कौन हैं रेखा मिश्रा? जो बचा चुकी हैं एक हजार से भी अधिक असहाय बच्चों की जान

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Indian Police Officer Rekha Mishra/Rekha Mishra Biography in Hindi – आज देश की महिलाऐं हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं. जैसे आज हम बात कर रहे हैं सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा (Sub-Inspector Rekha Mishra) के बारे में जिन्होंने 950 बच्चों को जीवनदान दिया है. उनकी अपनी बहादुरी से ना केवल इन बच्चों को तस्करी से बचाया बल्कि इन्हें फिर से एक नया जीवन देकर एक मिसाल भी कायम की है.

अपने ऐसे हिम्मत से भरे काम को करने के लिए सरकार के द्वारा रेखा मिश्रा (Rekha Mishra) को साल 20117 में नारी शक्ति पुरस्कार भी दिया जा चुका है. एक सब इंस्पेक्टर के रूप में वे अपनी हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभा रही हैं और अपना और अपने देश का नाम रोशन कर रही हैं.

आज हम इन्हीं रेखा मिश्रा की बायोग्राफी (Rekha Mishra Biography) के बारे में बात करने जा रहे हैं. हम जानेंगे रेखा मिश्रा और 950 बच्चों की कहानी, साथ ही जानेंगे रेखा मिश्रा से उनकी प्रेरणा के बारे में. तो चलिए जानिए हैं सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा के बारे में विस्तार से.

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कौन हैं रेखा मिश्रा ? (who is Rekha Mishra?)

रेखा मिश्रा मध्य रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force) में एक सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. वे उत्तर प्रदेश के इलाहबाद की रहने वाली हैं और अब तक कई छोटे-मोटे कारनामों को अंजाम दे चुकी हैं. रेखा मिश्रा ने 950 से भी अधिक असहाय बच्चों को उनके परिजनों तक पहुँचाया था. इस काम के लिए रेखा मिश्रा को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने सम्मानित भी किया था. यही नहीं मराठी मीडियम के महाराष्ट्र के बच्चे क्लास 10वीं में उनके बारे में पढेंगे.

रेखा मिश्रा ने कैसे बचाया 950 बच्चों को तस्करी से ?

साल 2015 में रेखा मिश्रा (Rekha Mishra) ने रेलवे प्रोटेक्शन फाॅर्स यानि आरपीएफ (RPF) को ज्वाइन किया था. इसके लिए उन्हें उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ट्रेनिंग दी गई और इसके बाद तुरंत ही उन्हें पोस्टिंग के साथ ही मुंबई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) भेज दिया गया. यहाँ ड्यूटी के दौरान उन्होंने कई काम किए, जिसमें सबसे बड़ा काम था अपने घरों से भागकर यहाँ पहुंचे करीब 950 बच्चों को उनके माता-पिता के पास वापस भेजना.

इन बच्चों में से करीब 250 बच्चे तो उत्तर प्रदेश से भागे हुए ही थे. रेखा अपने इस काम को लेकर यह कहती हैं कि बच्चे असर ही मुंबई की चकाचौंध को देखकर यहाँ आ जाते हैं. लेकिन यहाँ आने के बाद उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं वे ऐसे गिरोहों का भी शिकार हो जाते हैं जो बच्चों को अपने झांसे में लेकर गलत कामों में शामिल कर लेते हैं.

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कहाँ से हुई बच्चों को उनके पेरेंट्स से मिलवाने की शुरुआत (Rekha Mishra finding hundreds of lost children) :

इस बारे में बात करते हुए रेखा बताती हैं कि उन्हें कुछ समय पहले स्टेशन पर उन्हें एक बच्चा रोता हुए मिला था जोकि पिता की डांट से परेशान होकर घर से भाग गया था और मुंबई पहुँच गया था. लेकिन अब वह काफी परेशान था जिसके बाद रेखा ने उस बच्चे के परिजनों से सम्पर्क किया और उनसे बच्चे को मिलवाया.

इसके बाद से ही रेखा मिश्रा ने ऐसे बच्चों को उनके पेरेंट्स से मिलवाना शुरू किया जो घर से किसी कारण भागकर मुंबई पहुँच जाते हैं और बाद में परेशानी का सामना करते हैं. अब रेखा मिश्रा ऐसे बच्चों को उनके पेरेंट्स के मिलवाने का काम रेगुलर करती हैं और करीब 1000 से भी अधिक बच्चो को उनके घर पहुंचा चुकी हैं.

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