डॉ कुमार विश्वास की बायोग्राफी और कविताएं

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डॉ कुमार विश्वास (Dr Kumar Vishwas) एक ऐसा नाम जिन्होंने हिन्दी भाषा को भारत में ही नही विदेश में भी पहचान दिलाई है. कुमार विश्वास की कविताओं और उनकी आवाज़ में ऐसा जादू है जो कोई सुनता है इनका फैन हो जाता है. 

कुमार विश्वास (Kumar Vishwas Poetry) की कविताएँ सबसे अधिक सर्च की जाने वाली लिस्ट में भी शामिल है. डॉ कुमार विश्वास को हमने कई कविताएँ कहते हुए, गाते हुए देखा ही है. इसके अलावा कुमार विश्वास राजनीति में भी सक्रीय हैं.

डॉ कुमार विश्वास का जन्म और परिवार (Dr Kumar Vishwas DoB and family) : 

कुमार विश्वास का जन्म (Kumar Vishwas Birthday) 10 फ़रवरी को ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था. इनके पिता डॉ चन्द्रपाल शर्मा एक शिक्षक के रूप में पढ़ाते थे और इनकी माता रमा शर्मा गृहिणी हैं.

पिता चाहते थे कुमार इंजिनियर बने-:

कुमार विश्वास के पिता चाहते थे की वह बारहवीं में पास होने के बाद एक सफल इंजिनियर बने और अपने पिता का नाम रौशन करे लेकिन उनका पढाई में नही लगता था वे कुछ और ही करना चाहते थे इस वजह से उन्होंने इंजिनियर की पढाई आधी में ही छोड़ दी.

साहित्य में ग्रेजुएशन करने का मन बनाया-:

हिन्दी साहित्य में ग्रेजुएशन करने का मन बना लिया जिसमे इनको स्वर्ण-पदक प्राप्त हुआ और इसी दौरान लोकगीतों में लोकचेतना” विषय पर पीएचडी प्राप्त किया और फिर सन 2001 में इनके शोध-कार्य को पुरस्कृत भी किया गया.

भारत में नही बल्कि विदेश कार्यकर्म किए-:

इन्होने भारत में नही बल्कि विदेशो में भी अपनी कविता का जौहर दिखा चुके है आज इनकी वजह से विदेश में भी हिंदी को सुना जाता है आज हम आपके लिए इनकी कुछ कविताए लेकर आए है जो आपके दिल को भी छु लेगी. (kumar vishwas poem in hindi)

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कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

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मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है

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पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना

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स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी

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कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता

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कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है

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