जानिए उरी हमला और उसके बाद Indian Army की Surgical strike की पूरी कहानी

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18 सितम्बर 2016 का दिन भारतीय इतिहास का काला दिन है। इसी दिन जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में चार आतंकियों ने धोके से हमला करके हमारे देश के 19 जवानों को शहीद कर दिया था। हालांकि भारतीय सेना ने भी इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया और 10 दिन के अंदर ही LOC पार करके आतंकियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया। आज उस घटना को चार साल हो चुके हैं। तो चलिए आज जानते हैं उरी आतंकवादी हमला और Surgical strike की पूरी कहानी।

1. उरी हमला कब और कैसे हुआ था :- 18 सितम्बर 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हमारे देश के जवान अपने कैंप में सो रहे थे। इस दौरान सुबह करीब 5 बजे जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादी सेना की वर्दी में सेना के मुख्यालय में घुसे और जवानों पर हमला कर दिया। इससे पहले कि हमारे जवानों को हमले के बारे में पता चलता आतंकवादियों ने एक के बाद एक लगातार 17 हैंड ग्रेनेड फेंके। यह हमला इतना भयानक था कि इस हमले में हमारे देश के 19 जवान शहीद हो गए। हालांकि इस हमले के बाद भारतीय सेना के जवानों ने चारो आतंकवादियों को मार गिराया।

2. उरी हमले में शहीदों के नाम :-

  1. सूबेदार करनैल सिंह, गांव- शिबू चाक, तहसील-बिशनाह, जिला-जम्मू, जम्मू-कश्मीर।
  2. हवलदार रवि पॉल, गांव- सांबा, जिला-जम्मू, जम्मू-कश्मीर।
  3. सिपाही राकेश सिंह, गांव- बद्दजा, जिला कैमूर, बिहार।
  4. सिपाही जावड़ा मुंडा, गांव- मेराल, जिला- खूटी, झारखंड।
  5. सिपाही नैमान कुजुर, गांव-गुमला, चैनपुर, झारखंड।
  6. सिपाही उइकी जनराव, गांव-नंदगांव, अमरावती, महाराष्ट्र।
  7. हवलदार एनएस रावत, गांव- राजावा, जिला-राजसमंद, राजस्थान।
  8. सिपाही गणेश शंकर, गांव- घूरापल्ली, संत कबीर नगर, यूपी।
  9. नायक एसके विद्यार्थी, गांव- बोकनारी, जिला-गया, बिहार।
  10. सिपाही बिस्वजीत घोरई, गांव- गंगा सागर, जिला- दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल।
  11. लांस नायक जी. शंकर, गांव- जाशी, जिला- सतारा, महाराष्ट्र।
  12. सिपाही जी. दालाई, गांव जमुना बलिया, हावड़ा, पश्चिम बंगाल।
  13. लांस नायक आरके यादव, गांव- बलिया, यूपी।
  14. सिपाही हरिंदर यादव, गांव- गाजीपुर, यूपी।
  15. सिपाही टीएस सोमनाथ, गांव- खडानगली, नासिक, महाराष्ट्र।
  16. हवलदार अशोक कुमार सिंह, गांव- राक्तु टोला, भोजपुर, बिहार।
  17. सिपाही राजेश कुमार सिंह, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
  18. सिपाही विकास जनार्दन, गांव पुरद, यावतमाल,  महाराष्ट्र।

3. देशभर में गुस्सा :- उरी हमले के में शहीद हुए 19 जवानों की शहादत को लेकर पूरे देश में गुस्से का माहौल छा गया। जवानों के अंतिम संस्कार में भारी संख्या में लोग पहुंचे और सरकार से इसका बदला लेने की मांग करने लगे। भारतीय सेना भी अपने जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए तैयार थी। भारतीय सरकार ने भी सेना और लोगों की मांग का समर्थन करते हुए सेना को Surgical strike करने की इजाजत दे दी।

4. Surgical strike :- पाकिस्तान और आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना उरी हमले के ठीक 10 दिन बाद LOC पार करके POK में दाखिल हुई। 28 सितंबर की आधी रात को लगभग 12 बजे MI 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज POK में उतरे। भारत के वीर जवानों ने चारों ओर खतरे के बीच 3 किलोमीटर का फासला रेंगकर तय किया। भारतीय सेना को पहले ही रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस की मदद से आतंकवादी कैम्पों की पूरी जानकारी मिल चुकी थी। भारतीय सेना के जवान आतंकियों के लांच पैड्स वाले इलाकों जैसे भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में पहुंचे। भारतीय सेना ने यह काम इतनी ख़ामोशी से किया कि पाकिस्तानी सेना को इसका अहसास ही नहीं हुआ।

5. आतंकवादियों के कैंप कर दिए तबाह :- आतंकवादी कैम्पों के पास पहुंचकर भारतीय सेना के जवानों ने उन पर हमला बोल दिया। सेना के जवान तवोर और M-4 जैसी राइफलों,  ग्रेनेड्स, स्मोक ग्रेनेड्स से लैस थे। इसके अलावा जवानों के पास ग्रेनेड लांचर, रात में देखने के लिए नाइट विजन डिवाइसेज और हेलमेट माउंटेड कैमरा भी थे। भारतीय सेना का हमला इतना दमदार था कि देखते ही देखते आतंकवादियों के टीम कैंप पूरी तरह से तबाह हो गए। भारतीय सेना के इस हमले में 38 आतंकवादी मारे गए। इस हमले में आतंकवादियों की मदद करने के लिए पहुंचे पाकिस्तानी सेना के 2 जवानों को भी भारतीय सेना ने मार गिराया। ख़ास बात यह है कि इस हमले में भारतीय सेना का बिलकुल नुकसान नहीं हुआ।

6. दिल्ली से ऑपरेशन पर नजर :- POK में दाखिल होकर Surgical strike करना बहुत बड़ा फैसला था। क्योंकि यह मिशन फ़ैल हो जाता और हमारे जवानों को कुछ हो जाता तो पूरी सरकार कठघरे में आ जाती। ऐसे में दिल्ली में स्थित सेना मुख्यालय में मौजूद war room से पूरे ऑपरेशन पर नजर रखी जा रही थी। तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, NSA अजित डोभाल और तत्‍कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग डिनर के बहाने रात 8 बजे ही सेना मुख्यालय पहुंच गए थे। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पूरी रात अधिकारियों से मिशन के बारे में जरूरी जानकारी लेते रहे।

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