शौर्य और पराक्रम का दूसरा नाम थीं देवी अहिल्याबाई होलकर

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देवी अहिल्याबाई होलकर (devi ahilyabai holkar) का नाम मराठा साम्राज्य (maratha empire) की महारानी के तौर पर पर सूबेदार मल्हार राव होलकर (malharrao holkar) के पुत्र खण्डेराव (khanderao) की धर्मपत्नी के रूप में लिया जाता है. इन सबके इतर रानी का नाम उनकी जांबाजी को लेकर काफी मशहूर है. उनके युद्ध कौशल की बात तो या उनके फैसलों की, वे हमेशा से इनमें अव्वल रही हैं.

अहिल्याबाई (ahilyabai holkar) ने महेश्वर (maheshwar) को अपनी राजधानी बनाया था. इसके अलावा वे अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी काफी मशहूर रही. उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के साथ ही कई मंदिर, घाट, कुँए, बावडियों का निर्माण भी करवाया. इसके साथ ही रानी अहिल्याबाई ने भूखे लोगों के लिए अन्नसत्र और प्याऊ का निर्माण भी कराया.

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अहिल्याबाई के बारे में लोगों के मन में कई सवाल हैं. जैसे : अहिल्याबाई होलकर का जन्म कब हुआ? अहिल्याबाई होलकर कौन थीं ? अहिल्याबाई के पति कौन थे ? अहिल्याबाई की जीवनी ? (When was Ahilyabai Holkar born? Who was Ahilyabai Holkar? Who was Ahilyabai’s husband? Biography of Ahilyabai?) आदि. तो चलिए हम आपको बताते हैं बारे में विस्तार से :

अहिल्याबाई  होलकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ? (Ahilyabai Holkar DOB and where she born )

दोस्तों, अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 को चौंडी नामक गाँव में हुआ था. यह गाँव महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के जामखेड़ में स्थित है.

अहिल्याबाई का विवाह कब और किससे हुआ ? (Ahilyabai Holkar Marriage)

जब देवी अहिल्याबाई केवल 10 या 12 वर्ष की थीं तब ही उनका विवाह हो गया था. और महज 19 वर्ष की उम्र में ही वे विधवा भी हो गई थीं. अहिल्याबाई होलकर का विवाह इतिहास में नाम रोशन करने वाले सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव से हुआ था.

अहिल्याबाई ने एक बेटे को साल 1745 में जन्म दिया था, जिसके तीन वर्ष के उपरांत अहिल्याबाई के घर एक बेटी ने जन्म लिया था. रानी के बेटे का नाम मालेराव (malerao) और कन्या का नाम मुक्ताबाई (Muktabai) था.

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अहिल्याबाई के होल्कर वंश का संस्थापक कौन था ? (Who was the founder of Holkar dynasty)

बता दें कि इस वंश के संस्थापक मल्हार राव होल्कर (malharrao holkar) थे, उनका शासन मालवा से लेकर पंजाब तक था. मल्हार राव होलकर का निधन 1766 में हुआ था. मालवा इलाके के वे पहले मराठा सूबेदार हुए. अहिल्याबाई मालवा राज्य (malwa state) की होलकर रानी बनी थी. अहिल्या को लोगों के द्वारा सम्मान से राजमाता (Rajmata) भी कहकर पुकारा जाता था. 

देवी अहिल्याबाई होलकर ने क्या कार्य करवाया जिससे उनका नाम हुआ ?

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी काफी कार्य किए. उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के साथ ही कई मंदिर, घाट, कुँए, बावडियों, भूखे लोगों के लिए अन्नसत्र और प्याऊ का निर्माण भी कराया.

अहिल्या के दिल में अपनी प्रजा के लिए काफी प्यार और दया थी. वे जब भी किसी को मुसीबत या तकलीफ में देखती थीं तो उसे हम करने के लिए आगे कदम बढ़ाती थीं. इसलिए ही लोग भी उन्हें काफी सम्मान और प्यार देते थे.

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देवी अहिल्याबाई होलकर की मृत्यु कब और कैसे हुई? (ahilyabai holkar death)

अहिल्याबाई के विवाह के कुछ समय के बाद ही उनके पति खंडेराव की मृत्यु साल 1954 के दौरान हुई. तब उनके राज्य की चिंता और राज्य का भार अहिल्याबाई के कंधों पर था. कई शोक को अपने दिल में कहने वाली रानी अहिल्याबाई होलकर का निधन 13 अगस्त 1795 को हुआ था. उनके निधन के बाद महाराजा तुकोजी राव ने राज्य की व्यवस्था को संभालाने का दायित्व लिया.

देवी अहिल्याबाई होलकर की बायोग्राफी से जुड़ी कुछ और बातें : (more about ahilyabai holkar biography)

 1. अहिल्याबाई होलकर जन्म से ही काफी चंचल स्वभाव की थीं. वे कई कौशल अपने अंदर समेटे हुए थीं.

2. जब अहिल्याबाई की उम्र 42 साल के करीब थी तब उनके बेटे मालेराव का भी देहांत हो गया था.

3. अहिल्याबाई होलकर को लोग देवी के रूप में मानते थे. और उनकी पूजा करते थे. 

4. देवी अहिल्याबाई ने राज्य में काफी गड़बड़ मची हुई थी उस परिस्थिति में राज्य को ना केवल संभाला बल्कि कई नए आयाम खड़े किए.

5. उनके सम्मान और उनकी याद में ही मध्य प्रदेश के इन्दौर में हर साल भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी के दिन अहिल्योत्सव का आयोजन किया जाता है.

6. अहिल्याबाई होलकर का नाम समूचे भारतवर्ष में बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है. उन्हें लेकर कई पुस्तकों में भी लिखा गया है.

7. अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने देश के कई हिस्सों में काफी काम किए, जिसके चलते भारत सरकार के द्वारा कई जगहों पर रानी की प्रतिमा भी लगवाई गई है. उनके नाम पर कई योजनाएं भी हैं.

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