Sindhutai Sapkal Biography – 1500 बच्चों की मां सिंधुताई सपकाल की कहानी…

Sindhutai Sapkal Biography - Life Story, Awards, Child, Mother Teresa of Maharashtra

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Sindhutai Sapkal Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम पद्मश्री सिंधुताई सपकाल (Padmashree Sindhutai Sapkal) के बारे में बात करेंगे. सिंधुताई सपकाल ने बेसहारा बच्चों के लिए जो किया, वो अपने आप में एक मिसाल है. अनाथ बच्चों की मदद करने के लिए सिंधुताई ने ट्रेनों में भीख तक मांगी. यही वजह है कि उन्हें महाराष्ट्र की मदर टेरेसा (Mother Teresa of Maharashtra) भी कहा जाता है. बेसहारा बच्चों के लिए उनके द्वारा किए गए कामों को देखते हुए ही भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया था.

दोस्तों सिंधुताई सपकाल कौन थी? (Who was Sindhutai Sapkal?) यह तो हम सभी जान ही चुके है. आगे इस आर्टिकल में हम सिंधुताई सपकाल की कहानी (sindhutai sapkal life story) के बारे में जानेंगे. हम जानेंगे कि कैसे सिंधुताई सपकाल ने खुद जीवन में कितनी ही परेशानियों का सामना किया और कैसे उन्होंने बेसहारा बच्चों को सहारा दिया. तो चलिए शुरू करते है सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय.

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Sindhutai Sapkal Biography

सिंधुताई सपकाल जीवनी (Sindhutai Sapkal Biography)

दोस्तों महाराष्ट्र की मदर टेरेसा के नाम से जानी जाने वाली सिंधुताई सपकाल का जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पिंपरी मेघे गाँव में हुआ था. सिंधुताई सपकाल के पिता का नाम अभिमान साठे था. सिंधुताई के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं था. उनका परिवार मवेशी चराकर अपना गुजर-बसर करता था.

सिंधुताई सपकाल की शिक्षा (Sindhutai Sapkal Education)

सिंधुताई के पिता उन्हें पढ़ाना चाहते थे जबकि उनकी मां घर की आर्थिक परस्थितीयों को देखते हुए उनकी शिक्षा के विरोध में थी. हालांकि उनके पिता ने अपनी पत्नी के खिलाफ जाकर भी अपनी बेटी को स्कूल भेजना शुरू किया. घर की आर्थिक परस्थितीयों के चलते उन्हें चौथी क्लास में स्कूल छोड़ना पड़ा.

सिंधुताई सपकाल का निजी जीवन (Sindhutai Sapkal Married Life)

सिंधुताई जब 10 वर्ष की थी, तभी उनका विवाह 20 साल के व्यक्ति से कर दिया गया था. 20 वर्ष की होते-होते सिंधुताई 3 बच्चों की मां बन चुकी थी. सिंधुताई के मन में हमेशा से गरीबों और पीड़ितों के लिए दया का भाव था. एक बार उन्होंने महिलाओं को मजदूरी के पैसे ना देने के कारण गाँव के मुखिया की शिकायत जिला अधिकारी से कर दी. इससे गुस्साएं मुखिया ने सिंधुताई के खिलाफ षड़यंत्र रचकर उन्हें उनके पति द्वारा ही घर से बाहर निकलवा दिया. उस समय सिंधुताई 9 महीने की गर्भवती थी.

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Sindhutai Sapkal Biography

सिंधुताई सपकाल का जीवन चरित्र (Sindhutai Sapkal Life Character)

पति द्वारा मारपीट कर घर से बाहर निकाले जाने के बाद सिंधुताई ने बेहोशी की हालत में गायों के बीच एक बेटी को जन्म दिया फिर अपने हाथ से नाल भी काटी. उस समय सिंधुताई के पास कोई घर नहीं था. तब तक सिंधुताई के पिता का देहांत हो चुका था और उनकी मां ने सिंधुताई को घर में रखने से मना कर दिया. ऐसे में उन्होंने अपना पेट भरने के लिए ट्रेन में भीख मांगना शुरू कर दिया. कभी-कभी श्मशान घाट में चिता की रोटी भी खाई. जीवन की इन विपरीत परिस्थियों में कई बार उन्होंने आत्महत्या करने की भी सोची.

