इज़रायल और फिलीस्तीन के बीच क्यों छिड़ी है जंग? जानिए कितनी पुरानी है दुश्मनी

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आखिरकार एक बार फिर से इज़रायल और फिलीस्तीन (israel palestine war 2021) के बीच संघर्ष शुरू हो गया है. वैसे तो लगभग हर साल दोनों देशों के बीच रमजान के महीने में संघर्ष होता है, लेकिन इस बार यह संघर्ष किसी बड़ी जंग जैसे हालात पैदा कर रहा है. इस संघर्ष के दौरान फिलीस्तीन के संगठन हमास (इजराइल इसे आतंकी संगठन मानता है) की ओर से इजराइल की राजधानी तेल अवीव, एश्केलोन और होलोन शहर पर रॉकेट से हमला किया गया. इसके जवाब में इजराइली एयरफोर्स ने हमास की कब्जे वाली गाजा पट्टी पर हमला बोल दिया. दूसरी तरफ इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और डिफेंस मिनिस्टर बेनी गेंट्ज ने साफ कर दिया है कि हमास को इन हमलों की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. ऐसे में एक बार फिर से दोनों देशों के बीच बड़ी जंग छिड़ने के आसार नजर आने लगे हैं. आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि इजरायल फिलिस्तीन विवाद क्या है? हमास क्या है? और यरूशलेम की कहानी क्या है?

इज़रायल और फिलीस्तीन के बीच युद्ध का कारण israel and palestine war

दरअसल भूमध्य-सागर के किनारे बसे इज़रायल और फिलीस्तीन दोनों अलग-अलग देश है, लेकिन दोनों देशों के बीच दुश्मनी ऐसी है कि दोनों ही देश एक दूसरे का वजूद नहीं मानते हैं. इज़रायल और फिलीस्तीन के बीच संघर्ष के कारण को समझने के लिए हमें पहले पहले विश्व युद्ध के दौरान घटी कुछ घटनाओं को समझना होगा. दरअसल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ओटोमन साम्राज्य पूरी तरह से तबाह हो गया. इससे मिडिल ईस्ट की पूरी तस्वीर हो बदल गई. प्रथम विश्व युद्ध के बाद यह पूरा इलाका ब्रिटेन के हिस्से में आ गया. जिसके बाद यहूदियों ने अपने लिए स्वत्रंत देश की मांग तेज कर दी.

उस समय यहूदियों का कोई देश नहीं हुआ करता था. यहीं कारण है कि यहूदी चाहते थे कि उनके पास एक ऐसी जगह हो, जिसे वह सिर्फ अपना घर कह सके. अपने लिए एक अलग देश की मांग की चाहत में 1920 से 1940 के बीच यूरोप में उत्पीड़न के शिकार यहूदी भारी संख्या में यहां पहुंचने लगे. इससे यहां यहूदियों, फिलिस्तीनियों और ब्रिटिश शासन के बीच संघर्ष शुरू हो गया.

आख़िरकार साल 1947 में भारत की तरह ही इस हिस्से को भी ब्रिटिश राज से आजादी मिली और भारत-पाकिस्तान की तरह ही इस इलाके को भी दो भागों में बाँट दिया गया. एक हिस्सा अरब इलाका माना गया जबकि दूसरा इलाका यहूदियों का माना गया. 14 मई 1948 को संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की नज़र में पहली बार इज़रायल देश का जन्म हुआ. यहीं कारण है कि इस दिन को इजराइल अपना राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है.

हालांकि अरब देशों ने इज़रायल को अलग देशों के रूप में मान्यता देने से इंकार कर दिया और अरब-इज़रायल के बीच संघर्ष शुरू हो गया. अरब देशों के सुरक्षाबलों और इज़रायल के बीच लगभग एक साल तक युद्ध चला, जिसमें इज़रायल की जीत हुई. जंग खत्म होने तक इज़रायल अधिकतर क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले चुका था. इस जंग का नतीजा यह हुआ कि करीब साढ़े सात लाख फिलीस्तीनी लोगों को अपना इलाका छोड़ना पड़ा. जंग के अंत में ब्रिटिश राज वाला ये पूरा हिस्सा तीन भागों में बंट गया. पहला भाग इज़रायल, दूसरा वेस्ट बैंक और तीसरा गाज़ा पट्टी कहलाया.

