वे लोग जो थे भारत रत्न के सच्चे हकदार, लेकिन कभी मिला नहीं भारत रत्न सम्मान

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Bharat Ratna award ke Haqdar in Hindi –

हमारे देश में सबसे बड़ा और सम्मानीय अवार्ड भारत रत्न अवार्ड (bharat ratna award) को माना जाता है. जो व्यक्ति देश की सर्वोच्च सेवा करने वाले नागरिकों को यह सम्मान दिया जाता है. हालाकि अभी तक उपेक्षा के चलते कुछ महान व्यक्तियों को यह अवार्ड नही दिया गया है. लेकिन देखा जाए तो वह उस अवार्ड के असली हकदार थे. आज हम आपको कुछ इसे ही महान व्यक्तियों के बारे में बतायेंगे जो भारत रत्न अवार्ड पाने के हकदार तो थे किन्तु उन्हें वह अवार्ड (bharat ratna award) नहीं दिया गया.

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) :-

देश की सर्वोच्च सेवा करने की जब भी बात आती है तो सबसे पहले राष्टपिता महात्मा गाँधी का नाम लिया जाता है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि देश की आजादी में अपना अहम योगदान देने वाले बापू को यह पुरस्कार नही दिया गया.

सरकार इस बात के पीछे अजीब तर्क देती है, उनका कहना है महात्मा गाँधी का कद भारत रत्न से कही बड़ा. गाँधी जी राष्ट्रपिता हैं, इसलिए उन्हें इस पुरस्कार की आवश्यकता ही नहीं है. लेकिन हमारा ऐसा मानना है की महात्मा गाँधी ऐसी शख्सियत थे जो किसी पुरस्कार या सम्मान की मोहताज नहीं थे.

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मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) :-

एक समय था जब भारत की पहचान सिर्फ दो लोगो से थी, पहली लाठी वाले बापू से तो दूसरे हॉकी वाले ध्यानचन्द से. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचन्द्र ने भारत को लगातार 3 बार ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलवाया है. मेजर ध्यानचंद को भी आज तक भारत रत्न पुरस्कार नही दिया गया.

जब भारत देश गुलामी की जिन्दंगी जी रहा था तब ध्यानचन्द ने लोगों को गर्व महसूस करने के कई अवसर प्रदान किए. जर्मनी का तानाशाह हिटलर ध्यानचन्द के खेल बहुत दीवाना था. उसने ध्यानचन्द को जर्मनी की नागरिकता के बदले कई प्रलोभन भी दिए थे.

लेकिन ध्यानचन्द ने उनके किसी भी प्रस्ताव पर अमल नहीं किया. अपने देश ले लिए उन्होंने इतना सब कुछ किया फिर भी उन्हें सरकार ने खेल रत्न के लायक नहीं समझा

मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) :-

भारतीय सिनेमा को अपनी मखमली आवाज़ और नगमो के माध्यम से सजाने वाले मोहम्मद रफी साहब भी इस अवार्ड को वांछित रह गए. उनकी मधुर आवाज की गूंज शायद संसद तक पहुच ही नहीं पाई.

लेकिन जिस समयस्वर कोकिला लता मंगेशकर को भारत रत्न से समान्नित किया गया उस समय उम्मीद की किरण जगी थी, लेकिन ऐसा हो नही पाया.

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डॉ मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) :-

जिस समय भारत की अर्थव्यवस्था डूबने की कगार पर आ गई थीं, और हम विदेशी बैंकों में अपना सोना गिरवी रखने को मजबूर हो गए थे, उस समय 1991 में देश के वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह बने थे. देश की अर्थव्यवस्था को मनमोहन ने खुले बाजार की अर्थव्यवस्था (Economy of India) बना दिया. उनकी इस पहल से हमारे देश में अधिक मात्रा में विदेशी पूंजी आयी, और नए रोजगार सृजन भी हुए.

इतना ही नहीं करोड़ो व्यक्ति गरीबी रेखा से ऊपर आ गए थे. मनमोहन सिह का यह कदम विश्व मे एक साथ ही सबसे अधिक लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाने वाला बन गया.

उनकी पहल के बाद वह 10 साल तक वह देश के प्रधानमन्त्री के पड़ पर रहे. जिस समय विश्व मे मंदी का दोर आया तो हमर देश इससे अछूत रहा था, जिसका पूरा श्रेय मनमोहन सिह जी को जाता है. उनकी कई उपलब्धियों के बावजूद भी आज तक उन्हें भारत रत्न (bharat ratna) नही दिया गया.

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