Captain Gopinath Biography – जानिए कैप्टन गोपीनाथ कौन है?, एक बैलगाड़ी चलाने वाला कैसे बना एयरलाइंस का मालिक

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Captain Gopinath Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कैप्टन जी आर गोपीनाथ के बारे में. कैप्टन गोपीनाथ देश के उन करोड़ों लोगों के सामने एक मिसाल है जो हालातों को दोष देते हुए बैठ जाते है. कैप्टन गोपीनाथ एक ऐसी शख्स है, जिन्होंने अपनी हिम्मत और जज्बे से हालातों को मात देते हुए अपने सपनों की उड़ान भरी.

दोस्तों कैप्टन गोपीनाथ की कहानी कितनी प्रेरणादायी इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उनके जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी है. तमिल सुपरस्टार सूर्या की फिल्म ‘सुरराई पोत्तरू’ कैप्टन गोपीनाथ के जीवन पर ही आधारित है. यह फिल्म लोगों को खूब पसंद भी आई. यहीं नहीं अब बॉलीवुड के भी कई ए लिस्टर सितारों के बीच इस फिल्म का हिंदी रीमेक बनाने की होड़ मची हुई है.

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैप्टन गोपीनाथ कौन है? (who is captain gopinath) और कैसे उन्होंने अपने सपनों को उड़ान दी. तो चलिए शुरू करते हैं कैप्टन गोपीनाथ का जीवन परिचय.

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कैप्टन गोपीनाथ जीवनी (Captain Gopinath Biography)

कैप्टन गोपीनाथ का जन्म साल 1951 में कर्नाटक के गोरूर के एक छोटे से गांव में हुआ था. कैप्टन गोपीनाथ के पिता एक किसान, स्कूल शिक्षक और कन्नड़ उपन्यासकार थे. कैप्टन गोपीनाथ के अलावा उनके परिवार में 7 भाई-बहन और थे.

कैप्टन गोपीनाथ की शिक्षा (Captain Gopinath Education)

कैप्टन गोपीनाथ ने अपनी शुरूआती शिक्षा घर से ही हासिल की. इसके बाद उन्होंने एक कन्नड़ स्कूल में दाखिला लिया. पढ़ाई के साथ-साथ कैप्टन गोपीनाथ अपने पिता की मदद करने के लिए बैलगाड़ी भी चलाते थे. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कैप्टन गोपीनाथ ने साल 1962 में बीजापुर स्थित सैनिक स्कूल में दाखिला ले लिया.

सेना में हुए शामिल

इसके बाद कैप्टन गोपीनाथ ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा पास की और भारतीय सेना में शामिल हो गए. भारतीय सेना में रहने के दौरान कैप्टन गोपीनाथ ने साल 1971 के युद्ध में भी हिस्सा लिया. हालाँकि 28 साल की छोटी उम्र में ही कैप्टन गोपीनाथ ने सेना से रिटायरमेंट ले लिया.

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सपनों की उड़ान

रिटायरमेंट के बाद कैप्टन गोपीनाथ ने डेयरी फार्मिंग, रेशम उत्पादन, पोल्ट्री फार्मिंग, होटल सहित कई फील्ड में हाथ आजमाया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. एक बार वह अपने परिवार के साथ अमेरिका में छुट्टियां बिता रहे थे. इसी दौरान जब वह बालकनी में बैठकर चाय पी रहे थे तभी वहां से कुछ देर में ही 4 से 5 हवाई जहाज गुजर गए. उस दौर में अमेरिका में लगभग 40,000 कमर्शियल उड़ानें चलती थी जबकि भारत में मात्र 420. तभी  कैप्टन गोपीनाथ के दिमाग में आईडिया आया कि क्यों ना भारत में भी सस्ती हवाई यात्रा शुरू की जाए. उन्होंने सोचा कि अगर 20 करोड़ मिडिल क्लास लोग भी साल में कम से कम 2 बार भी हवाई सफ़र करते हैं तो उनका बिजनेस चल जाएगा.

एयर डेक्कन की स्थापना

कैप्टन गोपीनाथ के सामने सबसे बड़ी समस्या पैसों की थी. इसके लिए उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपनी सारी सेविंग लगा दी. दोस्तों से भी पैसे लिए और उनके परिवार ने भी उनकी मदद की. कैप्टन गोपीनाथ ने सबसे पहले साल 1996 में डेक्कन एविएशन नाम से एक चार्टर्ड हेलीकाप्टर सेवा शुरू की. इसके बाद साल 2003 में छह फिक्स्ड-विंग टर्बोप्रॉप हवाई जहाज़ों के बेड़े के साथ एयर डेक्कन की स्थापना की. एयर डेक्कन की पहली उड़ान हुबली से बेंगलुरु के बीच थी.

एयर डेक्कन की उड़ान

जब एयर डेक्कन की स्थापना हुई हुई तब 2000 लोग ही इसमें सफ़र करते थे, लेकिन सस्ती हवाई सेवा का जल्द ही असर हुआ और महज 4 सालों में ही रोजाना 25,000 लोग एयर डेक्कन में उड़ान भरने लगे. साल 2007 तक देश में एयर डेक्कन की रोजाना 380 उड़ाने चलने लगी. एयर डेक्कन के विमानों की संख्या बढ़कर 45 हो गई.

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घाटा बड़ा तो बेचनी पड़ी एयर डेक्कन

साल 2007 तक तो एयर डेक्कन अच्छे से उड़ रही थी, लेकिन इस साल के अंत तक दूसरी विमानन कंपनियां भी शुरू हो गई. इन कंपनियों ने भी कैप्टन गोपीनाथ का सस्ती हवाई यात्रा का फार्मूला अपनाया और यात्रियों को अपनी तरफ    खींचना शुरू किया. दूसरी विमानन कंपनियों के आने से एयर डेक्कन का घाटा बढ़ता चला गया और आखिर में कैप्टन गोपीनाथ को अपनी कंपनी शराब के कारोबारी विजय माल्या को बेचनी पड़ी. माल्या ने एयर डेक्कन का नया बदलकर किंगफिशर रेड कर दिया.

दोस्तों अंत में भले ही कैप्टन गोपीनाथ को अपनी कंपनी बेचनी पड़ी, लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने सस्ती हवाई उड़ान का जो सपना देखा था, उसे पूरा किया. वरना एक बैलगाड़ी चलाने वाला बच्चा कभी 45 हवाई उड़ानों का मालिक बन जाएगा, यह भी किसने सोचा था.

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