Ranchod Das Pagi Biography – जानिए कौन थे रणछोड़ दास ‘पागी’, जो अकेले पाकिस्तान के 1200 सैनिकों पर पड़े भारी

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Ranchod Das Pagi Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम इंडिया के एक ऐसे स्टार के बारे में बात करेंगे, जिसका नाम देश के कम ही लोगों ने सुना होगा. लेकिन यह भी सच है कि इस शख्स ने 1965 हुए भारत पाकिस्तान युद्ध और 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बिना हाथों में बंदूक उठाए, सिर्फ अपने हुनर से इस शख्स ने पाकिस्तान को जो जख्म दिया, उसे वह शायद ही कभी भूल पाए.

जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं रणछोड़ दास पागी की. भेड़, बकरी और ऊंट पालकर अपना गुज़ारा करने वाले रणछोड़ दास पागी ने भारतीय सेना के लिए कितना योगदान दिया, इसे आप इसी बात से समझ सकते हैं कि सैम मानेकशॉ भी अपने जीवन के अंतिम समय तक रणछोड़ दास पागी को करते रहे. सैम मानेकशॉ के बारे में तो हम सभी जानते ही है. भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष सैम मानेकशॉ ही वह शख्स है, जिसके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश नाम का नया देश बनाया. साथ ही पाकिस्तान को अपने 93000 सैनिकों के साथ पूरी दुनिया के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा.

तो चलिए दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि रणछोड़ दास पागी कौन थे? (Who was Ranchod Das Pagi?) और कैसे रणछोड़ दास पागी ने अपने हुनर के दम पर अकेले ही पाकिस्तानी सेना पर भारी पड़ गए थे?

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रणछोड़ दास पागी का जीवन परिचय (Ranchod Das Pagi Biography)

रणछोड़ दास पागी का जन्म गुजरात के बनासकांठा में एक आम परिवार में हुआ था. बनासकांठा पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ गाँव है. रणछोड़ दास के परिवार के लोग भेड़, बकरी और ऊंट पालकर अपना गुज़ारा करते थे. रणछोड़ दास भी अपने परिवार के लोगों के साथ यहीं काम करने लगा. रणछोड़ दास ने अपने बचपन से लेकर जवानी भेड़, बकरी और ऊंट पालने में ही गुजार दी.

रणछोड़ दास का हुनर

दशकों तक ऊँटों को पालते-पालते और इधर-उधर घूमते-घूमते रणछोड़ दास को ऐसा हुनर आ गया था, जिसने युद्ध में भारतीय सेना की बहुत मदद की. दरअसल रणछोड़ दास को 58 साल की उम्र तक ऊँटों को पालते-पालते इतना अनुभव गया था कि वह ऊंट के पैरों के निशान देखकर ही बता देते थे कि उस ऊंट पर कितने लोग सवार थे. यहीं नहीं वह किसी इंसान के पैरों के निशान देखकर बता देते थे कि उनका वजन कितना होगा, उनकी उम्र कितनी होगी और वह कितना दूर चलकर गए होंगे.

पुलिस गाइड बने रणछोड़ दास

रणछोड़ दास के इस हुनर के कारण फायदा उन्हें मिला 58 साल की उम्र में. उनके हुनर को देखते हुए बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक वनराज सिंह झाला ने रणछोड़ दास को पुलिस गाइड नियुक्त किया. इसके बाद रणछोड़ दास अपने हुनर और रेगिस्तानी रास्तों पर अपनी पकड़ के कारण पुलिस का मार्गदर्शन करने लगे.

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भारतीय सेना में हुए शामिल

साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध से कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के सैनिकों ने धोखे से कच्छ क्षेत्र के कई गांवों पर कब्ज़ा कर लिया. ऐसे में भारतीय सेना को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत महसूस हुई जो इलाके के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हो और पैरों के निशान को अच्छे से समझता हो. ऐसे में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए रणछोड़ दास की मदद ली. रणछोड़ दास को भारतीय सेना में एक स्काउट के रूप में भर्ती किया गया.

