कौन हैं भगवान अयप्पा ? जानिए सबरीमाला मंदिर का इतिहास

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हेलो दोस्तों ! आज हम बात करने जा रहे हैं भारत के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके बारे में लगभग सभी ने सुना है और यहाँ जाने की इच्छा भी रखता है. दोस्तों हम बात कर रहे हैं देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक सबरीमाला का मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं. इस मंदिर में हर रोज लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में काफी लम्बे समय (लगभग 800 सालों से) यह परम्परा है कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए. हालाँकि कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस प्रतिबंध को हटाया गया है. तो चलिए जानते हैं इस मंदिर में बारे में विस्तार से :

सबसे पहले जानिए कौन थे भगवान अयप्पा ?

भगवान अयप्पा के बारे में यह कहा जाता है कि इनके पिता शिव और माता मोहिनी हैं. भगवान शिव का विष्णु के मोहिनी रूप देखकर वीर्यपात हो गया था. शिव के वीर्य को पारद नाम दिया गया और इससे ही बाद में सस्त्व का जन्म हुआ. सस्त्व को ही साउथ इंडिया में अयप्पा के नाम से जाता जाता है. शिव और विष्णु से उनकी उत्पत्ति के कारण उन्हें हरिहरपुत्र नाम से भी जाना जाता है. अयप्पा को भगवान अयप्पा के साथ ही शास्ता, मणिकांता आदि भी कहा जाता है. साउथ इंडिया यदि दक्षिण भारत में अयप्पा के कई मंदिर हैं जिनमें से एक सबरीमाला काफी फेमस मांदरी है.

क्या है इसकी कहानी ?

कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव, भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए. शिव के इस प्रभाव के कारण एक बच्चे ने जन्म लिया. इस बच्चे को भगवान ने पंपा नदी के किनारे छोड़ दिया. यहाँ से राजा राजशेखरा ने इस बच्चे को अपने पास रखा और 12 सालों तक इन्हें पाला. जब अयप्पा एक बार जंगल में अपनी मां के लिए शेरनी का दूध लेने गए थे तब उन्होंने एक राक्षसी महिषि का वध किया.

भगवान अयप्पा के बारे में यह भी जहा जाता है कि उनके मां और पिता ने उनके गले के आसपास घंटी बांधकर उन्हें छोड़ दिया था. राजा राजशेखर ने उन्हें अपने पुत्र की तरह पाला. लेकिन भगवान अयप्पा को यह नहीं भाया और वे महल छोड़कर चले गए.

भगवान अयप्पा का मंदिर :

भगवान अयप्पा का मंदिर केरल के सबरीमाला में बना हुआ है. कहा जाता है कि मकर संक्रांति की रात को काफी अँधेरा होने के बावजूद भी यहाँ रुक-रूककर एक ज्योति दिखाई देती है. इस ज्योति के दर्शन के लिए देश के हर कोने से भक्त आते हैं. सबरीमाला का यह नाम माता शबरी के नाम पर रखा गया है. लोग यह भी कहते हैं कि यहाँ ज्योति के साथ ही एक शोर भी सुनाई देता है. लोगों का यह भी कहना है कि खुद भगवान आकर इस देव ज्योति को जलाते हैं.

कहाँ है यह मंदिर ? और कैसे पहुंचे यहाँ ?

भगवान अयप्पा का यह मंदिर पश्चिमी घाटी में पहाड़ियों की श्रृंखला सह्याद्रि के बीच बना हुआ है. कई पहाड़ियों और घने जंगलों को पार करके यहाँ पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा इन जंगलों में कई जानवर भी मिलते हैं. यहाँ लोग अधिक दिनों तक रुकते नहीं हैं. इसके पीछे यहाँ का खास मौसम और टाइम होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि जो भी यहाँ तीर्थयात्रा के लिए आते हैं उन्हें 41 दिनों के लिए वृहताम का पालन करना होता है. ऑक्सीजन से लेकर यहाँ प्रसाद के प्रीपेड कूपन लेना होते हैं. मंदिर तक पहुँचने की ऊंचाई 914 मीटर है और यहाँ केवल पैदल ही जाया जा सकता है.

मंदिर पहुचने के लिए दिशा निर्देश :

  1. अपने निजी व्हिक्ल से तिरुअनंतपुरम से सबरीमाला के पंपा तक पंहुचा जाता है.
  2. पंपा से जगलों के जरिए पैदल ही चलना होता है, पैदल ही 1535 फीट ऊंची पहाड़ियों के सहारे सबरीमाला मंदिर तक जाया जाता है और भगवान अयप्पा के दर्शन होते हैं.
  3. यदि आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं तो आपको कोट्टयम या चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन से होते हुए पंपा तक पहुंचना होता है. यहाँ से एयरपोर्ट तिरुअनंतपुरम में मिलता है जिसके बाद आपको सबरीमाला पहुचना होता है जो कि कुछ ही दूर है. 
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