IAS Maniram Sharma- बहरेपन को मात देकर आईएएस बने मनीराम शर्मा

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IAS Maniram Sharma Biography in HIndi –

आईएएस (IAS) बनना हर किसी का सपना होता है लेकिन इस पद को पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है. ऐसी ही एक संघर्ष की कहानी है आईएएस मनीराम शर्मा (IAS Maniram Sharma) की. मनीराम शर्मा (IAS Maniram Sharma) ने अपने जीवन के कठिन पढ़ाव को पार करते हुए अपने सपने को पूरा किया और आईएएस (Indian Administrative Service) बने. आईएएस मनीराम शर्मा (IAS Maniram Sharma) आज देश की सेवा कर रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं.

मनीराम शर्मा का आईएएस बनने का सफ़र बिलकुल भी आसान नहीं था. लेकिन मनीराम ने अपनी मेहनत से ना केवल इस मुकाम को हासिल किया बल्कि साथ ही एक मिसाल भी कायम की है.

मनीराम शर्मा के बारे में कई ऐसी बातें हैं जिनसे सभी अंजान हैं. तो चलिए जानते हैं आईएएस मनीराम शर्मा कौन हैं ? (Who is IAS Maniram Sharma ?) से लेकर आईएएस मनीराम शर्मा की बायोग्राफी (IAS Maniram Sharma Biography in Hindi) और उनके संघर्ष के बारे में विस्तार से.

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कौन हैं आईएएस मनीराम शर्मा ? Who is IAS Maniram Sharma ?

मनीराम शर्मा बंदनगढ़ी के रहने वाले हैं और हमारे देश में एक आईएएस पद (IAS post) पर कार्य कर रहे हैं. वे बचपन से ही पूरी तरह से बहरे हैं और एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं.

आईएएस मनीराम शर्मा का शुरूआती जीवन : Life story of IAS Maniram Sharma :

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि मनीराम एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वे राजस्थान के जिले अलवर के बंदनगढ़ी गाँव के रहने वाले हैं. मनीराम (IAS Maniram Sharma DOB) का जन्म साल 1975 में हुआ था.

उस समय मनीराम (Maniram Sharma) के गाँव में कोई भी स्कूल नही था, जिसके चलते वहां के बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी काफी मुश्किलें बनी हुई थी. मनीराम शर्मा को बचपन से ही पढ़ने का काफी शौक था और इस कारण वे पढ़ाई करने के लिए अपने गाँव से 5 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में जाया करते थे.

मनीराम का स्कूल गाँव से दूर था और वे खुद भी बहरेपन के शिकार थे. इसके बावजूद भी वे पूरी लगन के साथ पढ़ाई करते और स्कूल जाते थे. इसके चलते ही मनीराम ने क्लास 10वीं की परीक्षा को भी अच्छे अंको से उत्तीर्ण किया और 12वीं की परीक्षा में भी अच्छा स्थान हासिल किया.

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आईएएस मनीराम शर्मा का परिवार : IAS Maniram Sharma Family :

मनीराम शर्मा (IAS Maniram Sharma) के पिता एक मजदूर के रूप में काम करते थे. वहीँ मनीराम की मां नेत्रहीन थीं तो खुद मनीराम भी बचपन से सुन नहीं सकते हैं. इतना कुछ होने के बाद भी कभी मनीराम ने अपनी शारीरिक कमजोरी और परिवार की स्थिति को अपने पर हावी नहीं होने दिया और आईएएस बनकर अपना और अपने परिवार का सपना पूरा किया.

आईएएस मनीराम शर्मा के जीवन से जुड़ी खास बातें : More about IAS Maniram Sharma :

1. बता दें कि जब मनीराम 10 वीं में काफी अच्छे नंबर्स से पास हुए थे तो यह खबर सुन उनके पिताजी को काफी ख़ुशी हुई थी. मनीराम के पिता को यह लगता था कि अब मनीराम (Maniram Sharma) ने 10 वीं पास कर ली है और अब उन्हें चपरासी की नौकरी मिल जाएगी.

उनके पिता मनीराम का रिजल्ट लेकर अपने किसी परिचित अधिकारी के पर ले गए और उन्हें बताया कि मणि ने 10 वीं कक्षा पास कर ली है तो उसे चपरासी के पास पर नौकरी दे दो.

