गुजरात का Eco Friendly Home, जहां बिजली से लेकर पानी तक सबकुछ है फ्री

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Eco Friendly Home in Gujarat of Jaydeep Singh and Induba –

गुजरात (Gujarat) में रहने वाले इन महोदय का घर पूरी तरह से प्रकृति (Eco Friendly Home) से घिरा हुआ है. यही कारण है कि इनके घर पर ना तो बिजली का बिल आता है और ना ही पानी का. दरअसल गुजरात के इस शिक्षक परिवार की कहानी और प्रकृति से प्रेम ही कुछ ऐसा है कि इन्होने घर पर सोलर (Solar System) और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (Rainwater harvesting System) लगवाया है और अब इसी से इनका जीवन यापन आराम से हो रहा है. चलिए जानते हैं इनकी कहानी :

आज हम से हर दूसरा व्यक्ति महंगाई की मार को झेल रहा है. महंगाई आसमान छू रही है और इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है. ऐसे में समाज से हमारे ही बीच के कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होंने अपनी राह में आने वाली इन परेशनियों को अपने घर पर ही खत्म कर दिया है.

जैसे आज हम जिनके बारे में बात कर रहे हैं वे गुजरात के रहने वाले एक शिक्षक हैं, इन्होने अपनी लाइफ को एको फ्रेंडली (Eco Friendly Home and Life) बना लिया है और इसकी पहल उन्होंने खुद के घर से ही की है. शिक्षक का नाम जयदीप सिंह है और उनकी पत्नी का नाम इंदुबा (Jaydeep Singh and Induba) है.

यह दम्पत्ति प्रकृति से काफी प्रेम करता है जिसका उदाहरण हमें इनका काम देखने के बाद मिल ही जाता है.

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यह दम्पत्ति गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के ऊना गाँव में शिक्षक के रूप में काम रहा है. अपने प्रकृति प्रेम के चलते इन्होंने जब खुद का मकान बनाने का फैसला किया तो साथ ही यह भी सोचा कि अपना घर सभी सुविधाओं से लेस होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने प्रकृति को अपने साथ जोड़ने का मन बनाया.

प्रकृति से घर को जोड़ने का एक खास कारण दोनों का इसके लिए प्रेम और लगाव होना था. इस दम्पत्ति ने अपना मकान बनाया और उसे एको फ्रेंडली बनाया. अब की बात करें तो यह परिवार इस एको फ्रेंडली हाउस (Eco Friendly Home) में अपने बेटे और माता-पिता के साथ निवास करता है और दूसरों के लिए एक बड़े बदलाव का उदाहरण बना हुआ है.

इनके घर में इन्होने सोलर पैनल (Solar Panel) का इस्तेमाल किया है जिससे घर की बिजली का काम हो जाता है और सभी तरह के उपकरण चल जाते हैं. इसके अलावा इस घर में सोलर हीटर (solar heater) भी लगा हुआ है जो पानी को गर्म कर देता है. वहीँ यह दम्पत्ति रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी अपने घर (Rainwater harvesting System at Home) पर लगवा चूका है.

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इस वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बारिश का पानी घर की छत पर जमा होता है जिसे घर की पानी की टंकी जोकि 17 हजार लीटर की क्षमता की है उसमें डाला जाता है. यह परिवार बारिश का पानी (Rain water storage) ही पीता भी है. घर के किचन में ही इन्होने तीन नल भी लगवाए हुए हैं.

पहले नल से घर में बारिश का पानी आता है जिसे यह पूरा परिवार ही पीता है. जबकि दुसरे नल को हीटर से जोड़ा गया है. इसमें सोलर के द्वारा किया हुआ गर्म पानी मिलता है. जबकि जो तीसरा नल है उसे नार्मल वाटर यानि सामान्य पानी के लिए लगाया गया है.

इतनी बातों को देखकर यह बात तो सामने आ ही जाती है कि उर्जा की बचत होने के साथ ही इससे कहीं ना कहीं प्रकृति (Nature Friendly) को भी कोई नुकसान नहीं होता है और सबकुछ स्वच्छ और सुंदर रहता है.

