संघ यानि RSS क्या है ? संघ क्या काम करता है ? जानिए संघ के बारे में

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) यानि RSS हमारे देश का एक हिन्दू राष्ट्रवादी स्वयंसेवक संगठन हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देशभर में आरएसएस (RSS) के नाम से भी जाना जाता है. आरएसएस को ही भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) यानि बीजेपी (BJP) पार्टी का पैतृक संगठन भी कहा जाता है. इस संघ को विश्व का सबसे विशाल स्वयंसेवी संस्थान भी माना जाता है.

आज हम आपको आरएसएस के बारे में ही खास बातें बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं RSS की स्थापना से लेकर RSS की संरचना, RSS के कार्य और RSS की उपलब्धियों आदि के बारे में विस्तार से (About RSS) :

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना (Establishment of Rashtriya Swayamsevak Sangh) 27 सितंबर 1925 को डॉ केशव हेडगेवार dr keshav hedgewar द्वारा विजयादशमी के अवसर पर की गई थी. जब सर्वप्रथम 1975 में इमरजेंसी (emergency in India) यानि कि आपातकाल की घोषणा की गई थी इस दौरान तत्कालीन जनसंघ पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था. इसके साथ ही आरएसएस पर भी यह प्रतिबंध लगाया गया था.

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जैसे ही इमरजेंसी को हटाया गया तब जनसंघ का विलय भारतीय जनता पार्टी (BJP) में हो गया. जिसके बाद केंद्र के द्वारा मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व के अंतर्गत मिलजुली सरकार को बनाया गया. सरकार बनने के साथ ही इस संगठन का राजनैतिक महत्व भी बढ़ने लगा. और यह देखते ही देखते बीजेपी यानि भारतीय जनता पार्टी के रूप में सामने आया, जिसे आज भी संघ की एक राजनैतिक शाखा के रूप में देखा जाता है.

आरएसएस की स्थापना किए जाने के 75 साल बाद साल 2000 में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और उनके नेतृत्व में ही NDA की मिलीजुली सरकार बनाई गई. जिसके बाद भाजपा सत्ता में आई.

आगे की बात करें तो आरएसएस में सबसे बड़ा स्थान सरसंघचालक का माना जाता है और इनके द्वारा ही संघ का संचलन किया जाता है और सभी को दिशा निर्देश दिया जाता है. सरसंघचालक के पद के लिए नियुक्ति को मनोनयन द्वारा किया जाता है. हर सरसंघचालक के द्वारा ही अपने उत्तराधिकारी की भी घोषणा की जाती है.

वर्तमान में सरसंघचालक के पद पर मोहन भागवत विराजमान हैं. संघ के द्वारा कई कार्यों को अंजाम दिया जाता है और इसका निर्वहन शाखा के द्वारा होता है. इसके चलते ही संघ के सदस्यों की मुलाकात भी किसी सार्वजानिक जगह पर सुबह-शाम एक घंटे के लिए होती है. 

सभी संघ के कार्यकरी इस मुलाकात के दौरान अपने कार्यो को लेकर चर्चा करते हैं. बात करें वर्तमान की तो बता दें कि वर्तमान में भारत वर्ष में आरएसएस की 55 हजार से भी अधिक शाखाएँ कार्यरत हैं. इसलिए ही संघ को विश्व का सबसे बड़ा संगठन भी कहा जाता है.

शाखा के द्वारा कई गतिविधियाँ भी की जाती हैं जिनमें योग, खेल,वंदना आदि शामिल हैं. इस दौरान ही देश के सांस्कृतिक पहलुओं पर भी चर्चा होती है.

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संघ का कार्य करने का एक खास तरीका है और इसकी एक व्यवस्था है जिसके तहत हर कार्य को किया जाता है. यह रचनात्मक व्यवस्था कुछ इस तरह से काम करती है :

सबसे ऊपर केंद्र, जिसके बाद क्षेत्र, इसके बाद आता है प्रांत, फिर विभाग, जिला, तालुका/तहसील, नगर, खण्ड, मण्डल, ग्राम, शाखा.

आप कहेंगे कि शाखा क्या होती है और शाखा कैसे काम करती है ? तो चलिए बताते हैं :

शाखा का आयोजन किसी खुले मैदान का सामाजिक जगह पर किया जाता है. इसके अंतर्गत खेल से लेकर योग, प्रार्थना, गीत आदि किए जाते हैं. यह आमतौर पर एक घंटे की होती है. शाखा के भी कई प्रकार होते हैं जिनमें प्रभात शाखा, सायं शाखा और रात्रि शाखा हैं.

जब हफ्ते में एक या दो बार मिलने का आयोजन होता है तो इसे मिलन कहा जाता है. जबकि महीने में एक या दो बार लगने वाली शाखा को संघ मंडली कहा जाता है. भारत के अलावा विश्व के कई दुसरे देखों में भी शाखाएँ हैं और कार्यरत हैं. आरएसएस को कुछ जगहों पर भारतीय स्वयंसेवक संघ तो कुछ जगहों पर हिन्दू स्वयंसेवक संघ भी कहा जाता है.

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यहाँ सबसे बड़ा पद कार्यवाह का होता है. जिसके बाद मुख्य शिक्षक का पद आता है. इसके अलावा जो भी व्यक्ति खुद की इच्छा से जुड़ता है उसे स्वयंसेवक कहा जाता है.

आरएसएस विश्व के करीब 80 से भी अधिक देशों में कर करता है. जबकि संघ के 50 से भी अधिक संगठन हैं जिन्हें नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर भी काफी नाम मिला हुआ है. जबकि 200 से अधिक संगठन ऐसे भी कार्यरत हैं जो की क्षेत्रीय लेवल पर सक्रिय हैं और क्षेत्र हित में काम करते हैं.

अलग-अलग क्षेत्रों में संघ के अलग-अलग संगठन सक्रिय हैं. जिनमें से कुछ संगठनों के नाम कुछ इस प्रकार हैं :

भारतीय जनता पार्टी, भारतीय किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ, सेवा भारती, राष्ट्र सेविका समिति, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद, हिन्दू स्वयंसेवक संघ, स्वदेशी जागरण मंच, सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, बजरंग दल, लघु उद्योग भारती, भारतीय विचार केन्द्र, विश्व संवाद केन्द्र, राष्ट्रीय सिख संगत, हिन्दू जागरण मंच, विवेकानन्द केन्द्र, संघ शिक्षण वर्ग.

संघ की प्रार्थना क्या है ?

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे (सदा वत्सल मातृभूमि, आपके सामने शीश झुकाता हूँ).

संघ की शाखा के साथ ही कई आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में इस प्रार्थना को अनिवार्य रूप से गया जाता है और ध्वज के सामने नमन किया जाता है.

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने और हिन्दू समुदाय को एकजुट करना और हिन्दू अनुशासन को ध्यान में रखते हुए प्रारम्भिक प्रोत्साहन प्रदान किया जाना था. इस संगठन के द्वारा भारतीय संस्कृति को बनाए रखने के उद्देश्य को प्रबल किया जाता है और बहुसंख्यक हिंदू समुदाय मजबूत करने के साथ ही हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार किया जाता है.

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