लेकिन अधिकारी ने मनीराम के पिता को यह कहते हुए मना कर दिया कि, मनीराम सुन नहीं सकता है. इसे ना तो किसी घंटी की आवाज सुनाई देगी और ना ही कोई आवाज़ देगा तो सुनाई देगा. ये आखिर एक चपरासी कैसे बन सकता है?

अधिकारी की यह बात सुनकर मणि के पिता की आँखों में आंसू आ गए और वे दुखी मन से अपने घर वापस लौट आए. लेकिन मनीराम ने अपने पिता से कहा कि उन्हें खुद पर भरोसा है और वे एक दिन बड़े ऑफिसर भी जरुर बनेंगे.

2. जब मनीराम यूनिवर्सिटी में पढाई कर रहे थे तो उनके प्रधानाध्यापक को इस बात का अहसास हो गया था कि मनीराम काफी काबिल हैं और एक दिन बुलंदी को छू सकते हैं.

तब उन्होंने मनीराम के पिता से बात की तो उन्हें मनीराम को आगे पढ़ाने के लिए भी राजी कर लिया और उन्हें मना लिया कि वे मनीराम को आगे की पढ़ाई के लिए बाहर भेजेंगे.

इसके बाद मनीराम शर्मा का एडमिशन अलवर के एक कॉलेज में हो गया और वे यहाँ आकर कॉलेज की पढ़ाई करने लगे. यहाँ उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई को जारी रखा.

जब मनीराम कॉलेज के द्वितीय वर्ष में पढ़ाई कर रहे थे तब उन्होंने राज्य की लिपिक वर्ग की परीक्षा को भी पास कर लिया था. उन्होंने एक क्लर्क के तौर पर जॉब शुरू कर दी और कॉलेज के फाइनल वर्ष की पढ़ाई को भी जारी रखा.

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3. मनीराम शर्मा ने पूरे कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस (Politcal Science) में टॉप किया और इसके बाद NET का एग्जाम दिया. इस एग्जाम में ना केवल वे सफल हुए बल्कि इसके बाद उन्होंने क्लर्क की नौकरी भी छोड़ दी और लेक्चरार बन गए.

4. वे एक अच्छे पद पर होने के बाद भी इससे संतुष्ट नहीं थे और इसलिए ही उन्होंने आगे PhD करने का मन बनाया और PhD करने के लिए उन्होंने वजीफा हासिल किया.

5. अपनी PhD की डिग्री हासिल करने के बाद उनके मन में आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) बनने का विचार किया और इसके लिए पढ़ाई करने लगे. आखिरकार मनीराम शर्मा ने साल 2005 में संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया. लेकिन मनीराम बहरे थे और इस कारण उन्हें उस समय नौकरी नहीं मिल पाई.

6. मनीराम शर्मा ने हिम्मत नहीं हारी और साल 2006 में फिर एक बार संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) की परीक्षा दी. इस एग्जाम को पास करने के बाद मणि को पोस्ट एंड टेलीग्राफ अकाउंट्स की कमतर नौकरी मिली जिसे उन्होंने स्वीकार किया और काम करने लगे.

7. इस नौकरी के साथ ही मनीराम के मन में यह बात भी बैठ गई कि जब तक उनके बहरेपन (IAS Maniram Sharma Deaf Candidate) का इलाज नहीं हो जाता वे चैन की साँस नहीं लेंगे. और वे अपने बहरेपन के इलाज के लिए डॉक्टर्स से मिलने लगे. एक डॉक्टर ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया की उनकी सुनने की क्षमता शुरू हो सकती है.

लेकिन इसके इलाज में करीब 7.5 लाख रुपए का खर्च आएगा. यह रकम बड़ी थी और इसका इंतजाम करना भी कठिन था. लेकिन उनके क्षेत्र के सांसद और आम लोगों के सहयोग से उन्होंने यह पैसा भी जुटाया और अपना ऑपरेशन कराया. 

मनीराम का यह ऑपरेशन सफल हुआ और उनके सुनने की क्षमता भी वापस आ गई. इसके बाद मनीराम ने साल 2009 में एक बार फिर से UPSC की एग्जाम दी और पास हुए. जिसके बाद मनीराम, आईएएस मनीराम शर्मा बने और अपना और अपने परिवार का सपना पूरा किया.

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