भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में जीते थे लगातार 6 गोल्ड मेडल, पढ़िए एक-एक गोल्ड मेडल की कहानी

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Indian Hockey Team Medals in olympic history – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में बात करेंगे भारतीय हॉकी टीम के उस स्वर्णिम इतिहास की, जब भारत को हराना किसी भी टीम के लिए जंग जीतने जैसा मुश्किल था. आज भले ही हमारे देश की हॉकी टीम ओलंपिक में मेडल प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही हो, लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब भारतीय हॉकी टीम ने एक के बाद एक लगातार 6 गोल्ड मेडल अपने नाम किए थे. भारतीय हॉकी टीम ने भले ही आखिरी बार साल 1980 में मास्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में अब तक कुल 12 मेडल जीते हैं. इनमें से भी 8 मेडल स्वर्ण, 1 रजत और 3 कांस्य पदक जीते हैं.

दोस्तों ओलंपिक जैसे खेलों में लगातार 6 गोल्ड मेडल जीतना कभी भी आसान नहीं रहा हैं, लेकिन उस समय हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद और उनकी टीम के आगे पूरी दुनिया नतमस्तक थी. यहीं नहीं मेजर ध्यान चंद के बाद भी भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का सिलसिला जारी रखा. तो चलिए दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक में लगातार 8 गोल्ड सहित 12 ओलंपिक पदक जीतने की कहानी.

ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का इतिहास (indian hockey medals in olympic history)

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एम्सटर्डम ओलंपिक 1928 (Amsterdam Olympics 1928)

दोस्तों भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. इस ओलंपिक में दुनिया ने पहली बार हॉकी महान खिलाड़ी और हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद को हॉकी खेलते हुए देखा और जिसने भी उन्हें खेलते हुए देखा वह देखता ही रह गया. इस ओलंपिक में मेजर ध्यान चंद ने सर्वाधिक 14 गोल किए, वहीं भारतीय टीम ने 29 गोल किए.

लॉस एंजेलिस ओलंपिक 1932 (Los Angeles Olympics 1932)

साल 1932 में हुए लॉस एंजेलिस ओलंपिक के बारे में कहा जाता है कि उस समय भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों के बीच गहरे मतभेद थे. हालांकि खिलाड़ियों के बीच मतभेद का असर टीम के प्रदर्शन पर नहीं पड़ा. लॉस एंजेलिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने लगातार दूसरा गोल्ड मेडल जीता. इस दौरान एक मैच में भारत ने मेजबान टीम को 24-1 से के बड़े अंतर से हराया. इस मैच में ध्यानचंद के छोटे भाई रूपचंद ने 10 गोल किए थे. इसके अलावा खिताबी मुकाबले में भी भारत ने 11-0 से जीत दर्ज की.

बर्लिन ओलंपिक 1936 (Berlin Olympics 1936)

यह मेजर ध्यान चंद का आखिरी ओलंपिक था. इसके बाद उन्होंने सन्यास ले लिया था. भारतीय हॉकी टीम ने इस ओलंपिक में लगातार तीसरा गोल्ड मेडल जीतकर मेजर ध्यान चंद को शानदार विदाई दी. बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने 30 गोल किए. मेजर ध्यान चंद की हैट्रिक की बदौलत भारतीय टीम ने फाइनल में जर्मनी को 8-1 के बड़े अंतर से हराया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

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लंदन ओलंपिक 1948 (London Olympics 1948)

बर्लिन ओलंपिक के बाद हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण दो ओलंपिक नहीं हो सके. बर्लिन ओलंपिक के बाद साल 1948 में लंदन में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ. हालांकि तब तक बहुत कुछ बदल चुका था. भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बन चुका था. भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी पहली बार एक आजाद देश के नागरिक के तौर पर ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे. इस ओलंपिक में भारत को बलबीर सिंह सीनियर नाम का स्टार खिलाड़ी मिला. लंदन ओलंपिक में कोई भी टीम भारतीय हॉकी टीम के आगे टिक नहीं सकी. ख़ास बात यह रही कि फाइनल मुकाबले में भारतीय हॉकी टीम और ब्रिटेन हॉकी टीम आमने-सामने थी. आजादी के बाद हुए इस एतिहासिक मैच को देखने के लिए 25000 से ज्यादा दर्शक पहुंचे. फाइनल मैच में बलबीर सिंह सीनियर के दो गोल के बदौलत भारत ने ब्रिटेन को 4-0 से हराकर लगातार चौथा गोल्ड मेडल अपने नाम किया.

