कोरोना काल में किसी चमत्कार से कम नहीं थीं ये 5 कहानियां, पढ़िए आप भी

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हेलो दोस्तों ! मार्च 2020 से शुरू हुई कोरोना महामारी ने लोगों के दिलों में एक अलग ही खौफ पैदा किया है. इस महामारी ने जहां कई जिंदगियों को अपनी लपेट में ले लिया तो साथ ही जनता को यह भी सिखाया कि खुद का स्वस्थ रहना कितना जरुरी है. लोगों को अधिक से अधिक खुद की इम्युनिटी को बढाने से लेकर अपने आसपास भी सतर्कता से रहना सिखाया है. कोरोना महामारी ने अपने आतंक से कई लोगों को सड़क पर ला दिया तो इस समय ही कई लोग ऐसे भी निकलकर सामने आए जिन्होंने अपनी मदद के हाथ आगे बढ़ाए. आज हम आपको कुछ ऐसी ही कहानियां बताने जा रहे हैं जिनमें इंसानियत की मिसाल देखने को मिलती है. इन कहानियों को सुन आप भी यह कह ही उठेंगे कि इंसानियत अब तक जिन्दा है.

पहली घटना – 30 हजार के आमों के बदले मिली लाखों की मदद :

20 मई 2020 : फूल मियां उर्फ़ छोटे उत्तरी दिल्ली के जगतपुरी इलाके में फलों का ठेला  लगा रहे थे. छोटे के ठेले के कुछ दूर ही कुछ लोग आपस में लड़ाई कर बैठे. लड़ने वालों में से एक ने छोटे का ठेला हटाने के लिए कहा. छोटे ने जैसे ही वहां से ठेला हटाया. भीड़ में से कुछ लोगों ने ठेले के पास रखी आम की कई केरेट्स लूट ली. छोटे को इस सबसे 30 हजार रुपए का नुकसान हुआ. लेकिन इस घटना का वीडियो वायरल हो गया. और लोग छोटे के लिए मदद की गुहार करने लगे. देखते ही देखते छोटे की मदद करने वालों की लाइन लग गई. जिस से जो भी बन पड़ा उसने छोटे को दिया. लोगों ने कुछ ही समय में छोटे के खाते में 8 लाख रुपए से भी अधिक की राशि भेज दी.

दूसरी घटना : बारिश ने दुकान बंद कराई, फिर लोगों की मदद काम आई

5 अगस्त 2020 : मुंबई के अशोक कुमार ने भिन्डी बाजार में सब्जी की दुकान खोली. लेकिन तेज बारिश के कारण बाढ़ के हालत बन गए और सब्जी खराब हो गई. कुछ सब्जी पानी में बह गई तो बाकि की फेंकना पड़ी. अशोक पैदल ही अपने घर की तरह चल दिए. अशोक के दो बच्चे हैं. और जब अपनी दुकान को अशोक ने मिटता हुआ देखा तो वे किंग्स सर्किल के पास डिवाइडर पर ही बैठ गए और रोने लगे. एक न्यूज़ पेपर ने यह नजारा देखा और सिर पर रुमाल बांधे और हाथों में जूते लिया अशोक का एक फोटो सबको दिखा. 

जैसे ही लोगों ने अशोक का यह फोटो देखा तो उन्होंने मदद के हाथ आगे बढाए. जब लोगों से अशोक को मदद मिली तो उन्होंने अपनी पत्नी संगीता का गिरवी रखा मंगलसूत्र सबसे पहले छुड़ाया. अशोक को करीब 2 लाख रुपए की मदद मिली. कुछ राशि से उन्होंने कर्ज अदा किया तो कुछ बेटी की शादी के लिए रख दिया.