1948 की जंग को भले ही इज़रायल ने जीता हो, लेकिन इस जंग में उसकी जमीन का कुछ टुकड़ा अरब देशों के पास भी चला गया था. ऐसे में इज़रायल लंबे वक़्त वह हिस्सा वापस लेने की फिराक में था. इज़रायल को यह मौका मिला साल 1966-67 में. इस दौरान इज़रायल और पांच देशों सीरिया, मिस्र, जॉर्डन, ईराक और लेबनान के बीच जंग छिड़ गई. करीब छह दिनों तक चली इस जंग में इज़रायल ने अकेले ही पांच देशों को एक साथ पटखनी दे दी.

इस जंग के अंत में इज़रायल ने गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक पर वापस से अपना कब्ज़ा कर लिया जबकि दूसरी तरफ फिलीस्तीन इसे अपना हिस्सा बताता है. हालांकि इसकी परवाह किए बिना इज़रायल ने इन स्थानों पर यहूदियों को बसाना शुरू कर दिया. पहले युद्ध की तरह ही एक युद्ध में भी करीब पांच लाख फिलीस्तीनियों को अपना इलाका छोड़ना पड़ा था. वेस्ट बैंक पर आज भी इज़रायल का कब्ज़ा है जबकि गाज़ा पट्टी से वह पीछे हट चुका है.

येरूशलम क्या है?

इज़रायल और फिलीस्तीन के बीच विवाद में येरूशलम का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहता है. दरअसल समुद्र के किनारे बसा येरूशलम एक ऐसा शहर है, जिसे इज़रायल और फिलीस्तीन दोनों ही देश अपनी राजधानी बताते है. हालांकि अमेरिका सहित कई देश येरूशलम को इज़रायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे चुके है. हालांकि इज़रायल और अन्य मुस्लिम देश इसे नहीं मानते. येरूशलम की ख़ास बात यह है कि इसे यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही बहुत पवित्र मानते है.

दरअसल येरूशलम में पवित्र सेपुलकर चर्च है, जिसे लेकर मान्यता है कि इसी जगह पर ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. इसलिए ईसाई  धर्म में इसका बहुत महत्व है. वहीं यहां पर अल-अक्सा मस्जिद है, जिसे लेकर मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद यहां से ही जन्नत के लिए गए थे. ऐसे में मुस्लिम इसे बहुत पवित्र मानते है. इसके अलावा येरूशलम में एक मंदिर की दीवार है. इसको लेकर यहूदियों का मानना है कि उस दीवार के पीछे उनका पवित्र स्थान होली ऑफ होलीज़ है. इसलिए इज़रायल के लिए यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है.

येरूशलम, गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक यह तीन स्थान है जिनको लेकर इसराइली और फ़लस्तीनियों के बची तनाव चरम पर है. गाज़ा पट्टी पर इस समय हमास का कब्ज़ा है जबकि वेस्ट बैंक पर इज़रायल का नियंत्रण है. इज़रायल और फिलीस्तीन के बीच ऐसी कई समस्याएँ है, जिनकी वजह से लगता है कि इनके बीच विवाद कभी खत्म नहीं होगा. जैसे फ़लस्तीनी शरणार्थियों के साथ क्या होना चाहिए? वेस्ट बैंक में यहूदी बस्तियों का क्या किया जाएगा, क्या वे हटाई जाएँगी या नहीं? और यरुशलम को इज़रायल और फिलीस्तीन कैसे आपस में बाँटेंगे? यह कुछ ऐसे सवाल है, जिनका जवाब पाना मुश्किल है.

हमास क्या है? What is Hamas?

हमास का गठन 1987 में हुआ था. दरअसल फिलस्तीन की ओर से इस लड़ाई को हमास लड़ रहा है. हमास खुद को एक राष्ट्रवादी संगठन बताता है जबकि इज़रायल नज़रों में हमास एक आतंकी संगठन है. दूसरी तरफ हमास भी इज़रायल के वजूद को नहीं मानता है. इज़रायल का आरोप है कि हमास अक्सर उसके हिस्से में मिसाइलें दागता है.

मोसाद क्या है? What is Mossad?

मोसाद इज़रायल की एक खुफिया एजेंसी है, जो दुनिया की सबसे खौफनाक एजेंसी के तौर पर मानी जाती है. मोसाद के बारे में कहा जाता है कि अगर वह किसी को अपना दुश्मन मान लेती है तो फिर उसका खात्मा करके ही दम लेती है.

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