Mangal Pandey Biography – मंगल पांडे ने जलाई थी भारतीयों के बीच क्रांति की ज्वाला

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Mangal Pandey Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे भारत के प्रथम क्रांतिकारी कहे जाने वाले मंगल पांडे के बारे में. मंगल पांडे ही वह शख्स है, जिन्होंने सबसे पहले भारतीयों के अंदर क्रांति की मशाल जलाई थी. भले ही देश को आजादी 1947 में मिली हो, लेकिन यह भी सच है कि इस आजादी का सपना मंगल पांडे ने सालों पहले देख लिया था. साल 1857 की क्रांतिके दौरान मंगल पांडे ने एक ऐसे विद्रोह को जन्म दिया जो आगे चलकर पूरे भारत में फ़ैल गया.

दोस्तों मंगल पांडेय देश एक महान क्रांतिकारी थे. आज भी देश उन्हें बड़े सम्मान के साथ याद करता हैं. आज इस इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि मंगल पांडे कौन थे?, मंगल पांडेय ने कहाँ विद्रोह किया था?, मंगल पांडे की मृत्यु कैसे हुई थी? और मंगल पांडे को फांसी कब हुई थी? तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं मंगल पांडे का जीवन परिचय.

मंगल पांडे जीवनी (Mangal Pandey Biography)

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था. मंगल पांडे का जन्म सामान्य ब्राह्मण परिवार हुआ था. मंगल पांडे के पिता का नाम दिवाकर पांडे था. मंगल पांडे की माता का नाम अभय रानी था. मंगल पांडे की एक बहन भी थी, जिनका साल 1930 में अकाल के दौरान निधन हो गया था.

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ईस्ट इंडिया कंपनी जॉइन की

दोस्तों मंगल पांडे के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मंगल पांडे ने साल 1849 को ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्मी में शामिल हो गए. मंगल पांडे एक अच्छे सिपाही थे और उन्हें 34वी बंगाल नैटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया. उनके रेजिमेंट में अन्य ब्राहमण युवा भी थे.

एक घटना ने बदला जीवन

एक बार मंगल पांडे की रेजिमेंट में एक नई रायफल लाई गई, जिसका नाम एनफील्ड राइफल था. एनफील्ड रायफल को लेकर कहा गया था कि इसमें गाय व सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है. इस रायफल में कारतूस भरने के लिए इसे मुंह से खोलना होता था. मंगल पांडे हिन्दू धर्म को बहुत मानते थे. यहीं कारण है कि मंगल पांडे गाय को अपनी मां के समान मानते थे. यहीं कारण है कि जब नई रायफल वहां लाई गई तो उनके मन में बगावत की भावना जाग उठी.

सेना से निकाले गए मंगल पांडे

9 फ़रवरी 1857 को एनफील्ड रायफल मंगल पांडे की रेजिमेंट के सैनिकों को बांटी गई. इसके बाद एक अंग्रेज अफसर सभी को इसका उपयोग करना सिखाने लगा. इसके लिए अंग्रेज अफसर ने एनफील्ड रायफल को मुंह से खोला और उसमें कारतूस भरा. जब अंग्रेज अफसर ने मंगल पांडे को ऐसा करने के लिए कहा तो मंगल पांडे ने ऐसा करने से मना कर दिया. जिसके बाद मंगल पांडे को सेना से निकाल दिया गया.

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अंग्रेज अफसर की हत्या

मंगल पांडे के दिल में क्रांति की भावना जाग चुकी थी. उनके मन में अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किए जा रहे अत्याचारों का गुस्सा था. 29 मार्च 1857 को जब एक अंग्रेज अफसर जनरल हेअरसेय, मंगल पांडे से उनकी रायफल लेने के लिए आगे बढे तो मंगल पांडे ने अंग्रेज अफसर पर हमला बोल दिया. इसके बाद मंगल पांडे ने अफसर के बेटे, जोकि सेना में थे उसे भी गोली मार दी. इसके बाद मंगल पांडे खुद पर भी गोली चलाना चाहते थे, लेकिन ब्रिटिश अफसरों ने उन्हें पकड़ लिया.

मंगल पांडेय को हुई फांसी (Mangal Pandey Death)

6 अप्रैल 1857 को मंगल पांडेय को फांसी की सजा सुनाई गई. फांसी के लिए 18 अप्रैल का दिन चुना गया. लेकिन ब्रिटिश अफसरों के मन में मंगल पांडेय का खौफ इस हद तक बैठ गया था कि उन्होंने 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही मंगल पाण्डेय को फांसी दे दी. हालांकि उस समय जल्लादों ने मंगल पांडेय को फांसी देने से भी इंकार कर दिया था, जिसके बाद कलकत्ता (कोलकाता) से चार जल्लाद बुलाए गए. फांसी के बाद भी ब्रिटिश अफसर मंगल पांडेय के शव के करीब जाने से भी डर रहे थे.

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मंगल पांडेय की मौत के बाद हुआ क्रांति का आगाज

मंगल पांडेय की मौत ने भारतीयों के अंदर क्रांति की एक लहर पैदा की. मंगल पांडेय की मौत के बाद उत्तर प्रदेश की एक सेना की छावनी में इस घटना के विद्रोह में बहुत से लोग सामने आए. सभी लोग कारतूस रायफल के उपयोग का विरोध करने लगे. धीरे-धीरे विद्रोह विकराल रूप लेने लगा. कहा जाता है कि इसके बाद ही देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्ति की लहर देश में फ़ैल गयी.

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