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अब बात करते हैं इस सिस्टम की, तो बता दें कि इस परिवार ने अपने घर पर तीन किलो वाट का ग्रिड इंटीग्रेटेड रूफ टॉप सोलर सिस्टम (Grid Integrated Roof Top Solar System) लगवाया है. इससे उनके घर में रौशनी से लेकर कई काम हो जाते हैं तो बिजली से जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं दिनभर की बिजली के बाद भी जो अतिरिक्त बिजली बच जाती है उसे Bi-directional Meter के द्वारा पश्चिम गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (paschim gujarat vij company limited) “PGVCL” में जमा किया जाता है.

Bi-directional Meter यह बताने का काम करता है कि दिनभर में कितनी एनर्जी बनाई गई है और कितनी खर्च की गई है. दम्पत्ति का कहना है कि वे एको दिन में करीब 16 – 17 यूनिट (kwh) एनर्जी का निर्माण करते हैं. उनकी रोजाना बिजली की खपत 4 यूनिट ही है. जो बची हुई यूनिट होती है उसे PGVCL में जमा कर दी जाती है और इसके बात प्रति यूनिट 2.25 रुपए के अनुसार उनके खाते में जमा कर दिया जाता है.

उनका कहना है कि वे घर के सारे उपकरणों को इस उर्जा की मदद से ही चलाते हैं और इससे वे बिजली की काफी बचत भी कर देते हैं. जब उन्होंने यह सिस्टम ‘ग्रीन इंट्रीग्रेट रूफटॉप’ (Green Integrated Rooftop) अपने छत पर लगवाया था तो उन्हें इस पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी भी मिली थी. इसे लगवाने का खर्च एक बार ही होता है और साथ ही 20 सैलून की वारंटी भी मिलती है.

जयदीप के पिता की नौकरी PGVCL में ही रही है. इसके साथ ही साइंस की तरफ शुरू से ही उनका ध्यान भी कुछ अधिक रहा है. इसलिए उन्होने घर में सोलर सिस्टम लगवाने का भी सोचा. इसके साथ ही उन्होंने घर पर ही एक ऐसा पोछा भी बनाया है जिससे सोलर पैनल की सफाई भी की जाती है.

इंदुबा कहती है कि उन्हें यह सबकुछ बेहद पसंद आया है. इसके चलते कई खर्च बचने के साथ ही वे खुद को प्रकृति के और भी करीब पाते हैं. वे कहती हैं कि उन्हें प्रकृति से काफी प्रेम है और इस कारण ही उनके घर पर आपको कई तरह के पौध और पेड़ देखने को मिलते हैं. वे बताती हैं कि पेड़ काफी संख्या में होने के कारण उनके घर पर कई चिड़ियाँ, कबूतर आदि पक्षी भी आते हैं.

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वे अपने घर में उपयोग में आने वाली सारी सब्जियां भी घर पर ही उगाती हैं. उनका यही प्रयास रहता है कि सभी हरी सब्जियां घर की ही उगी हुई हों और बाहर से कोई सब्जी ना लाना पड़े. उनके घर की छत पर हमें बैगन, मिर्ची, पुदीना जैसे कई पौधे देखने को मिल जाते हैं.

उनका इस बारे में यह भी कहना है कि वे घर में ही इन पौधों के लिए कम्पोस्ट खाद (compost manure for plants) का निर्माण करती हैं और किसी भी तरह की रासायनिक खाद नहीं डालती हैं. उन्हें आर्गेनिक तरीके से उगाई गई सब्जी खाना बेहद पसंद है.

ऐसा नहीं है कि इंदुबा या जयदीप दोनों ही इस तरह के कामो में रूचि दिखाते हैं बल्कि उनकी पूरी फॅमिली ही इस काम में साथ है. सभी को बागबानी का भी शौक है जिसे सब मिलकर साथ करते हैं. इसके साथ ही यह परिवार सोलर इंडक्शन चूल्हे का प्रयोग करता है. इंदुबा ने अपने स्कूल के परिसर में भी कई सब्जियां उगाई है.

इसके साथ ही इंदुबा आर्ट एंड क्रॉफ्ट में भी रूचि रखती हैं. वे अपने स्कूल में भी इससे जुड़े कई क्राफ्ट बनती हैं. उन्होंने यहाँ अपने स्टूडेंट्स के लिए करीब 200 से भी अधिक खिलौनों का भी निर्माण किया है.

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