूल की दुकान पर ₹40 प्रतिमाह के हिसाब से कार्य किया और कुछ समय पश्चात उन्होंने अपनी स्वयं की एक फूलो की दुकान खोल ली और अपने गांव रालेगण से दो भाइयों को भुला लिया.

 

 

सन 1962 में भारत – चीन के मध्य युद्ध में कई सैनिक शहीद हो गए इस कारण भारतीय सरकार ने भारत के सभी युवाओं को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए अपील की क्योंकि अन्ना जी अपनी देश भक्ति के कारण बहुत भावुक  थे उन्होंने भारतीय सरकार का यह न्योता स्वीकार कर लिया और सन 1963 में वह भारतीय आर्मी में शामिल हो गए अपने सैनिक कार्यकाल में अन्ना जी ने अलग-अलग जगहों पर काम किया जैसे  जम्मू कश्मीर, असम, मिजोरम, लेह लद्दाख और  सिक्किम .

 

एक समय ऐसा आया जब अन्ना जी अपने जीवन से हताश होने लगे और अपने आप को मौत की नींद सुलाने के लिए तैयार हो गए उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या कर रहे हैं या क्या करना चाहते है ऐसी स्थिति में उन्होंने सोचा कि क्यों ना इस जीवन का अंत कर दिया जाए.

 

 

ऐसा करने से पहले उन्होंने अपने इस समय की स्थिति को एक दो पेज  के निबंध में भी लिखा, वह अब जीना नहीं चाहते थे लेकिन इसके पश्चात अचानक एक ऐसी घटना हुई कि उनका पूरा जीवन ही बदल गया उनको यह प्रेरणा दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर मिली जब उन्होंने वहां पर बैठे एक व्यक्ति से एक किताब खरीदी वह किताब स्वामी विवेकानंद जी की थी उसके कवर पर स्वामी विवेकानंद जी की फोटो थी जेसे ही उन्होंने उस किताब को पढ़ना शुरू किया तो उनको अपनी जिंदगी के सारे प्रश्नों का उत्तर मिल गया और उन्हें अपनी जिंदगी का महत्व समझ में आने लगा.

उन्होंने सोचा कि एक साधारण मनुष्य को अगर भगवान के बराबर की पदवी चाहिए तो उसे उन लोगों की मदद करना चाहिए जो वास्तव में मदद के लायक है.

कौन सी घटना ने उनका जीवन बदल दिया :-

सन 1965 में जब भारत पर पाकिस्तान ने हमला कर दिया तो उस समय अन्ना जी खेमकरण बॉर्डर पर स्थित थे  12 नवंबर को पाकिस्तान ने भारत पर एक हवाई हमला किया जहां अन्ना हजारे के सहकर्मी शहीद हो गए और इसी बीच एक गोली अन्ना हजारे के पास से गुजरी. इस घटना से आन्ना जी एकदम स्तब्ध रह गये.

 

 

अन्ना जी कहते हैं कि यही वह घटना थी जिसने उनकी जिंदगी को बदल दिया और उन्हें जीने का रास्ता दे दिया अन्ना जी के जीवन पर स्वामी विवेकानंद जी की किताब का भी बहुत गहरा असर पड़ा और इसी के प्रभाव के चलते अन्ना जी ने अपना जीवन समाज सेवा के लिए अर्पित कर दिया.

आर्मी की नौकरी से रिटायर होने के बाद क्या किया :-

अन्ना जी अपने आर्मी की नौकरी के 15 साल पूरे करने के पश्चात अपने गांव लौटे तो उन्हें अपनी जिंदगी को जीने का एक तरीका मिल गया अन्ना जी कहते हैं की सेना में रहते हुए जब वह अपने गांव आते थे तो वह देखते  थे कि यहां पर पानी की कितनी समस्या है उनका गांव साल के  6 महीने सूखे से प्रभावित रहता था.

 

अन्ना जी इस समस्या को दूर करना चाहते थे, इसके लिए जब अन्ना जी आपने 15 साल की सर्विस खत्म करके अपने गांव लौटे तब उन्होंने पानी को बचाने के लिए मुहिम छेड़ी और पानी की एक – एक बूंद को बचाकर जमीन की उत्पादन शक्ति को बढ़ाने के लिए उन्होंने किसानों को प्रशिक्षित किया और इस तरह सभी किसानों को साथ में लेकर काम करने लगे .