हेलसिंकी ओलंपिक 1952 (Helsinki Olympics 1952)

हेलसिंकी ओलंपिक में बलबीर सिंह सीनियर के प्रदर्शन की बदौलत भारत ने ओलंपिक में लगातार पांचवां गोल मेडल जीता. इस टूर्नामेंट में बलबीर सिंह सीनियर ने 3 मैच में 9 गोल किए, जिनमें से 8 गोल सेमी-फाइनल और फाइनल में किए. फाइनल में भारत ने नीदरलैंड को 6-1 से हराकर पांचवीं बार गोल्ड मेडल जीता.

मेलबर्न ओलंपिक 1956 (Melbourne Olympics 1956)

मेलबर्न ओलंपिक में भारत ने लगातार छठी बार ओलंपिक मेडल जीता. इस ओलंपिक में भारत ने शुरुआत में तो अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबलें में बलबीर सिंह सीनियर के दाएं हाथ में फ्रेक्चर होने के कारण भारत के लिए यह मुकाबले मुश्किल हो गए. हालांकि बलबीर सिंह सीनियर ने दर्द होने के बावजूद फाइनल मुकाबले में हिस्सा लिया. भारतीय हॉकी टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को 1-0 से हराकर लगातार छठी बार स्वर्ण मेडल जीता.

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रोम ओलंपिक 1960 (Rome Olympics 1960)

भारतीय हॉकी टीम को रोम ओलंपिक 1960 में फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हार का सामना करना पड़ा और भारत को रजत  पदक से संतोष करना पड़ा.

टोक्यो ओलंपिक 1964 (Tokyo Olympics 1964)

लगातार 6 ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम को रोम ओलंपिक 1960 (Rome Olympics 1960) में रजत पदक से संतोष करना पड़ा. उस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को फाइनल में पाकिस्तान के हाथों हार का सामना करना पड़ा. मेलबर्न ओलंपिक 1956 के फाइनल में फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को हराया था जबकि रोम ओलंपिक 1960 के फाइनल में पाकिस्तान ने भारत को हराया. टोक्यो ओलंपिक 1964 के फाइनल में लगातार तीसरी बार भारत और पाकिस्तान आमने-सामने थे. फाइनल से पहले पाकिस्तानी हॉकी टीम कोई मैच नहीं हारी थी. लेकिन फाइनल में भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान को हराकर लगातार सातवाँ गोल्ड मेडल जीता.

मेक्सिको ओलंपिक 1968 (Moscow Olympics 1980)

भारतीय हॉकी टीम ने मेक्सिको 1968 में कांस्य पदक जीता.

म्यूनिख ओलंपिक 1972 (Munich Olympics 1972)

भारतीय हॉकी टीम ने 1972 में हुए म्यूनिख ओलंपिक में कांस्य पदक जीता.

मास्को ओलंपिक 1980 (Moscow Olympics 1980)

साल 1968 और 1972 में हुए ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता जबकि 1976 में हुए ओलंपिक में तो भारतीय हॉकी टीम सातवें स्थान पर रही थी. ऐसे में साल 1980 में हुए मास्को ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम पर काफी दबाव था, लेकिन भारतीय हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया. भारतीय हॉकी टीम ने तंजानिया को 18-0 और क्यूबा को 13-0 से हराया. इसके बाद पोलैंड और स्पेन जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ मैच ड्रा करवाया. सेमीफाइनल में रूस को 4-2 से हराया. फाइनल में भारत का सामना उस समय की सबसे मजबूत टीम स्पेन से हुआ. भारत और स्पेन के बीच कड़ा मुकाबला हुआ और आखिर में भारत ने स्पेन को 4-3 से हराकर ओलंपिक में आठवां गोल्ड मेडल जीता.

टोक्यो ओलंपिक 2021 (Tokyo Olympics 2021)

लगभग 41 साल की बाद भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो में हुए ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीता.

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