तीसरी घटना : खेत में ही सड़ जाती 950 क्विंटल गोभी, अगर एक ट्वीट ना होता

18 अप्रैल 2020 : तमिलनाडु के इरोड जिले के अरचलूर के रहने वाले एक किसान कन्नैयन सुब्रमण्यन ने अपने खेत में लगाई 950 क्विंटल गोभी को ख़राब होता देखा और इसे बचाने के लिए उपाय खोजा. कन्नैयन ने एक ट्वीट करते हुए लिखा, “मेरे खेत में 3.5 एकड़ में गोभी तैयार है. लॉकडाउन के कारण दाम बेहद कम हो गए हैं, जिस कारण यह बिक नहीं पा रही है. मैंने इस कार्य में 4 लाख रुपए लगाए हैं. क्या कोई कॉरपोरेट घराना यह गोभी खरीद सकता है और जिन्हें जरुरत हो उन्हें बाँट सकता है.”

इस ट्वीट में कन्नैयन सुब्रमण्यन ने रतन टाटा और आनंद महिंद्रा को भी टैग किया. एक दिन में ही उनके इस ट्वीट को लाखों लोगों ने देखा. इस ट्वीट से ही एक खरीदार WayCool Foods ने हाथ आगे बढ़ाया. 5.50 रुपए किलो के हिसाब से किसान की गोभी खरीदी गई. बची हुई गोभी को भी कई लोगों ने खुद आगे आकर ख़रीदा और कन्नैयन सुब्रमण्यन को इस महामारी में बचाया.

चौथी घटना : डल झील में जब बनी लोगों के लिए तैरती एम्बुलेंस

अगस्त 2020 : इस समय में डल झील (श्रीनगर) के रहने वाले तारिक अहमद पलटू को कोरोना हो गया. उनके पॉजिटिव होने की खबर सुनते ही अपने परिवार वालों के साथ ही सभी ने उनका साथ छोड़ दिया. यहाँ तक कि उनकी पत्नी को भी शिकारावालों ने बैठाने से इंकार कर दिया. सब्जी वाले भी उन्हें सभी देने से इंकार करने लगे. श्रीनगर के दूसरे हिस्से में रहने वाले उनके भाई ने उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल करवाया, यहाँ वे 2 हफ्ते रहे. इस दौरान ही उन्होंने इस बारे में सोचा. 

वे ठीक होने के बाद डल झील एक्सपर्ट कमेटी की मेंबर डॉ. निवेदिता पी हरन से मिले. उन्होंने 1 महीने की मेहनत के बाद एक एम्बुलेंस को डिजाइन किया. इसमें 12 लोगों के बैठने की जगह बनाई और तेजी से झील में चलने के लिए मोटर लगाई. इस एम्बुलेंस में सभी जरिरी मुलभुत सुविधाएँ मौजूद हैं.

पांचवी घटना : नो इंटरनेट ? नो प्रॉब्लम, वी विल टीच यू  एव्रीवेयर…

1 जून 2020  : बात केरल की है जहाँ कोरोना के कारण बच्चे अपने घरों से ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन कोच्चि के सेंट जॉन बॉस्को अपर प्राइमरी स्कूल के कई बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ बाजार में मछली बेचने का काम कर रहे थे. इन बच्चों में कर्नाटक से आए प्रवासी मजदूरों के बच्चे भी शामिल थे. इनके पास पढ़ने के लिए ना तो मोबाइल था, ना ही इंटरनेट. इसके कारण ही इनकी पढ़ाई भी बंद हो गई.

ऐसी स्थिति में इनके स्कूल के टीचर्स ने अपना बड़प्पन दिखाया और खुद ही पुल के नीचे बच्चों को पढ़ाने के लिए पहुँच गए. स्कूल के कई टीचर्स यहाँ रोजाना बच्चों को पढ़ाने के लिए अपने घरों से लम्बी दुरी तय करके वहां जाते थे. टीचर्स लैपटॉप पर वर्चुअल क्लास में हुई पढ़ाई को रिकॉर्ड करते थे और वहां लेकर आते थे.

तो दोस्तों कोरोना के काल में भी इन लोगों ने इंसानियत की मिसाल पेश की. आपको इनके बारे में पढ़कर कैसा लगा? हमें कमेंट्स के माध्यम से जरुर बताएं.

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