Narayan Rane Biography – जानिए नारायण राणे कौन है? उद्धव ठाकरे से रहा है पुराना विवाद

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Narayan Rane Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बारे में बात करेंगे. नारायण राणे महाराष्ट्र भाजपा के दिग्गज नेताओं में से एक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है. नारायण राणे आज भले ही भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक हैं, लेकिन किसी समय उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत शिवसेना से की थी.  शिवसेना के बाद कांग्रेस से होते हुए नारायण राणे आज भाजपा के बड़े नेता बन चुके हैं.

दोस्तों अब तक आप तो यह जान ही चुके होंगे कि नारायण राणे कौन है? (Who is Narayan Rane) आगे इस आर्टिकल में हम नारायण राणे के परिवार (Narayan Rane Family), नारायण राणे के राजनीतिक करियर (Narayan Rane Political Career) और नारायण राणे के विवाद (Narayan Rane controversy) सहित अन्य चीजों के बारे में जानेंगे. तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं नारायण राणे का जीवन परिचय.

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नारायण राणे की जीवनी (Narayan Rane Biography)

महाराष्ट्र के कद्दावर नेता नारायण राणे का जन्म 10 अप्रैल 1952 को रत्नागिरी में एक सामान्य परिवार में हुआ था. नारायण राणे के पिता का नाम सीताराम राणे तातू सीताराम राणे और माता का नाम लक्ष्मीबाई तातु राणे है.

नारायण राणे की शिक्षा (Narayan Rane Education)

नारायण राणे ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के ही एक स्कूल से पूरी की है. नारायण राणे ने घाटकोपर शिक्षण प्रसारक मंडल रत्न शाला से 11वीं तक पढ़ाई की है. इसके अलावा नारायण राणे की शिक्षा को लेकर फ़िलहाल ज्यादा जानकारी नहीं है.

नारायण राणे का परिवार (Narayan Rane Family)

नारायण राणे की पत्नी (Narayan Rane wife) का नाम नीलम राणे है. नारायण राणे के दो पुत्र (Narayan Rane son) है. नारायण राणे के बेटों का नाम नीलेश राणे और नीतेश राणे है. नितेश राणे भाजपा के विधायक है.

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नारायण राणे का राजनीतिक करियर (Narayan Rane Political Career)

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नारायण राणे ने अपने करियर के शुरूआती दौर में अपनी आजीविका के लिए एक चिकन शॉप चलाया करते थे. नारायण राणे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत साल 1968 में 16 साल की उम्र में शिवसेना से की थी. अपने करियर के शुरूआती दौर में उन्होंने युवाओं को शिवसेना से जोड़ने का काम किया. इससे शिवसेना के अंदर नारायण राणे जल्द ही लोकप्रिय हो गए. शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे भी नारायण राणे की कार्यशैली से खासे प्रभावित हुए और उन्होंने नारायण राणे को चेंबूर में शिवसेना का शाखा प्रमुख बना दिया.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने

इसके बाद नारायण राणे का कद शिवसेना में तेजी से बढ़ा. 1985 से 1990 तक राणे शिवसेना के कॉर्पोरेटर रहे. साल 1990 में शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में नारायण राणे को टिकट दिया और नारायण राणे ने चुनाव जीतकर उसे सही साबित किया. साल 1996 में महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना की गठबंधन सरकार में नारायण राणे राजस्व मंत्री बने. साल 1999 में जब मनोहर जोशी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से हटे तो बालासाहेब ठाकरे ने अपने भरोसेमंद नारायण राणे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया.

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शिवसेना ने किया बाहर

नारायण राणे ने करीब 9 महीने तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद संभाला. हालाँकि इस दौरान नारायण राणे और बालासाहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के बीच खींचतान होने लगी. अगले विधानसभा चुनाव में जब में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन को हार मिली तो नारायण राणे विपक्ष के नेता बन गए. इस बीच नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच खींचतान बढ़ने लगी. इसी बीच जब बालासाहेब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया तो नारायण राणे नाराज हो गए. नारायण राणे ने उद्धव की प्रशासनिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा दिए, जिसके बाद साल 2005 में शिवसेना ने नारायण राणे को पार्टी से बाहर कर दिया.

कांग्रेस में शामिल हुए

शिवसेना से निकाले जाने के बाद नारायण राणे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. कांग्रेस ने नारायण राणे को महाराष्ट्र सरकार में रेवेन्यू मंत्री बनाया गया. साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद जब विलासराव देशमुख ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो कांग्रेस ने अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री बना दिया. इससे नारायण राणे नाराज हो गए और उन्होंने बयानबाजी शुरू कर दी. ऐसे में कांग्रेस ने नारायण राणे को छह साल के लिए निलंबित कर दिया. हालाँकि बाद में नारायण राणे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से माफ़ी मांगी तो उन पर लगा निलंबन हटा लिया गया और उन्हें महाराष्ट्र सरकार में इंडस्ट्री मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया.

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भाजपा में शामिल हुए

साल 2017 में नारायण राणे ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और खुद की पार्टी बनाई, जिसका नाम महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष रखा गया. साल 2018 में नारायण राणे ने अपनी पार्टी का समर्थन भाजपा को देने का ऐलान किया. इस बीच नारायण राणे की भाजपा से नजदीकियां बढती चली गई. साल 2019 में नारायण राणे आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए. इसके साथ ही नारायण राणे ने अपनी पार्टी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष का भाजपा में विलय कर दिया. भाजपा में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नारायण राणे को अपनी सरकार में शामिल किया. साल 2021 में नरेन्द्र मोदी ने नारायण राणे को MSME मंत्रालय दिया.

नारायण राणे और उद्धव ठाकरे (Narayan Rane and Uddhav Thackeray)

नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच मतभेद किसी छुपे हुए नहीं है. शिवसेना छोड़ने के बाद से ही नारायण राणे लगातार उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे को निशाना बनाते रहे हैं.

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नारायण राणे के विवाद (Narayan Rane controversy)

नारायण राणे अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहते हैं. साल 2021 में नारायण राणे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना करते हुए उन्हें ‘थप्पड़’ तक मारने की बात कह डाली थी. राणे के इस बयान के बाद उन पर एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कई शहरों में नारायण राणे के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. नारायण राणे ने अपने बयान में कहा था कि, ‘ये शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को ये नहीं पता कि हमें आजाद हुए कितने साल हो गए. अपने भाषण के दौरान उन्होंने पीछे मुड़कर अपने सहयोगी से पूछा था. अगर मैं वहा होता तो उन्हें जोरदार थप्पड़ मारता.’

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