एक बार सिंधुताई को रेलवे स्टेशन पर एक बेसहारा बच्चा मिला. उस समय उनके मन में यह विचार आया कि देश में कितने ऐसे बच्चे होंगे जिनको एक माँ की जरुरत है. तब से उन्होने निर्णय लिया कि जो भी अनाथ उनके पास आएगा वह उनकी माँ बनेंगी. बेसहारा बच्चों को सहारा देने के लिए उन्होंने खुद अपनी बेटी को एक ट्र्स्ट में गोद दे दिया और खुद पूरी तरह से बेसहारा बच्चों की मदद करने में जुट गई.

अनाथ बच्चों की मदद करने के लिए सिंधुताई ने हरसंभव कोशिश की. उन्होंने अनाथ बच्चों का पेट भरने के लिए सड़कों पर भीख तक मांगी. अनाथ बच्चों के लिए एक आश्रम बनाने के लिए सिंधुताई ने कई शहरों और गांवों का दौरा किया. सिंधुताई ने अनाथ बच्चों को बस सहारा ही नहीं दिया बल्कि उन्हें अच्छी शिक्षा भी दी. उनके द्वारा अपनाएं गए कई बच्चे आज डॉक्टर, वकील सहित अन्य पदों पर रहकर काम कर रहे हैं.

सिंधुताई द्वारा शुरू किया गया यह सिलसिला महाराष्ट्र की 6 बड़ी समाजसेवी संस्थाओं में तब्दील हो चुका है. इन संस्थाओं में 1500 से ज्यादा बेसहारा बच्चे एक परिवार की तरह रहते हैं. इन संस्थाओं में बच्चों के लिए ‘अनाथ’ शब्द का उपयोग वर्जित है क्यों कि इन सभी बच्चों की मां का नाम सिंधुताई है. सभी बच्चे सिंधुताई को प्यार से ‘माई’ कहकर बुलाते है. सिंधुताई के कई बच्चों की शादी भी हो गई है. सिंधुताई की संस्थानों में बेसहारा बच्चों ही नहीं बल्कि विधवा महिलाओं को भी आसरा मिलता है. वे खाना बनाने से लेकर बच्चों की देखरेख का काम करती हैं.

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सिंधुताई सपकाल को मिले सम्मान (Sindhutai Sapkal honored)

सिंधुताई सपकाल ने बेसहारा बच्चों और महिलाओं के लिए जो किया वह अपने आप में मिसाल है. उन्हें इन अच्छे कामों के चलते 700 से भी ज्यादा सम्मान से सम्मानित किया गया था. सिंधुताई को DY पाटिल इंस्टिट्यूट की तरफ से डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई है. भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा सिंधुताई के जीवन पर एक मराठी फिल्म ‘मी सिंधुताई सपकाल’ भी रिलीज हो चुकी है.

सिंधुताई सपकाल द्वारा संचालित संगठन (Organization Run by Sindhutai Sapkal)

  1. सनमती बाल निकेतन, भेलहेकर वस्ती, हडपसर,
  2. पुणेममता बाल सदन, कुंभारवलन, सासवद
  3. माई का आश्रम चिखलदरा, अमरावती
  4. अभिमान बाल भवन, वर्धा
  5. गंगाधरबाबा छत्रालय, गुहा
  6. सिंधु ‘महिला अधार, बालसंगोपन शिक्षण संस्थान, पुणे

सिंधुताई सपकाल का निधन (Sindhutai Sapkal passes away)

4 जनवरी 2022 को दिल का दौरा पड़ने से सिंधुताई सपकाल का 73 वर्ष की उम्र में पुणे में निधन हो गया था. सिंधुताई ने पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में अंतिम सांस ली.

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