अपने गाँव को आदर्श गाँव बनाया :-

उन्होंने उस समय पिछड़े हुए गांव को आज एक आदर्श गांव बना दिया जहां आज हमें कही भी पानी की कमी  देखने को नहीं मिलती  हैं. जगह-जगह नाली की व्यवस्था है जगह – जगह बांध बनवाए कृतिम नलिकाएं लगवाई जमीन की उत्पादन शक्ति को बढ़ाया गया और गांव की प्रगति के लिए कई कार्य किए गए.

 

प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग :-

अन्ना हजारे जी ने अपने गांव में लगभग 5 बांध और 16 उसके अंतर्गत बांध बनाये अन्ना जी का ऐसा मानना है कि अगर प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो आप जिंदगी भर सुख और समृद्धि प्राप्त करते रहेंगे.

जिस से पेट्रोल डीजल केरोसिन कोयला और पानी यह सभी धीरे धीरे कम हो रहे हैं और इनका हमें सही तरीके से उचित तरीके से उपयोग करना चाहिए.

अन्ना जी का  गाँव :-

अन्ना हजारे जी का रालेगण सिद्धि गांव भारत का पहला एक ऐसा आदर्श गांव बना जहां आज पर्यटक भी जाना चाहते हैं यहां पर देश विदेश के कई लोग अन्ना हजारे के किए गए कार्य को देखने आते हैं. एक  पिछड़े हुए गंदे से गांव को एक आदर्श गांव में बदलने के लिए अन्ना जी ने बहुत मेहनत की है और हमें उनकी मेहनत को सेल्यूट करना चाहिए.

 

अन्ना जी का सामाजिक जीवन :-

अन्ना हजारे ने यह सोचा के भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा है भ्रष्टाचार और इस भ्रष्टाचार को दूर किए बिना हम भारत को प्रगति की राह पर नहीं ला सकते और इसी के चलते 1991 में उन्होंने अपना अभियान शुरू किया जिसे भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन का नाम भी दिया गया.

सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना जी का मौत के साथ साक्षात दर्शन हो गया और इसके पश्चात दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर जब उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी की किताब को खरीदा और जब उस किताब को पढ़ा तो उस किताब में स्वामी जी के विचारों को अन्ना हजारे ने अपनी अंतरात्मा में उतार लिया.

इस किताब का नाम ‘कॉल टू द इंफॉर्मेशन’ था इस किताब को पढ़कर अन्ना जी के जीवन में समाज के लिए सेवा करने की भावना जागृत हुई और उन्होंने अपना जीवन समाज की सेवा में दे दिया और आजीवन कुवारे रहकर समाज की सेवा की.

 

अन्ना जी के द्वारा चलाये गए महत्वपूर्ण आंदोलन :-

1. महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन 1991 :-

सर्वप्रथम महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चलाया गया, महाराष्ट्र में अन्ना जी ने शिवसेना और भाजपा की सरकार में कुछ मंत्रियों को हटाने के लिए भूख हड़ताल की अन्ना जी ने मंत्रियों पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया और सरकार ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी अन्ना जी अनशन पर बैठ गए.

 

2. सूचना का अधिकार आंदोलन 1997 से 2005 :-

1997 में अन्ना हजारे ने सूचना का अधिकार नियम के समर्थन में मुंबई के आजाद मैदान से अपने अभियान की शुरुआत की 9 अगस्त 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में ही अन्ना हजारे  आमरण अनशन पर बैठ गए 12 दिन चले आमरण अनशन के दौरान अन्ना हजारे  के सूचना के अधिकार आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिला.

आखिरकार सन 2003 में ही महाराष्ट्र सरकार को इस अधिनियम को एक मजबूत और कड़े विधेयक के रुप में पारित करना पड़ा बाद में इसी आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले लिया और इसके परिणाम स्वरूप 12 अक्टूबर सन 2005 को भारत सरकार ने पूरे देश में सूचना का अधिकार नियम पारित कर दिया.

