Lala Lajpat Rai Biography – जिनकी मौत ने हिला दी अंग्रेजी साम्राज्य की नींव

Lala Lajpat Rai Biography - Wiki, Bio, Family, Death, Freedom Fighter

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Lala Lajpat Rai Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों में से एक लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) के बारे में बात करेंगे. लाला लाजपत राय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रसिद्ध लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के प्रमुख सदस्य थे. वह एक राष्ट्रवादी नेता थे और उन्होंने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. लाला लाजपत राय को ‘पंजाब केसरी’ या ‘पंजाब का शेर’ भी कहा जाता था. लाला लाजपत राय ने ही पंजाब नेशनल बैंक की नींव भी रखी थी.

दोस्तों भारत माता महान सपूत रहे लाला लाजपत राय कौन थे? (Who was Lala Lajpat Rai?) यह तो हम सभी जानते ही है. आगे इस आर्टिकल में हम जानेंगे की लाला लाजपत राय के गुरु कौन थे?, लाला लाजपत राय की मृत्यु कैसे हुई? इनके अलावा हम लाला लाजपत राय के जन्म, लाला लाजपत राय के परिवार, लाला लाजपत राय की शिक्षा, लाला लाजपत राय का आजादी में योगदान सहित अन्य चीजों के बारे में भी बात करेंगे. तो चलिए शरू करते है लाला लाजपत राय का जीवन परिचय.

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लाला लाजपत राय जीवनी (Lala Lajpat Rai Biography)

दोस्तों लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के धुडिके गाँव में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम लाला राधाकृष्ण था और वह एक अध्यापक थे. उनकी माता का नाम गुलाब देवी था और वह एक धार्मिक महिला थी. उन्होंने बचपन से ही अपने बच्चों में नैतिक मूल्यों को विकसित किया. लाला लाजपत राय की पत्नी का नाम राधा देवी था. लाला लाजपत राय के तीन बच्चे भी थे, जिनके नाम प्यारेलाल अग्रवाल,अमृतराय अग्रवाल और पार्वती अग्रवाल थे.

लाला लाजपत राय की शिक्षा (Lala Lajpat Rai Education)

लाला लाजपत राय ने अपनी स्कूली शिक्षा रेवारी के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पूरी की. इसके बाद साल 1880 में लाला लाजपत राय ने कानून की शिक्षा हासिल करने के लिए लाहौर के सरकारी कॉलेज में एडमिशन ले लिया. साल 1886 में लाला लाजपत राय अपने परिवार के साथ हिसार आ गए और यहीं पर लॉ की प्रैक्टिस करने लगे.

लाला लाजपत राय का करियर (Career of Lala Lajpat Rai)

लाला लाजपत राय की रूचि अन्य वकीलों की तरह पैसा कमाने की नहीं थी बल्कि लाला लाजपत राय का ध्यान समाज सेवा पर केन्द्रित था. उन्होंने साल 1888 और 1889 में हुए राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक सत्रों में एक प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया. साल 1892 में लाला लाजपत राय लाहौर उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगे. साल 1894 में लाला लाजपत राय ने अन्य लोगों के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की.

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लाला लाजपत राय के गुरु (Lala Lajpat Rai’s  Role Model)

लाला लाजपत राय आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती के अनुयायी थे. उन्होंने दयानन्द सरस्वती की ग्लो-वैदिक स्कूल की स्थापना करने में भी मदद की थी.

लाला लाजपत राय का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान  (Lala Lajpat Rai’s Contribution to Freedom Struggle)

लाला लाजपत राय को ओजस्वी भाषण देने के लिए भी जाना जाता है. कांग्रेस से एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में जुड़ने वाले लाला लाजपत राय जल्द ही पंजाब में कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेताओं में से एक बन गए. कांग्रेस में रहते हुए लाला लाजपत राय ने ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जमकर आवाज उठाई. लाला लाजपत राय की लोकप्रियता इतनी थी कि वह ब्रिटिश सरकार की नजरों में खटकने लगे.

साल 1907 में लाला लाजपत राय के नेतृत्व में अंग्रेज ​सरकार के खिलाफ किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया. लाला लाजपत राय को मिल रहे जनसमर्थन से अंग्रेज ​सरकार इतनी डर गई कि उन्होंने लाला लाजपत राय को गिरफ्तार करके देश से बाहर बर्मा की जेल में डाल दिया. लेकिन लाला लाजपत राय को गिरफ्तार करने से हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. आख़िरकार लोगों के दबाव के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और लाला लाजपत राय को छोड़ना पड़ा.

लाला लाजपत राय साल 1907 से साल 1912 तक कांग्रेस से बाहर रहे. कहा जाता है कि उस समय कांग्रेस में दो गुट हुआ करते थे – एक गरम दल और दूसरा नरम दल. लाला लाजपत राय को गरम दल का नेता माना जाता था. वह अंग्रेज सरकार से लड़कर पूर्ण स्वराज लेना चाहते थे. लाला लाजपत राय साल 1914 में ब्रिटेन और फिर 1917 में अमेरीका गए. साल 1917 से साल 1920 तक लाला लाजपत राय अमेरिका में ही रहे. इस दौरान उन्होंने न्यूयॉर्क में इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका की स्थापना की.

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इस बीच साल 1919 में हुए जलिया वाला बाग कांड के चलते पूरे देश में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भयानक आक्रोश था. साल 1920 में लाला लाजपत राय वापस भारत लौट आए. उस समय तक कांग्रेस में महात्मा गांधी का प्रादुर्भाव हो चुका था. महात्मा गांधी देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में स्थापित हो चुके थे. साल 1920 में लाला लाजपत राय ने महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इसके लिए अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार भी किया, लेकिन बाद में तबियत ख़राब होने पर छोड़ दिया गया.

जब गांधी ने आंदोलन चौरी चौरा कांड की घटना को स्थगित करने का फैसला किया तो लाला लाजपत राय ने उनके फैसले की आलोचना की. साल 1924 तक कांग्रेस के साथ लाला लाजपत राय के रिश्ते इतने बिगड़ गए कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और स्वराज पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद वह केन्द्रीय असेंबली के सदस्य चुने गये. कुछ समय बाद उन्होंने नेशनलिस्ट पार्टी का गठन किया और एक बार फिर असेम्बली का हिस्सा बने.

लाला लाजपत राय का निधन (Lala Lajpat Rai passed away)

लाला लाजपत राय ने 30 अक्टूबर, 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के आगमन का विरोध करने के लिए एक शांतिपूर्ण जुलूस का नेतृत्व किया. इस दौरान अंग्रेज पुलिस ने लाला लाजपत राय और उनके साथियों को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. एक युवा अंग्रेज अफसर ने लालाजी के सर पर जोरदार प्रहार किया. इस दौरान लाला लाजपत राय ने कहा था कि, ‘मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में कील का काम करेगी.’ इस लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय बुरी तरह से घायल हो गए और 17 नवंबर 1928 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई. लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 17 दिसंबर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. लाला लाजपत राय की मृत्यु ने देश में नई क्रांति को जन्म दिया. इससे प्रेरित होकर कई युवा आजादी की लड़ाई में शामिल हुए और आख़िरकार लालाजी के मौत के 2 दशक के अंदर ही अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा.

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