पाकिस्तान के 1200 सैनिकों पर पड़े भारी

भारतीय सेना में शामिल होने के बाद रणछोड़ दास भारतीय सैनिकों के साथ कच्छ क्षेत्र में पहुंचे और वहां मौजूद पैरों के निशान देखकर ही बता दिया कि वहां कितने पाकिस्तानी सैनिक है? और पाकिस्तान सैनिक कहाँ छिपे है? रणछोड़ दास ने अपने हुनर से 1200 पाकिस्तानी सैनिकों की सटीक स्थिति का पता लगा लिया. भारतीय सैनिकों के लिए इतनी जानकारी काफी थी, पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने और मोर्चा फतह करने के लिए. रणछोड़ दास की रेगिस्तानी रास्तों पर इतनी पकड़ थी कि उन्होंने भारतीय सेना को तय समय से 12 घंटे पहले ही मंजिल तक पहुंचा दिया था.

1971 में भी निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

रणछोड़ दास ने सिर्फ साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में ही नहीं बल्कि साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1971 के युद्ध में रणछोड़ दास ने ना सिर्फ सेना का मार्गदर्शन किया बल्कि गोला बारूद पहुँचवाना भी पागी के काम का हिस्सा था. पाकिस्तान के पालीनगर शहर पर जब भारतीय सेना ने तिरंगा फहराया तो उसमें रणछोड़ दास की बड़ी भूमिका थी.

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सेना प्रमुख के साथ खाया खाना

रणछोड़ दास के हुनर के तो तत्कालीन भारतीय सेना प्रमुख जनरल एके मानेकशॉ भी कायल थे. साल 1971 में बांग्लादेश के बनने के बाद मानेकशॉ जब ढाका में थे तो उन्होंने एक दिन रणछोड़ दास को खाने पर बुलाया. मानेकशॉ ने रणछोड़ दास को लाने के लिए एक हेलिकॉप्टर भेजा. एक किस्सा है कि रणछोड़ दास जब हेलिकॉप्टर में बैठे और हेलिकॉप्टर उड़ा तो अचानक रणछोड़ दास को याद आया कि उनका बैग तो नीचे ही रह गया. इसके बाद रणछोड़ दास ने बैग लेने के लिए हेलिकॉप्टर को वापस जमीन पर उतारने के लिए कहा. जब हेलिकॉप्टर वापस नीचे आया और अधिकारियों ने बैग खोला तो पता चला कि उसमें तो सिर्फ दो रोटियां, प्याज और बेसन की एक थाली है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि यह खाना बाद में रणछोड़ दास और मानेकशॉ ने मिलकर खाया.

राष्ट्रपति अवार्ड

रणछोड़ दास पागी को उनके सराहनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पालीनगर में तिरंगा फहराया तो सेनाअध्यक्ष मानेकशॉ ने अपनी जेब से 300 रु का नकद पुरस्कार रणछोड़ दास को दिया था. इसके अलावा रणछोड़ दास को संग्राम पदक‘, ‘पुलिस पदकऔर ग्रीष्मकालीन सेवा पदक से भी समानित किया जा चुका है. रणछोड़ दास पागी के सम्मान में कच्छ-बनासकांठा सीमा के पास सुईगाम की बीएसएफ बॉर्डर को रणछोड़ दास बॉर्डर नाम दिया गया है. साथ ही यहां के लोक गीतों में भी रणछोड़ दास पागी के कार्य का जिक्र होता है.

112 साल की उम्र में दुनिया से हुए विदा

27 जून 2008 को पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल एके मानेकशॉ का निधन हुआ. कहा जाता है कि मानेकशॉ अपने अंतिम दिनों तक रणछोड़ दास को याद करते रहे. उनके निधन के बाद साल 2009 में रणछोड़ दास ने सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्तिले ली और 2013 में 112 साल की उम्र में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. रणछोड़ दास भले ही अब हमारे बीच में नहीं हैं, मगर उनका योगदान भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज है. रणछोड़ दास पागीअपनी देश भक्ति, त्याग और समर्पण के लिए हमेशा याद किए जाएंगे.

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बन रही है फिल्म

साल 1971 में हुए भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को लेकर एक फिल्म ‘भुज: द प्राइज ऑफ इंडिया‘ बन रही है, जिसमें अजय देवगन की मुख्य भूमिका है. इस फिल्म में रणछोड़ दास पागी की भूमिका संजय दत्त निभा रहे हैं.

 

 

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