 

 

3. महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन 2003 :-

महाराष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के तहत अन्ना जी ने एनसीपी और कांग्रेस की सरकार में कुछ मंत्रियो को भ्रष्टाचार में लिप्त पाया और इनके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया. इसमे  प्रमुख रूप से सुरेश दादा जैन, विजय कुमार गावित, पदमसिंह पाटील और  नवाब मलिक थे और इन्हें भ्रष्ट बताकर उनके खिलाफ मुहीम छेड़ दी और भूख हड़ताल पर बैठ गए तब उस समय तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया और नवाब मलिक और सुरेश जैन ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया.

4. लोकपाल विधेयक आंदोलन :-

जन लोकपाल बिल एक ऐसा कानून जिसने पूरे भारत को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया इस आंदोलन की शुरुआत 5 अप्रैल सन 2011 को श्री अन्ना हजारे और उनके साथियों के द्वारा जंतर मंतर पर की गई इस आंदोलन में श्री अन्ना हजारे के साथ उनके साथी जिनमें मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण और अन्य लोग थे .

 

उस समय तत्कालीन केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की सरकार ने अन्ना जी के जन लोकपाल बिल को खारिज कर दिया और आंदोलन का पुरजोर विरोध किया लेकिन यह आंदोलन एक देशव्यापी आंदोलन बन चुका था.

इस आन्दोलन के लिए आम लोग सड़कों पर उतर गए थे तब अन्ना जी ने भारत सरकार से एक मजबूत लोकपाल बिल के लिए अपील की और अन्ना जी ने एक लोकपाल की प्रति भी सरकार को सौंपी जो अन्ना जी और उनके साथियों के द्वारा तैयार की गई थी.

 

सरकार ने भी आनन-फानन में यह घोषित कर दिया कि हम लोकपाल बिल पारित करने के लिए तैयार हैं लेकिन फिर भी यह लोकपाल बिल पारित नहीं हुआ. अन्ना हजारे ने इसके खिलाफ अपने पूर्व घोषित तिथि 16 अगस्त से फिर से आन्दोलन पर जाने की बात कर दी.

16 अगस्त को सुबह जब वे अनशन पर जाने के लिए तैयार हुए तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें  घर से ही गिरफ्तार कर लिया उनके साथ उनकी टीम के अन्य लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इस खबर ने भारत की जनता में एक आंग भर दी और वह सड़कों पर उतर कर सरकार के इस हिंसात्मक कदम का विरोध करने लगे.

 

 

दिल्ली पुलिस ने अन्ना जी को जेल में डाल दिया जिसका असर यह हुआ की  इस आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिलने लगा इस खबर ने सरकार को अपना कदम वापस लेने पर मजबूर कर दिया और दिल्ली पुलिस ने अन्ना जी को रिहा कर दिया.

मगर अन्ना जी ने रिहा होने  से इंकार कर दिया ,अन्नाजी अनशन जारी रखने पर अटल रहे और बिना किसी शर्त के अनशन करने की बात पर ही रिहा होना चाहते थे .

जेल भरो आन्दोलन :-

 

16 अगस्त तक देश में अन्ना के समर्थन में प्रदर्शन होता रहा दिल्ली में तिहाड़ जेल के बाहर हजारों लोग डेरा डाल कर बैठ गए और जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया तब 17 अगस्त की शाम तक दिल्ली पुलिस रामलीला मैदान में 7 दिनों तक आन्दोलन करने की इजाजत देने को तैयार हुए .

मगर अन्ना जी  ने 30 दिनों से कम अनशन करने की अनुमति दिए बिना  रिहा होने से मना कर दिया. उन्होंने जेल में ही अपना अनशन जारी रखा फिर अन्ना को रामलीला मैदान में 15 दिन अनशन करने की अनुमति मिली.

अन्ना जी ने अनशन किया समाप्त :-

 

अनशन के  दसवें दिन तक सरकार , अन्ना का अनशन समाप्त नहीं करवा पाए. अन्ना हजारे ने 10 दिन से जारी अपने आन्दोलन को समाप्त करने के लिए सार्वजनिक तौर पर 3 शर्ते राखी.

उनका कहना था कि तमाम सरकारी कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में लाया जाए, सभी सरकारी कार्यालयों में एक नागरिक चार्टर बनाया जाए और सभी राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त किया जाए. २७ अगस्त को संसद में अन्ना की मांगों पर सहमति बनी और २८ अगस्त को अन्ना द्वारा अनशन समाप्त करने की घोषणा के साथ ही पूरा देश जश्न में डूब गया।

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